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Dev Deepawali 2023: बनारस में देव दीपावली का अलौकिक दृश्य, हिन्दू धर्म में बेहद ख़ास इसका महत्व
Dev Deepawali 2023: वाराणसी में देव दीपावली एक अनोखा और आध्यात्मिक अनुभव है। यह शहर, जो पहले से ही अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है, इस भव्य उत्सव के दौरान प्रकाश और भक्ति का प्रतीक बन जाता है।
Dev Deepawali 2023: देव दीपावली, जिसे देव दिवाली या देवताओं की दिवाली भी कहा जाता है, एक भव्य उत्सव है जो पवित्र शहर वाराणसी में मनाया जाता है। यह हिंदू महीने कार्तिक की पूर्णिमा की रात को होता है, जो आमतौर पर नवंबर या दिसंबर में पड़ता है। यह त्योहार राक्षस त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की जीत और गंगा नदी के सम्मान में मनाया जाता है।
वाराणसी में देव दीपावली एक अनोखा और आध्यात्मिक अनुभव है। यह शहर, जो पहले से ही अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है, इस भव्य उत्सव के दौरान प्रकाश और भक्ति का प्रतीक बन जाता है। दीपों की रोशनी, गंगा आरती और समग्र उत्सव का माहौल इसे एक यादगार और आत्मा-उत्तेजित करने वाला कार्यक्रम बनाता है।
देव दीपावली का इतिहास
वाराणसी में मनाया जाने वाला देव दीपावली त्यौहार, दिवाली के 15 दिन बाद, हिंदू माह कार्तिक की पूर्णिमा को पड़ता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंदू भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए, त्योहार, देव दीपावली, शैतान पर भगवान शिव की जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा, यह त्योहार शिव के पुत्र भगवान कार्तिक की जयंती का भी प्रतीक है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन हिंदू देवता जीत का जश्न मनाने के लिए स्वर्ग से आते हैं। इसलिए, देवताओं के स्वागत के लिए देव दिवाली पर वाराणसी के घाटों को लाखों मिट्टी के दीयों से जलाया जाता है। देव दिवाली पर दीये जलाने की शुरुआत 1985 में पंचगंगा घाट पर हुई।
श्रद्धालु राजघाट से लेकर दक्षिणी छोर पर रविदास घाट तक गंगा नदी के घाटों पर लाखों मिट्टी के दीपक जलाते हैं। वे पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए भी इकट्ठा होते हैं, जिसे स्थानीय तौर पर 'कार्तिक स्नान' कहा जाता है, इस व्यापक मान्यता के साथ कि पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से पाप धुल जाते हैं और समृद्धि आती है। देव दिवाली गंगा महोत्सव का आखिरी दिन है जब वाराणसी को देवताओं का स्वर्गीय निवास माना जाता है।
कब मनायी जाएगी इस वर्ष देव दीपावली
कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाने वाली देव दीपावली की तिथि दिवाली त्योहार के लगभग 15 दिन बाद आती है। इस साल देव दीपावली 26 नवंबर को मनाई जाएगी। द्रिकपंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर 2023 को दोपहर में शुरू होती है और 27 नवंबर 2023 को दोपहर 2:45 बजे समाप्त होती है। पूजा प्रदोष महुरत के दौरान की जाती है। पचांग के अनुसार, प्रदोष काल देव दिवाली महूरत 26 नवंबर 2023 को शाम 5:09 बजे से शाम 7:47 बजे तक है।
वाराणसी में देव दीपावली की मुख्य विशेषताएं
गंगा आरती-वाराणसी में देव दीपावली का मुख्य आकर्षण भव्य गंगा आरती है जो गंगा नदी के घाटों पर होती है। घाट, नदी की ओर जाने वाली सीढ़ियाँ, हजारों मिट्टी के दीयों से रोशन हैं, जो एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य पैदा करती हैं। गंगा आरती एक शानदार अनुष्ठान है जहां पुजारी मंत्रों के लयबद्ध जाप और घंटियों की आवाज़ के साथ नदी की पूजा करते हैं।
रंगोली और सजावट-देव दीपावली के दौरान वाराणसी में घरों और सड़कों को जटिल रंगोली डिजाइनों से सजाया जाता है। पूरा शहर जीवंत रंगों और पैटर्न का कैनवास बन जाता है, जिससे उत्सव का माहौल बन जाता है।
नाव जुलूस- उत्सव के एक महत्वपूर्ण हिस्से में गंगा पर सजी हुई नावों का एक भव्य जुलूस शामिल होता है। इन नावों में देवी-देवताओं के खूबसूरती से तैयार किए गए पुतले होते हैं, और नदी रोशनी, संगीत और मंत्रोच्चार के साथ जीवंत हो उठती है।
दीये और लैंप-देव दीपावली दीये और लालटेन जलाने का पर्याय है। लोग अपने घरों, मंदिरों और पूरे शहर को हजारों दीपकों से रोशन करते हैं, जिससे एक दिव्य और आध्यात्मिक माहौल बनता है।
कला और सांस्कृतिक प्रदर्शन- यह महोत्सव विभिन्न कला और सांस्कृतिक प्रदर्शन भी प्रदर्शित करता है। पारंपरिक संगीत, नृत्य और नाटकीय कार्यक्रम होते हैं, जो समग्र उत्सव की भावना को बढ़ाते हैं।
आध्यात्मिक महत्व और पर्यटकों के आकर्षण
देव दीपावली वह समय माना जाता है जब देवता गंगा में स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। भक्तों का मानना है कि इस दौरान पवित्र नदी में डुबकी लगाने से उनके पाप धुल जाते हैं और आशीर्वाद मिलता है। साथ ही देव दीपावली देश और दुनिया भर से पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है। वाराणसी शहर, जो पहले से ही अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, इस त्योहार के दौरान और भी मनमोहक हो जाता है।