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Diwali 2023: भारत की इन जगहों की दिवाली होती है देखने लायक, मौका मिले तो ज़रूर जाएं एक बार

Diwali 2023: भारत के हर हिस्से में भले ही दिवाली का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता हो लेकिन वहीँ भारत के कई हिस्से ऐसे भी हैं जहाँ इस रोशनी भरे त्योहार को बेहद अलग और अनोखे ढंग से मनाया जाता है।

Shweta Srivastava
Published on: 4 Nov 2023 10:45 AM IST (Updated on: 4 Nov 2023 10:46 AM IST)
Diwali 2023
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Diwali 2023 (Image Credit-Social Media)

Diwali 2023: दिवाली पूरे भारत में एक लोकप्रिय त्योहार है, लेकिन इसमें कई क्षेत्रीय विविधताएं भी शामिल हैं। क्या आप जानते हैं कि भारत के अलग अलग क्षेत्रों में दिवाली अलग तरह से मनाई जाती है। आज हम आपको भारत के अलग अलग क्षेत्रों में कैसे अलग तरह से दीवाली का उत्सव मनाया जाता है बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में।

रत की इन जगहों की दिवाली होती है देखने लायक

भारत में अलग अलग जगहों में स्थानीय उत्सवों से भिन्न दिवाली अनुष्ठानों को देखना और उनमें भाग लेना एक अलग ही अनुभव देगा। लेकिन ऐसा करने के लिए, किसी को इस विशाल देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करनी भी ज़रूरी होती है। इसके लिए आपको इन शहरों के बारे में जानना बेहद ज़रूरी है जिससे आप भी यहाँ जाकर इसका अनुभव लें सकें।

अयोध्या से लेकर जयपुर तक, हर राज्य या क्षेत्र में रोशनी के इस त्योहार को कुछ अनोखे तरीके से मनाने का अपना तरीका है। इस साल दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी। दिवाली पर अपने अलग तरह से इस त्यौहार को मनाने के लिए यहां हम पांच लोकप्रिय भारतीय स्थानों के बारे में यहाँ आपको बताने जा रहे हैं।

अयोध्या (Ayodhya)

Diwali Celebration in Ayodhya (Image Credit-Social Media)

अयोध्या को हमेशा से दिवाली समारोह के केंद्र के रूप में परिभाषित किया जाता रहा है। ये वो शहर, जिसे भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है, 14 साल के वनवास के बाद अपने राजा की वापसी के प्रतीकात्मक रूप से मनाने के लिए दीपों से सजाया जाता है। सरयू नदी के तट पर की जाने वाली विशेष आरती भक्तों और आगंतुकों को समान रूप से आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है। इस साल अयोध्या की दिवाली और भी खास होने वाली है। सरकार का लक्ष्य राज्य वित्त पोषित दीपोत्सव समारोह के दौरान 21 लाख दीये जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाना है। वहीँ राम मंदिर का काम भी काफी हद तक ख़त्म हो गया है जिससे इस बार की दिवाली अयोध्या में और भी ख़ास होगी।

गोवा (Goa)

Diwali Celebration in Goa (Image Credit-Social Media)

जब कोई गोवा के बारे में सोचता है तो उसके ज़हन में क्रिसमस और नए साल के जश्न के बारे में ही ख्याल आता है। लेकिन यहाँ की दिवाली भी देखने लायक है और गोवा के कई हिंदू नरक चतुर्दशी मनाकर दिवाली मनाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, नरकासुर ने देवी भूदेवी से वरदान मांगा। वो चाहता था कि लोग उनकी मृत्यु का जश्न रंगारंग समारोहों के साथ मनायें। जिसके बाद उसे ये वरदान मिला। इसलिए दिवाली के दिन कई समुदाय नरकासुर के पुतले बनाते हैं और फिर उन्हें जलाते हैं। इनमें से कई पुतले कई फीट ऊंचे होते हैं और सार्वजनिक कार्यक्रमों या मेलों के दौरान जलाए जाते हैं। ऐसा ही कुछ गोवा में आपको देखने को मिलेगा।

जयपुर (Jaipur)

Diwali Celebration in Jaipur (Image Credit-Social Media)


जयपुर में दिवाली उत्सव धनतेरस से शुरू होता है, जो दिवाली से दो दिन पहले आता है। पूरे शहर को रोशनी से सजाया जाता है। ऊपर से जयपुर के आश्चर्यजनक और रोशनी वाले शहर के दृश्य का आनंद लेने के लिए आपको सुसज्जित नाहरगढ़ किले पर जाना होगा। दिवाली पर जल महल, जौहरी बाजार और चौड़ा रास्ता जैसे स्थल और बाजार का नज़ारा देखने वाला होता है जो दिवाली के दौरान बेहद खूबसूरत नज़र आते हैं।

अमृतसर (Amritsar)


Diwali Celebration in Amritsar (Image Credit-Social Media)


सिखों का पवित्र शहर अमृतसर, स्वर्ण मंदिर के लिए जाना जाता है। हालाँकि, शहर विशेष रूप से दिवाली के दौरान एक और त्योहार भी मनाता है जिसे सिख बड़ी धूम धाम से मानते हैं इसका नाम है बंदी चोर दिवस । बंदी चोर दिवस गुरु हरगोबिंद और 52 अन्य कैदियों की ग्वालियर किले से रिहाई की याद में मनाया जाता है, जहां उन्हें मुगल राजा जहांगीर ने कैद किया था। सिख त्योहार घरों को रोशन करके, मिठाइयाँ बाँटकर और कीर्तन आयोजित करके मनाया जाता है। दिवाली के दौरान अमृतसर में हिंदू और सिख परंपराओं की ओवरलैपिंग देखना दिलचस्प होता है।

वाराणसी (Varanasi)


Diwali Celebration in Varanasi (Image Credit-Social Media)


वाराणसी देव दीपावली मनाने के लिए जाना जाता है, जो राक्षस त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की जीत को समर्पित त्योहार है। इस विशिष्ट दीपावली का अनुभव आपको एक बार तो ज़रूर करना चाहिए, जिसके दौरान भक्त सुबह गंगा नदी के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। शाम तक गंगा तट पर रविदास घाट की सीढ़ियाँ दस लाख से अधिक मिट्टी के दीयों से रोशन हो जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि देव दीपावली के दौरान, देवता पवित्र नदी गंगा का सम्मान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं।



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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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