Dussehra 2023: भारत में एक ऐसी जगह जहाँ नहीं होता रावण दहन, जानिए क्या है इसकी वजह

Dussehra 2023: हिंदू भक्त दशहरा के दिन रावण का पुतला बनाकर फूकते हैं। लेकिन भारत में एक ऐसी जगह भी है जहाँ रावण का पुतला नहीं फूका जाता।

Shweta Srivastava
Published on: 18 Oct 2023 7:45 AM GMT (Updated on: 18 Oct 2023 9:04 AM GMT)
Dussehra 2023
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Dussehra 2023 (Image Credit-Social Media)

Dussehra 2023: दशहरा एक हिंदू त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। ये अश्विनी माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि त्रेतायुग में भगवान राम ने अपनी पत्नी देवी सीता की मुक्ति के लिए रावण का वध किया था। इस दिन मानवता की जीत का जश्न मनाने के लिए, हिंदू भक्त इस दिन रावण का पुतला बनाकर फूकते हैं। इसे सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है। लेकिन भारत में एक ऐसी जगह भी है जहाँ रावण का पुतला नहीं फूका जाता।

यहाँ नहीं होता रावण दहन

इस साल लोग इस दिन रावण दहन की सही तारीख और समय को लेकर असमंजस में हैं। कुछ का मानना ​​है कि ये 23 अक्टूबर है जबकि अन्य का दावा है कि दशहरा के लिए 24 अक्टूबर सही तारीख है। इस संबंध में आइये जानते हैं एक्सपर्ट क्या कहते हैं।

आपको बता दें कि इस साल 24 अक्टूबर को रावण दहन मनाया जाएगा। वहीँ अगर समय की बात करें तो रावण दहन का शुभ मुहूर्त शाम 5:22 बजे से शुरू होगा और शाम 6:59 बजे तक रहेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक 24 अक्टूबर को दो शुभ योग भी बन रहे हैं जिसके कारण इस दिन को दशहरा उत्सव के लिए उपयुक्त दिन माना जा रहा है. पहला है रवि योग जबकि दूसरा है वृद्धि योग। ये रावण दहन के लिए शुभ संयोग माने गए हैं।

विजयादशमी के दिन रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाद और भाई कुम्भकर्ण का भी दहन किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण दहन पूरे भारत में होता है लेकिन देवघर में नहीं। इसके पीछे ये है कि त्रेता युग में रावण ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें अपने गृहनगर लंका आने को कहा। भगवान शिव सहमत हो गए और कैलाश से लंका जाने का फैसला किया। जब रावण भगवान शिव को शिव लिंग के रूप में कैलाश से लंका ले जा रहा था, तो माना जाता है कि देवताओं के षड़यंत्र के कारण शिव लिंग को देवघर में स्थापित करवाने का प्रयास किया गया था। जिसमे वो सफल भी रहे यही वजह है की लोग रावण के कारण ही भगवान शिव की पूजा कर पाए और इसलिए वे रावण को नहीं जलाते।

इस दिन लोग अपने घरों में पूजा करते हैं और उत्सव के कपड़े पहनते हैं। कई रामलीला कार्यक्रम बड़े स्टेडियमों और मैदानों में भी आयोजित किये जाते हैं। इस दिन लोग दुर्गा पूजा में भी शामिल होते हैं।

Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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