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Top News: शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या है अंतर ? क्यों ज्योतिर्लिंग को मोक्ष से जोड़ते है श्रद्धालु

Difference Between Shivling-Jyotirling: आपने अक्सर सुना होगा कि ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना बहुत ही शुभ और अच्छा होता है, लेकिन क्या आपको पता है ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में क्या अंतर है?

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 23 Aug 2024 3:45 PM IST
Difference Between Shivling-Jyotirling
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Difference Between Shivling-Jyotirling (Pic Credit-Social Media)

Shivling and Jyotirling Significance Details: भारत समेत विश्व भर में भगवान शिव का वास है। आपको धरती पर विशेष रूप से भारत में भगवान शिव के कई रूपों के दर्शन होते है, जिसमें ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग प्रमुखता से शामिल है। लेकिन क्या आपको पता है कि शिवलिंग ओर ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर है? आपको शिवलिंग के दर्शन तो आसानी से हो जाते है लेकिन ज्योर्तिलिंग के दर्शन में कठिनाई का सामना क्यों करना पड़ता है? आखिर दोनों के दर्शन में क्या अंतर है? नहीं न तो चलिए हम आपको ये सब जानकारी इस आर्टिकल में देते है।

मूल अंतर यह माना जाता है कि ज्योतिर्लिंगों का निर्माण भगवान शिव ने तब किया था जब वे पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। ज्योतिर्लिंगों में स्वयं भगवान शिव की आत्मा का अंश रहता है और ये मानव निर्मित नहीं हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि ज्योतिर्लिंग वे स्थान हैं जहां शिव प्रकाश पुंज उत्पन्न करने के लिए पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। वहीं दूसरी ओर अन्य मूर्तियों की तरह ही शिवलिंग भी मनुष्य द्वारा बनाए गए हैं।

शिवलिंग(Shivling)

कहा जाता है कि शिवलिंग भगवान शिव के परिवार का प्रतिनिधित्व करता है और इसका अर्थ अनंत है, जिसका न तो कोई आरंभ है और न ही अंत। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा करने से जीवन की समस्याएं हल हो जाती हैं। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है की शिवलिंग प्रकृति में प्राकृतिक रूप की बजे मानव द्वारा निर्मित भी हो सकते है।

ज्योतिर्लिंग (Jyotirling)

ज्योतिर्लिंग शब्द संस्कृत में ज्योति ("चमक") और लिंग ("चिह्न") का संयोजन है। शिव पुराण में कहा गया है कि जहां कहीं भी ज्योतिर्लिंग स्थित होता है, शिव वहां ज्योति या ज्वाला के रूप में प्रकट होते हैं और ज्योतिर्लिंग इसी का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिर्लिंग को "स्वयंभू" या स्वयं निर्मित भी माना जाता है। ज्योतिर्लिंग के कुछ उदाहरणों में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में घृष्णेश्वर मंदिर और आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम पर्वत पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग शामिल हैं।

शिवपुराण में भी उल्लेख है कि भारत में 64 मूल ज्योतिर्लिंग हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां 12 ज्योतिर्लिंग भी हैं जो 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनका विशेष महत्व माना जाता है।

पूरे भारत में 12 ज्योतिर्लिंग है:

गुजरात में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग।

आंध्र में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग।

उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग।

मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग।

केदारनाथ में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग।

महाराष्ट्र में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग।

वाराणसी, यूपी में काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।

नासिक में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग।

वैद्यनाथम ज्योतिर्लिंग, देवघर, झारखंड।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, द्वारका, गुजरात।

रामेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग, रामेश्‍वरम, तमिलनाडु।

गुष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में।

आमतौर पर यह माना जाता है कि, जो लोग इन सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करते हैं उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है और वे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। साथ ही उन्हें उस परम प्रभु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।



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Yachana Jaiswal

Yachana Jaiswal

Content Writer

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