Mount Everest Trekking Tips: आसान नहीं है एवरेस्ट को चढ़ाई, यहां जानें ट्रेकिंग के समय से लेकर जरूरी चीजों की सारी जानकारी

Mount Everest Trekking Tips : एवरेस्ट एक ऐसा सबसे ऊंचा पॉइंट है जहां कई लोग ट्रैकिंग करके पहुंचते हैं। एवरेस्ट की चढ़ाई करना उतना भी आसान नहीं है। चलिए आज इस बारे में जानते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 3 Jun 2024 4:01 AM GMT
Mount Everest Trekking Tips
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Mount Everest Trekking Tips (Photos - Social Media) 

Mount Everest Trekking Tips : माउंट एवरेस्ट हिमालय पर्वत श्रृंखला की एक चोटी है। यह नेपाल और तिब्बत के बीच स्थित है, जो चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र है। 8,849 मीटर (29,032 फीट) की ऊंचाई पर, इसे पृथ्वी पर सबसे ऊंचा बिंदु माना जाता है। उन्नीसवीं सदी में, इस पर्वत का नाम भारत के पूर्व सर्वेयर जनरल जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया था। तिब्बती नाम चोमोलुंगमा है, जिसका अर्थ है "विश्व की देवी माँ।" नेपाली नाम सागरमाथा है, जिसके कई अर्थ हैं।

सब से पहले किसने की चढ़ाई (Who Climbed First?)

एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति एडमंड हिलेरी ( न्यूजीलैंड के एक पर्वतारोही ) और उनके तिब्बती गाइड तेनजिंग नोर्गे थे। वे 1953 में पहाड़ पर चढ़े और दोनों ने मिलकर रिकॉर्ड बनाया। एवरेस्ट की ऊंचाई का पहला रिकॉर्ड बहुत पहले, 1856 में आया था। ब्रिटिश सर्वेक्षकों ने भारतीय उपमहाद्वीप के अपने महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण में दर्ज किया कि एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है।

Mount Everest Trekking Tips


माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना (Climbing Mount Everest)

हालाँकि माउंट एवरेस्ट में ऊँचाई से होने वाली बीमारी, मौसम और हवा जैसे खतरे मौजूद हैं, लेकिन कई अनुभवी पर्वतारोही और साहसी लोग इसके शिखर पर पहुँचने का सपना देखते हैं। चढ़ाई शुरू करने के लिए दो बेस कैंप हैं। नेपाल से दक्षिण-पूर्वी रिज काठमांडू से लगभग 100 किलोमीटर (62 मील) की दूरी पर स्थित है, और तिब्बत से उत्तरी रिज ल्हासा से लगभग 300 किलोमीटर (190 मील) की दूरी पर स्थित है । नेपाल में छुट्टियां मनाने आए उन लोगों के लिए जो चढ़ाई नहींf करना चाहते, तिब्बत और नेपाल दोनों में विभिन्न ट्रेकों से माउंट एवरेस्ट के लुभावने दृश्य देखे जा सकते हैं, जो इसे जीवन के सबसे अविस्मरणीय अनुभवों में से एक बनाते हैं।

शीर्ष तक जाने के कितने मार्ग हैं? (How Many Ways Are There To Reach The Top?)

हालांकि एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने के लिए 17 अलग-अलग रास्ते बताए गए हैं, लेकिन लगभग सभी लोग दो में से किसी एक रास्ते से ही इस पर चढ़ते हैं। नेपाल से दक्षिण-पूर्व रिज है, जो 1953 में तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी द्वारा बनाई गई रेखा है। तिब्बत से उत्तरी रिज है, जहां 1924 में जॉर्ज मैलोरी गायब हो गए थे, उसके बहुत पहले ही एक चीनी टीम ने 1960 में चढ़ाई पूरी कर ली थी। अगर आप माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के बारे में सोच रहे हैं तो इसके लिए सिर्फ जोश और जुनून ही काफी नहीं है बल्कि कुछ तैयारी होना भी बहुत जरूरी है। चलिए आज हम आपको इस बारे में जानकारी देते हैं।

Mount Everest Trekking Tips


समय - एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचने में काम से कम 12 से 15 दिन का वक्त लगता है। इस दौरान 13 दिनों में लगभग 130 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। जून से सितंबर तक का समय ट्रैकिंग के लिए बेस्ट है।

खर्चा - एवरेस्ट पर ट्रैकिंग करने के लिए आपको 50000 से ₹100000 खर्च करने कर सकते हैं। यह सिर्फ ट्रैकिंग का खर्चा काठमांडू से परमिट लेकर लुक्ला तक पहुंचने का खर्चा आपको अलग से उठाना होगा।

इन बातों का रखें ध्यान - अगर आप पहली बार एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए जा रहे हैं तो आपको किसी ट्रैकिंग कंपनी के साथ ही जाना चाहिए। अकेले ये रिस्की हो सकता है।आपको अपना ट्रैवल इंश्योरेंस जरूर करवा लेना चाहिए।

अपने साथ कैश ले जाना बिल्कुल भी ना भूलें।

ट्रैकिंग करते समय आपको हल्का भोजन खाना चाहिए। इसके लिए शाकाहारी खाना बेस्ट ऑप्शन है।

खाने के अलावा अपने साथ हमेशा जरूरी दवाइयां रखें।

Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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