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Duniya Ka Sabse Bada Mandir: इस देश में मौजूद है विश्व का सबसे बड़ा और सबसे खूबसूरत हिन्दू मंदिर, जहां अब हिन्दुओं की बहुत कम बची है संख्या
Angkor Wat Hindu Mandir History: कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर इटली के पोम्पई को पिछाड़कर दुनिया का 8वां अजूबा बन गया है। यह मंदिर हिन्दूओं के सांस्कृतिक धरोहर का पहचान है।
Duniya Ka Sabse Bada Mandir: सनातन धर्म जिसे हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप में मान्यता प्राप्त है। जिसके साक्ष्य के तौर पर भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में भी हिन्दू धर्म के अनगिनत चिह्न मिलते हैं। पूरी दुनिया में हिंदू धर्म को मानने वाले तकरीबन 1.2 अरब लोग रहते हैं। जो पूरी दुनिया की आबादी के 15 फीसदी है। इसमें सबसे ज्यादा लोग भारत में रहते हैं। यह धर्म, ज्ञात रूप से लगभग 12000 वर्ष पुराना है। जबकि कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिंदू धर्म 90 हजार वर्ष पुराना है। यही वजह है दुनिया के हर कोने में इस संस्कृति से जुड़े प्रतीक आज भी मौजूद हैं। जिसमें दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित एक देश कंबोडिया का भी नाम आता है। इस विदेशी धरती पर आज भी हजारों की तादात में लोग हिंदू धर्म का पालन करते हैं।
बौद्ध बाहुल्य राष्ट्र में अल्पसंख्यक हिंदू धर्म होने के बावजूद, यह खमेर साम्राज्य के तहत प्रमुख धर्म होने के साथ कंबोडिया की विशाल संस्कृति और इतिहास को अत्यधिक प्रभावित करता है। यही वजह है कि कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर (Angkor Wat Hindu Temple In Cambodia) इटली के पोम्पई को पिछाड़कर दुनिया का 8वां अजूबा बन गया है। यह मंदिर हिन्दूओं के सांस्कृतिक धरोहर का पहचान है। विश्व विरासत स्थलों (World Heritage Sites) में शामिल अंगकोर वाट मंदिर कंबोडिया देश में मीकांग नदी (Mekong River) के किनारे सिमरिप नगर में अंकोर नामक स्थान पर स्थित है। इसका पुराना नाम ‘यशोधर पुर’ था।
इस अद्भुत मंदिर परिसर को देखकर भारतीय संस्कृति और स्थापत्य कला के बारे में जानकारी प्राप्त होती है कि इसका विस्तार और प्रभाव कहां तक था। इतिहास के बड़े-बड़े सम्राट अपने राज्यों में अनेकों मंदिरों का निर्माण करवाते रहे हैं। ऐसा ही मंदिर कंबोडिया (Cambodia) में भी है। सैकडों वर्ष पुराना इस मंदिर का निर्माण राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने करवाया था। अंकोरवाट मंदिर भगवान विष्णुजी को समर्पित है।
वर्ल्ड हेरिटेज साइट लिस्ट में शामिल है यह मंदिर
अंकोरवाट यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट लिस्ट (UNESCO World Heritage Site List) में शामिल दुनिया का सबसे विशाल हिंदू मंदिर (Hindu Mandir) है। मंदिर के दिवारों पर विभिन्न हिंदू ग्रंथों में उल्लेखित विभिन्न प्रसंगों का विस्तार से चित्रण किया गया है। यह मंदिर कुल 401 एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्रफल में फैला है।
कंबोडिया का इतिहास (Cambodia History In Hindi)
बताया जाता है कि सालों पहले कंबोडिया में हिन्दू धर्म था। पहले इसका संस्कृत नाम कंबुज (Kambuj) या कंबोज (Kamboj) था। कंबोज की प्राचीन कथाओं के मुताबिक, उपनिवेश की नींव आर्यदेश के राजा कंबु स्वयांभुव ने रखी थी। भगवान शिव की प्रेरणा से राजा कंबु स्वयांभुव कंबोज देश आए। उन्होंने यहां की नाग जाति के राजा की मदद से इस जंगली मरुस्थल पर राज्य बसाया। नागराज की अद्भुत जादूगरी से मरुस्थल हरे भरे, सुंदर प्रदेश में बदल गया। कथाओं के मुताबिक, कंबु ने नागराज की कन्या से शादी कर ली और कंबुज राजवंश की नींव डाली थी। लेकिन यहां पर विदेशियों की नजर पड़ी और उन्होंने यहां रहने वाले हिन्दू लोगों का तलावर के दम पर धर्म परिवर्तन करा दिया। यहां के लोग अभी भी दिल से खुद को हिंदू ही मानते हैं।
कंबोडिया से जुड़ी ये भी जानकारी मिलती है कि वर्तमान समय में जिसे कंबोडिया, जिसका प्राचीन नाम कम्बुज था। कम्बुज राज्य में खमेर साम्राज्य था। खमेर भाषा में अंकोर शब्द का अर्थ राजधानी होता है। खमेर साम्राज्य लगभग 9वीं शताब्दी से 15वीं शताब्दी तक अपने उत्कर्ष पर था। जबकि 1975 से 1979 तक, कंबोडिया ने अपने इतिहास में सबसे हिंसक और घातक वर्ष देखे। खमेर रूज के नाम से भी जानी जाने वाली कंपूचिया की कम्युनिस्ट पार्टी के दमनकारी शासन के तहत, कंबोडियाई लोगों ने 20वीं सदी के सबसे क्रूर नरसंहारों में से एक का अनुभव किया। मरने वालों की संख्या का अनुमान 7 मिलियन की कुल आबादी में से 1.5 से 2.2 मिलियन लोगों के बीच है।
खमेर रूज ने लगभग अभूतपूर्व पैमाने पर मानवाधिकारों का हनन किया। परिवारों को इस तरह से तोड़ दिया गया कि छोटे बच्चों सहित सभी को जबरन श्रम शिविरों में भेजा जा सके। लोगों को सुबह से लेकर देर रात तक खेतों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता था, खाने के लिए अपर्याप्त भोजन के चलते उनमें से कई भुखमरी और कुपोषण से मर गए। लगभग हर कंबोडियाई ने अपने परिवार के कम से कम एक सदस्य को खो दिया। कई बेघर, विकलांग, सदमे में आ गए। उनके पास अपने देश से भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
आज भी कंबोडिया में बड़ी संख्या में हिंदू और बौद्ध मंदिर हैं, जो इस बात की गवाही देते हैं कि कभी यहां भी हिंदू धर्म अपने चरम पर था। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि अब कंबोडिया में हिंदुओं की संख्या बहुत कम है। कंबोडिया में हिंदू धर्म एक अल्पसंख्यक धर्म है जिसका पालन लगभग 1,000 से 15,000 व्यक्ति करते है। मौजूदा समय में कंबोडिया के दो सबसे बड़े उद्योग कपड़ा और पर्यटन हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कई कम्बोडियनों के लिए कृषि गतिविधियाँ आय का मुख्य स्रोत बनी हुई हैं।
दुनिया में लोकप्रिय है अंकोरवाट का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर (Angkor Wat Hindu Mandir)
विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर परिसर तथा विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक कंबोडिया (Cambodia) में स्थित है। यह कंबोडिया के अंकोर (Angkor) में है। अंकोर शब्द संस्कृत के नगर शब्द से बना है। इस मंदिर का निर्माण कार्य सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (1112-53ई.) के शासनकाल में हुआ था। तथा मंदिर का पूरा निर्माण सम्राट जयवर्मन सप्तमी ने करवाया था। अंकोरवाट मंदिर परिसर के अंदर 45 से अधिक अलग-अलग मंदिर है। इसके अतिरिक्त कंबोडिया में बड़ी संख्या में हिन्दू और बौद्ध मंदिर हैं। अंकोरवाट के हिंदू मंदिरों पर बाद में बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा। विद्वानों के अनुसार, यह चोल वंश के मंदिरों के जैसा भी मिलता जुलता दिखाई देता है।
कहा जाता है कि खमेर साम्राज्य में इसका निर्माण हुआ था। कंबोडिया में अंकोरवाट के अलावा ताप्रोहम मंदिर भी मुख्य हिंदू मंदिर है। एएसआई ही इसका जीर्णोद्वार कर रहा है, जिसके जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है। कंबोडिया में जो अन्य प्रसिद्ध मंदिर हैं, इनमें बंटेय श्रेई, वाट एक नोम, प्रसात बनन मंदिर और अंकोर थोम है।
अंकोरवाट मंदिर परिसर की खूबियां
कला के एक बेहरतीन नमूने के तौर पर विश्व के इस सबसे विशाल मंदिर को देखने के लिए वर्ष भर श्रद्धालुओं और पर्यटकों का जमघट मौजूद रहता है। अंकोरवाट मंदिर की कलाकृतियों में विभिन्न देशों के सभ्यताओं के धरोहर की आकृतियों का समुच्चय दिखाई देता है। मिश्र व मैक्सिको के स्टेप पिरामिडों की तरह यह सीढ़ी पर उठता गया है। इसका मूल शिखर लगभग 64 मीटर ऊंचा है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी आठों शिखर 54 मीटर ऊंचे हैं। मंदिर साढ़े तीन किलोमीटर लंबी पत्थर की दीवार से घिरा हुआ, उसके बाहर 30 मीटर खुली भूमि और फिर बाहर 190 मीटर चौड़ी खाई है। पहले के समय लोकतंत्र नही राजशाही नियम चलने के कारण कई बार अचानक हमले हुआ करते थे। इसलिए मंदिर को बचा कर रखने के लिए और शत्रु मंदिर की सीमा तक जल्दी पहुंच न सके इस मंदिर की रक्षा के लिए चारों तरफ गहरी खाई का निर्माण करवाया गया था। जिसकी चौड़ाई लगभग 700 फुट गहरी है।
यही वजह है कि ये मंदिर दूर से देखने से ऐसा लगता है मानो यह खाई रूपी झील से घिरा हुआ है। मंदिर के पश्चिम की ओर इस खाई को पार करने के लिए एक पुल बनाया गया है। पुल के पार मंदिर में प्रवेश के लिए एक विशाल द्वार है। यहां भगवान विष्णु जो अपने वाहक गरुड़ पर विराजमान है, वो बहुत ही अदभुत और खूबसूरत दिखाई पड़ता है। इसके अलावा कंबोडिया के कई शिलालेखों में माह, दिन और नक्षत्र का उल्लेख किया गया है. इसमें से एक के-842 इसलिए दुर्लभ है क्योंकि इस पर नवग्रहों की स्थिति दर्शायी गई है। भारतीय समाज में पूर्वकाल से ही सूर्य को कई नामों से पुकारा जाता रहा है। कंबोडिया के 7वीं से 12वीं सदी के अभिलेश में भी सूर्य से संबंधित नाम मिलते हैं। इससे पता चलता है वहां भी सूर्य को लेकर काफी सम्मान था।
मंदिर की दीवारें रामायण और महाभारत जैसे हिंदू महाकाव्यों को दर्शाती है। अंकोरवाट मंदिर बहुत विशाल है और यहां के शिलाचित्रों में रामकथा बहुत संक्षिप्त रूप से दिखाई पड़ती है। मंदिर के दीवारों में माता सीता और भगवान श्रीराम के विवाह, हिरण पर तीर धनुष के चित्रण , सुग्रीव भगवान श्रीराम के मिलन, रावण वध, जैसे और अनेक कला चित्रों को देखने मिलेगा। स्वर्ग-नरक, समुद्र मंथन, देव-दानव युद्ध, जैसे बहुत से पुराणों के बारे में जानकारी प्राप्त किया जा सकता है। इस मंदिर की दीवारों पर अप्सराओं, असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन का चित्रण है। यह मंदिर मेरु पर्वत (Meru Parvat) का प्रतीक है। पत्थरों पर बड़ी ही कारीगरी से उकेरी गईं इन कलाकृतियों को देखकर आज भी लोग अचंभित हुए बिना नहीं रहते।
भारत और कंबोडिया के बीच संबंधों की जड़े भारत से निकले हिंदू और बौद्ध धर्म के सांस्कृतिक प्रभावों से ओतप्रोत हैं। यही वजह है कि भारत दुनिया के पहला लोकतांत्रिक देश था, जिसने कंबोडिया में नई सरकार को मान्यता दी थी। साल 1981 में भारत ने यहां अपने राजनयिक मिशन को दोबारा खोला था। कंबोडिया भारत के इस योगदान की काफी सराहना करता है।
कैसे पहुंचे कंबोडिया (How To Reach Cambodia)
भारत से कंबोडिया जाने का सबसे बेहतर तरीका हवाई यात्रा है। भारत और कंबोडिया के बीच की हवाई दूरी लगभग 2974 किमी है। सड़क की दूरी लगभग 4728.9 किमी है। हवाई यात्रा के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु से फ्लाइट मिल जाती है। जहां से कंबोडिया से अंकोरवाट जाने के लिए बस या फिर कैब दोनों तरह की सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं।