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Shaheedi Park in Delhi: पार्कों में कबाड़ से तैयार मनोरम ऐतिहासिक कलाकृतियों को देखने आते हैं हजारों पर्यटक, हरियाली और कला को बढ़ावा

Shaheedi Park in Delhi: ऐतिहासिक धरोहरों को कलाकृतियों के रूप में वेस्ट मेटिरियल लोहे के खराब सामान, बिजली के खंभे, पुरानी कारें, ट्रक, पार्को की ग्रिल, आटोमोबाइल पार्ट और पाइप समेत अन्य वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 8 Dec 2023 9:45 AM IST (Updated on: 8 Dec 2023 9:45 AM IST)
Shaheedi Park in Delhi
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Shaheedi Park in Delhi  (photo: social media )

Shaheedi Park in Delhi: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा राजधानी में वेस्ट तो वंडर तर्ज पर कई ऐसे अनूठे पार्क तैयार किए जा रहें हैं। जहां हरियाली से भरपूर ईको फ्रेंडली वातावरण के साथ देश की ऐतिहासिक धरोहरों को कलाकृतियों के रूप में वेस्ट मेटिरियल लोहे के खराब सामान, बिजली के खंभे, पुरानी कारें, ट्रक, पार्को की ग्रिल, आटोमोबाइल पार्ट और पाइप समेत अन्य वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है। जिनमें स्वर्ण युग में शकुंतला पुत्र भरत और भारत माता की विशाल मूर्ति से लेकर देश के क्रांतिकारी आंदोलन के पैरोकार चापेकर बंधु, लाल, बाल, पाल, खुदीराम बोस, सावरकर, जवाहर लाल नेहरू जैसी कई महान हस्तियों की प्रतिमाएं और ताजमहल, कुतुबमीनार से लेकर कई ऐतिहासिक धरोहरों को कलाकारों ने स्क्रैप से बखूबी तैयार किया गया है। खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतों से रची बसी दिल्ली को देखने के लिए देश क्या विदेशों से भी आने वाले पर्यटकों का जमावड़ा यहां लगा रहना रोजमर्रा की बात है। ऐसे में दिल्ली की खूबसूरती में और ज्यादा इजाफा करने के लिए एमसीडी द्वारा हरियाली और आर्ट को बढ़ावा देने के प्रयासों के फलस्वरूप मुख्यरूप से इको फ्रेंडली वेस्ट टू वंडर पार्कों का निर्माण किया गया है।

आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से....

बच्चे टीवी और मोबाइल को कुछ देर के लिए भूल जाते हैं इस पार्क में आकर

हम सबसे पहले बात करते हैं नंदन वन की। जहां ठंडी हवाओं के झोंको में इठलाते झूमते क्यारियों में बिखरे रंग बिरंगे फूलों के साथ हरी घास की बिछी चादर, उसपर रंग जमाते हाथी, जिराफ, मेंढक, छिपकली, शेर, खरगोश देखते हो बच्चों के चेहरों पर एक खूबसूरत सी मुस्कान बिखर जाती है। यहां सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि युवा, वृद्ध सभी आकर एक सुखद अनुभव को महसूस करते हैं।

दिल्ली निगम (एसडीएमसी) की एक खास पहल के तहत निर्मित इस पार्क में आते ही बच्चे टीवी और मोबाइल को कुछ देर के लिए भूल जाते हैं। दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने बच्चों को मोबाइल व टीवी की बढ़ती लत से दूर करने के लिए और उन्हें प्रकति के करीब लाने के लिए दक्षिणी दिल्ली निगम (एसडीएमसी) ने ग्रेटर कैलाश-1 में एक करोड़ रुपये की लागत से बच्चों के लिए विशेष अम्यूजमेंट पार्क 'नंदन वन' बनाया है।


दिल्ली के घने ट्रैफिक और भागती जिंदगी के बीच हरे भरे इस पार्क में ताज़ी हवा और प्राकृतिक सुंदरता का अनुपम उदाहरण पेश करता है। स्वस्थ के लिहाज से ये पार्क बेहद खास तौर से यहां आने वाले मॉर्निंग वाकर्स के बीच खासा लोकप्रिय है। इस इको फ्रेंडली पार्क में खिलौने से लेकर वाद्य यंत्र और तरबूज की शक्ल की बेंच हा या हाथ के पंजे की शक्ल की कुर्सियां, यह सब बच्चों के साथ ही अभिभावकों को भी खूब आकर्षित करता हैं। संगीत का आनंद प्रदान करने के लिए गजीबो, पियानो आदि अच्छी क्वालिटी के वाद्ययंत्र भी यहां मौजूद हैं।

इसके अलावा बच्चों से लेकर हर उम्र के आगंतुकों की फिजिकल फिटनेस के लिए स्पोर्ट्स एसिटीविटी के तौर पर यहां रोप नेट सीरीज, स्लाइड्स, बॅबू हट, चार बड़े मल्टीप्ले स्टेशन, बास्केट बाल के साथ यहां रबर की मैटिंग फ्लोर जैसी एक्टिविटीज की भी सुविधा उपलब्ध हैं। इन पर बच्चे नंगे पैर भी खेल सकेंगे। इसके अलावा टेबल गेम्स भी हैं।

दिव्यांग बच्चों के लिए सेंसरी वॉल भी बनाई गई है। दृष्टिबाधित बच्चे भी इस दीवार पर बनी आकृतियों को छूकर महसूस कर सकेंगे। यहां वाल होला झूला लगाया गया है, जो शायद भारत के किसी भी पार्क में नहीं है। करीब 2.2 एकड़ में बने इस पार्क में सिर्फ बच्चों के साथ आए अभिभावकों को ही अंदर जाने की अनुमति है।

प्रति व्यक्ति 20 रुपये के टिकट पर सुबह 10 से शाम पांच बजे तक पार्क में घूमने की आजादी है। सोमवार को पार्क बंद रहता है।

दिल्ली के आक्सीजन के स्तर को बढ़ाने का शहीदी पार्क

अब बात करते हैं एमसीडी द्वारा तैयार किए गए शहीदी पार्क की। जहां प्रकृति की मनोरम छटा के बीच खिलखिलाते चम्पा, फाइकस बैनजामिना, फरकेरिया, ऐरिका पाम, सिगगोनियम समेत अन्य प्रजाति के 56 हज़ार पेड़-पौधे इस पार्क की खूबसूरती में इजाफा करने के साथ दिल्ली के आक्सीजन के स्तर को बढ़ाने का भी काम कर रहा है। ये पार्क ई वेस्ट का बेहतरीन सदुपयोग कर एक अनूठा वेस्ट टू बेस्ट का अनुपम उदाहरण पेश करता है। इस पार्क में प्रवेश करते ही मिलती है स्वर्ण युग में ईसा पूर्व 315 से सन 1044 तक के भारत के युग की झलक जहां शकुंतला पुत्र भरत और भारत माता की विशाल मूर्ति से लेकर देश के क्रांतिकारी आंदोलन के पैरोकार चापेकर बंधु, लाल, बाल, पाल, खुदीराम बोस, सावरकर, रास बिहारी बोस, महात्मा गांधी की चित्ताकर्षक कलाकृतियां लोगों को बार-बार इस पार्क में आने के लिए मजबूर करती हैं।


सिर्फ यही नहीं बल्की भारतीय संविधान के निर्माताओं और विभिन्न रियासतों के भारत में विलय की कहानी के बारे में जानने का भी मौका यहां मिलता है। यहां पं. जवाहर लाल नेहरू, संविधान निर्माता बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर, सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्तियों को जो भी देखता है अपलक देखता ही रह जाता है। इन मूर्तियों को देखने के बाद किसी के लिए भी यह कहना मुश्किल हो जाता है कि ये कबाड़ से बनाई गई हैं। यहां पर भारत पर विदेशी आक्रमणों और इनसे लोहा लेने वाले वीरों के बारे में 144 टू डी और 22 थ्री डी इमेज द्वारा रोमांचक जानकारी मिलती है।

पार्क भ्रमण के 11 भाग हैं। 4.5 एकड़ में फैला है शहीदी पार्क 250 टन स्क्रैप का इस्तेमाल इसे बनाने में किया गया है। 10 कलाकारों और 700 कारीगरों ने छह महीने तक वेस्ट टू आर्ट के तहत इन कलाकृतियों का निर्माण किया है। इन कलाकृतियों में वेस्ट मेटिरियल लोहे के खराब सामान, बिजली के खंभे, पुरानी कारें, ट्रक, पार्को की ग्रिल, आटोमोबाइल पार्ट और पाइप समेत अन्य वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है।

इस पार्क में घूमने आने वालों के लिए स्मारिका की दुकान व फूड कियोस्क बनाए गए हैं। पार्क को आठ हिस्सों और तीन चित्रशालाओं में बांटा गया है। 15 करोड़ रुपय की लागत से इसे बनाया गया है।

वेस्ट टू आर्ट का अनूठा संगम है भारत दर्शन पार्क', 300 टन स्क्रैप का हुआ इस्तेमाल

इसी तर्ज पर दिल्ली एमसीडीटी की एक और बेहतरीन उपलब्धि के तौर पर 'भारत दर्शन पार्क' का निर्माण किया गया है। यहां झीलमिल लाइटों के बीच बच्चे, युवा, बुजुर्ग सभी की मौजूदगी से यहां की खूबसूरत शाम की रौनक देखते ही बनती है। कहा जाता है कि हुनर मिट्टी को भी सोना बनाने की कला रखता है। ऐसा ही कुछ दिल्ली की साउथ एमसीडी पार्क में देखा जा सकता है जहां कबाड़ से शानदार 'भारत दर्शन पार्क' का निर्माण किया गया है। यहां कबाड़ को अपनी कला से तराश कर उन्हें दर्शनीय कलाकृतियों में ढाला गया है।

यहां आने वाले आगंतुक ऐतिहासिक स्मारकों की प्रतिकृतियों की खूबसूरती को देखकर दांतो तले उंगलियां दबा लेते हैं। भला कौन यकीन करेगा कि भारत देश में अपने अनुपम आर्किटेक्चर वर्क और आर्ट के लिए विश्व में ख्याति प्राप्त ऐतिहासिक धरोहरों को कबाड़ के इस्तेमाल से उसी कारीगरी और फिनिशिंग के साथ हुबहू कलाकृति तैयार की जा सकती है। जिनमें कुतुबमीनार, ताजमहल, चारमीनार, गेटवे आफ इंडिया, कोणार्क मंदिर, नालंदा स्मारक, मैसूर पैलेस, मीनाक्षी मंदिर, हंपी, विक्टोरिया मेमोरियल, सांची स्तूप, गोल गुंबद अजंता-ऐलोरा की गुफाएं, हवा महल आदि शामिल हैं।


देश की इन सभी प्रसिद्ध धरोहरों को देखने के लिए रोजाना अच्छी खासी संख्या में लोग वेस्ट टू वंडर पार्क पहुंचते हैं। यहां टूटी फूटी गाड़ियों के स्क्रैप से बनाई गई बेहद आकर्षक 21 कलाकृतियां हैं। इसे बनाने में करीब 250 से 300 टन स्क्रैपका इस्तेमाल किया गया है। भारत दर्शन पार्क को 8.5 एकड़ में बनाया गया है।

खास बात यह है कि प्रतिकृतियां एमसीडी स्टोर में व्यर्थ पड़े कबाड़ द्वारा निर्मित की गई हैं। ये पार्क पार्क सुबह 10 बजे से और रात 10 बजे तक पार्क घूमने आए लोगों के लिए खुला रहता है। लोगों यहा अपने पूरे परिवार बच्चों और मित्रों के साथ भारत दर्शन का अनूठा आनंद लेने के लिए इस पार्क में भारी संख्या में लोग घूमते नजर आते हैं।

90 टन कबाड़ से तैयार किया गया है वेस्ट टू वंडर पार्क

एमसीडी द्वारा दिल्ली में निर्मित एक और बेहद लोकप्रिय वेस्ट तो वंडर पार्क का जिक्र करें तो इस पार्क को 90 टन कबाड़ से तैयार किया गया है। एमसीडी ने सराय काले खां बस अड्डा और राजीव गांधी स्मृति वन के बीच में करीब सात एकड़ में वेस्ट टू वंडर पार्क बनाया है। एलजी विनय कुमार सक्सेना ने 8 फरवरी 2023 को इसका उद्‌घाटन किया था। पार्क में विश्व भर के सात अजूबों की आकृति बनाई गई है। इनमें ताजमहल के अलावा एफिल टावर, पीसा का झूलता मीनार और मिस्र का पिरामिड सहित सभी अजूबों को सिर्फ और सिर्फ कबाड़ से तैयार किया गया है।


इसके लिए रेहड़ी, झूले, बेयरिंग, रेलिंग और पोल के अलावा जब्त की गई गाड़ियों के स्क्रैप का इस्तेमाल किया गया है। पार्क के अंदर 20 फुट ऊंचा ताजमहल, 30 फुट के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी सहित बाकी अजूबों की कबाड़ से निर्मित प्रतिमाएं देखने को मिलती हैं। पार्क को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए यहां जुरासिक पार्क भी बनाया गया है। इस पार्क के अंदर अलग-अलग तरह के डायनोसोर तैयार स्क्रैप का इस्तेमाल कर निर्मित किए गए है। जो कला के अनुपम सौंदर्य की बानगी साबित करते हैं। दिल्ली का ये डायनासोर पार्क जंगल थीम पर बनाया गया है जो देखने में ऐसा लगता है मानिए आप डायनासोर के काल में आ पहुंचे हैं। जहां वो आपका स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। मुंह से आवाजें निकाल कर, कुछ डायनासोर के मुंह से आग भी निकलेगी तो कोई पूंछ और गर्दन हिला कर लोगों से बातें करेंगे। वहीं लोहे के स्क्रैप से बने इन डायनासोर में जंग से बचाने के लिए इनपर पीयू कोटिंग की गई है। पार्क को पेड़, जिप्सम, घास और सजावटी शिक्षण से जोड़ा गया है। रेस्तरां के लिए रेस्तरां समुद्र तट, रेस्तरां की झोपड़ियाँ और एक रेस्तरां कोर्ट होगा। उन्होंने कहा कि मूर्तियों की मूर्तियां बनाने के लिए लगभग 300 टन धातु के पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एमसीडी थीम पार्क में बच्चों के लिए टॉय ट्रेन चलाने की भी योजना बनाई जा रही है।

सराय काले खां बस अड्डे के पास बने एमसीडी के वेस्ट टु वंडर पार्क में घूमने वाले लोगों को बहुत जल्द एक और तोहफा मिलने वाला है। पार्क घूमने वाले लोग भाप के इंजन से चलने वाली ट्रेन के मॉडल के अंदर बैठकर अपने मनपसंद फूड का मजा ले सकेंगे।

इन्हीं डिब्बों के अंदर अलग अलग कंपनियों के फूड कोर्ट खोले जाएंगे। इस समय पार्क में जितने भी फूड कोर्ट चल रहे हैं वे सभी लोहे के कंटेनरों में चल रहे है।

एक अधिकारी ने कहा, "बच्चों के लिए कुछ अवशेष प्रकाश, ध्वनि और इंटरैक्टिव तत्व भी होंगे।"

वीडियो के लिए 50 रुपये और 3-12 आयु वर्ग के बच्चों के लिए 25 रुपये का प्रवेश शुल्क प्रस्तावित है।

प्री वेडिंग शूट और बर्थडे पार्टी जैसे आयोजनों के लिए जमकर हो रही बुकिंग

कुल मिलाकर इन खूबसूरत व आकर्षक पार्कों से न केवल पर्यावरण को लाभ हो रहा है बल्कि लोगों का भरपूर मनोरंजन भी प्राप्त हो रहा है। इन वेस्ट टू वंडर पार्कों को अब लोग प्रीवेडिंग शादी, बर्थडे जैसे आयोजनों के लिए जमकर इनकी बुकिंग की डिमांड चल रही है। एमसीडी दिल्ली वासियों को कला के अनूठे संग्रह एवं पर्यावरण से भरपूर स्थल को विशेष आयोजनों के लिए बुक करवाने की सौगात के साथ इन पार्कों पर आयोजनों की व्यवस्थाओं को चाकचौबंद करने के लिए खास तरह से इंतजाम भी किए गए हैं।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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