×

Delhi Kaise Bani Rajdhani: कहानी उस दिन की जब दिल्ली को बनाया गया है भारत की राजधानी, आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक यात्रा को

Delhi Kaise Bani Bharat Ki Rajdhani: 19वीं सदी के अंत तक ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) थी। लेकिन 13 फरवरी 1931 को नई दिल्ली को आधिकारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया। आइए जानें इस ऐतिहासिक फैसले के बारे में डिटेल में।

Akshita Pidiha
Written By Akshita Pidiha
Published on: 9 Feb 2025 4:30 PM IST
Delhi Kaise Bani Rajdhani History and Facts
X

Delhi Kaise Bani Rajdhani History and Facts 

Delhi Ko Rajdhani Kab Aur Kisne Banaya: भारत की राजधानी के रूप में नई दिल्ली की स्थापना भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। 13 फरवरी 1931 का वह दिन जब आधिकारिक रूप से नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया, इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है। यह कहानी केवल एक राजधानी स्थानांतरित करने की नहीं, बल्कि एक ऐसे फैसले की है जिसने भारत की प्रशासनिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक दिशा को हमेशा के लिए बदल दिया। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे दिल्ली भारत की राजधानी बनी (Delhi Capital Kaisi Bani) और इसके पीछे की पूरी ऐतिहासिक यात्रा कैसी रही।

पुरानी राजधानी: कोलकाता का महत्व

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

19वीं सदी के अंत तक ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) थी। यह शहर ब्रिटिश शासन का प्रमुख व्यापारिक और प्रशासनिक केंद्र था। लेकिन समय के साथ कई कारणों से अंग्रेजों को महसूस हुआ कि कोलकाता राजधानी के लिए उपयुक्त स्थान नहीं है। कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार थे:

भौगोलिक असुविधा- कोलकाता भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित था, जिससे पूरे देश पर प्रभावी नियंत्रण रखना कठिन था।

राष्ट्रवाद का उभार- 1905 में बंगाल विभाजन के बाद कोलकाता में ब्रिटिश विरोधी आंदोलन तेजी से बढ़ गया, जिससे प्रशासन चलाना मुश्किल हो गया।

संचार और रणनीतिक स्थिति- दिल्ली भारत के भौगोलिक केंद्र के करीब थी और ऐतिहासिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण शहर रहा था।

इन्हीं कारणों से अंग्रेजों ने भारत की राजधानी को कोलकाता से हटाने का निर्णय लिया।

दिल्ली को राजधानी बनाने का निर्णय

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

यह निर्णय 1911 में ब्रिटिश सम्राट किंग जॉर्ज पंचम द्वारा लिया गया। 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में उन्होंने औपचारिक रूप से घोषणा की कि ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित की जाएगी। यह घोषणा भारत के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।

दिल्ली को राजधानी बनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण थे:-

ऐतिहासिक महत्व- दिल्ली मुगलों और अन्य राजाओं की राजधानी रही थी, जिससे यह एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र रहा था।

सामरिक स्थिति- दिल्ली भारत के केंद्र में स्थित थी, जिससे पूरे देश पर शासन करना आसान होता।

राष्ट्रवादी आंदोलन से दूरी- कोलकाता में बढ़ते राष्ट्रवादी आंदोलनों से बचने के लिए अंग्रेजों ने राजधानी को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया।

प्रथम विश्‍व युद्ध के बाद निर्माण कार्य

राजधानी दिल्‍ली होगी, इसका ऐलान होने के बाद शहर के निर्माण का कॉन्‍ट्रैक्‍ट शोभा सिंह को दिया गया था। प्रथम विश्‍व युद्ध के बाद नई दिल्‍ली का निर्माण कार्य शुरू हुआ और सन् 1931 तक पूरा हो गया। 13 फरवरी को भारत के वाइसराय ने इसका उद्घाटन किया।

शहर का उद्घाटन होने के बाद इसके विस्‍तार की योजना बनाई गई। अलग-अलग आर्किटेक्‍ट्स ने अपने आइडियाज दिए और ज्‍यादातर आइडियाज को वाइसराय ने खारिज कर दिया। नए प्‍लान में कीमतों के ज्‍यादा होने की वजह से इन सारे आइडियाज को मानने से इंकार कर दिया गया था।

नई दिल्ली की योजना और निर्माण

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

राजधानी को स्थानांतरित करने का निर्णय लेने के बाद, अंग्रेजों ने एक नई आधुनिक राजधानी बनाने की योजना बनाई। इसके लिए दुनिया के प्रसिद्ध वास्तुकार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को नियुक्त किया गया।

नई दिल्ली का डिज़ाइन

राजधानी का केंद्र- राष्ट्रपति भवन (तत्कालीन वायसराय हाउस) नई दिल्ली का केंद्र बिंदु था।

राजपथ और इंडिया गेट- भारत की नई राजधानी को भव्य बनाने के लिए राजपथ और इंडिया गेट का निर्माण किया गया।

योजनाबद्ध नगर- नई दिल्ली को योजनाबद्ध तरीके से चौड़ी सड़कों और हरियाली से युक्त शहर के रूप में बसाया गया।

यह कार्य 1912 में आरंभ हुआ और कई वर्षों तक चला। हजारों मजदूरों और कारीगरों ने इस भव्य राजधानी के निर्माण में योगदान दिया।

जब दिल्ली को राजधानी बनाने का ऐलान किया गया, उस वक्त दिल्ली पंजाब प्रांत की तहसील थी। दिल्ली को राजधानी बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण का आदेश दिया गया। कई गांवों की जमीन ली गई। नई राजधानी बनाने के लिए पंजाब के उपराज्यपाल ने दिल्ली और बल्लभगढ़ जिले के 128 गांवों की एक लाख 15 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित करने का आदेश दिया। मेरठ जिले के 65 गांवों को भी दिल्ली में शामिल किया गया। यह सभी गांव यमुनापार एरिया के थे और बाद में शाहदरा तहसील के अंदर आए।

13 फरवरी 1931: ऐतिहासिक दिन

अंततः 13 फरवरी 1931 को नई दिल्ली को आधिकारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित किया गया। इस दिन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने नई दिल्ली को ब्रिटिश भारत की राजधानी के रूप में उद्घाटित किया। यह अवसर ब्रिटिश शासन के लिए एक नई शुरुआत की तरह था, लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए यह केवल एक और अध्याय था।

इस भव्य उद्घाटन समारोह में कई विदेशी अधिकारी, ब्रिटिश प्रशासन के उच्च पदस्थ अधिकारी और भारतीय गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। हालांकि, आम भारतीय जनता के लिए यह केवल एक नया प्रशासनिक बदलाव था, जिससे उनकी मूल समस्याओं का कोई समाधान नहीं हुआ।

क्‍यों चुना गया था दिल्‍ली को

कोलकाता से राजधानी को दिल्‍ली स्‍थानांतरित करने के बारे में सोचा जा रहा था। कोलकाता देश के पूर्वी तटीय हिस्‍से पर था जबकि दिल्‍ली देश के उत्‍तरी हिस्‍से में था। ब्रिटिश सरकार को लगा कि दिल्‍ली से शासन करना उनके लिए आसान होगा।

12 दिसंबर 1911 को जार्ज पंचम ने दिल्‍ली दरबार के दौरान ऐलान किया कि राजधानी को कोलकाता से दिल्‍ली शिफ्ट किया जाएगा। क्‍वीन मैरी भी उस समय वहीं मौजूद थीं। कोरोनेशन पार्क, किंग्‍सवे कैंप में राष्‍ट्रीय राजधानी की नींव रखी गई। यह जगह वाइसराय का घर भी बनी।

दिल्ली: भारत की आत्मा

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

दिल्ली केवल भारत की राजनीतिक राजधानी नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण शहर है। यह शहर समय-समय पर विभिन्न शासकों और राजवंशों का केंद्र रहा है:

महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ- कहा जाता है कि दिल्ली महाभारत काल में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी।

मुगल साम्राज्य का केंद्र- मुगलों ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया और यहाँ लाल किला, जामा मस्जिद जैसे ऐतिहासिक स्मारकों का निर्माण किया।

ब्रिटिश भारत की राजधानी- 1931 में नई दिल्ली को राजधानी बनाया गया, जिससे इसका आधुनिक स्वरूप विकसित हुआ।

स्वतंत्र भारत की राजधानी- 15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब दिल्ली ही भारत सरकार का मुख्यालय बनी।

नई दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने का निर्णय केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं था, बल्कि यह भारत के ऐतिहासिक विकास का एक महत्वपूर्ण चरण था। कोलकाता से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित करने के पीछे ब्रिटिश सरकार की अपनी रणनीतिक सोच थी, लेकिन इस निर्णय ने भारत के आधुनिक राजनीतिक ढांचे को स्थायी रूप से प्रभावित किया।

आज दिल्ली भारत की सत्ता का केंद्र है, जहाँ से पूरे देश का प्रशासन संचालित होता है। यह शहर न केवल इतिहास का गवाह है, बल्कि यह भारत के गौरव, संघर्ष और विजय का प्रतीक भी है। 10 फरवरी 1931 को हुई इस ऐतिहासिक घटना ने दिल्ली को एक नए युग में प्रवेश कराया और इसे भारत की आत्मा बना दिया।



Shreya

Shreya

Next Story