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Famous Shiv Mandir: महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है यह शिव मंदिर जिसका पुराणों में उल्लेख, जानिए इसका इतिहास

Famous Ramanathaswamy Shiv Mandir: रामनाथस्वामी शिव मंदिर (Ramanathaswamy Shiv Temple) भारत के तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम नगर में स्थित है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण स्थल है और हिंदू धर्म के लक्ष्यों में से एक है। इस मंदिर में संगठन की गई राधा कोट समारोह नामक प्रतिष्ठा अवसर के दौरान केवल महिलाएं ही प्रवेश कर सकती हैं। इसलिए इसे भारतीय महिलाओं की एकता और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक माना जाता है।

Vertika Sonakia
Published on: 13 July 2023 3:36 AM GMT
Famous Shiv Mandir: महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है यह शिव मंदिर जिसका पुराणों में उल्लेख, जानिए इसका इतिहास
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Famous Ramanathaswamy Shiv Mandir (Photo: Social Media)

Famous Ramanathaswamy Shiv Mandir: रामनाथस्वामी शिव मंदिर (Ramanathaswamy Shiv Temple) भारत के तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम नगर में स्थित है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण स्थल है और हिंदू धर्म के लक्ष्यों में से एक है। यह मंदिर हिंदू धर्म के दो सबसे पवित्र स्थलों में से एक है, जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ इसे दर्शन करने आती है।

रामनाथस्वामी मंदिर का निर्माण श्री राम चंद्र और उनके शिष्य श्री शंकराचार्य द्वारा किया गया था। यह मंदिर एक प्यारे वीरभद्र स्थल के पास स्थित है, जहां परंपरागत रूप से कहा जाता है कि रामेश्वरम के राजा भगीरथ शिव भगवान की उपासना करते थे। इसलिए इस मंदिर को रामेश्वरम के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर के भीतर एक विशाल शिवलिंग स्थापित है, जिसे रामनाथस्वामी शिवलिंग के रूप में जाना जाता है। यह माना जाता है कि श्री राम ने यहां इस शिवलिंग की पूजा की थी। मंदिर के द्वारपाल (गेटकीपर) नंदि हैं, जिन्हें देवताओं का गाड़ी माना जाता है।

इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह भारतीय मूल की महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस मंदिर में संगठन की गई राधा कोट समारोह नामक प्रतिष्ठा अवसर के दौरान केवल महिलाएं ही प्रवेश कर सकती हैं। इसलिए इसे भारतीय महिलाओं की एकता और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक माना जाता है।
रामनाथस्वामी शिव मंदिर भारतीय धार्मिक साहित्य, कला और इतिहास का महत्वपूर्ण संग्रहालय भी है। यहां परंपरागत रूप से संग्रहीत कलात्मक आभूषण, प्रतिमाएं और पूजा सामग्री देखी जा सकती हैं। इसके अलावा, यहां श्रद्धालुओं के लिए निर्मित कुंडों में स्नान करने का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।

रामनाथस्वामी शिव मंदिर का इतिहास

रामनाथस्वामी शिव मंदिर का इतिहास विशाल है और इसका मान्यता से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर का निर्माण बहुत साल पहले, श्री राम चंद्र और उनके शिष्य, श्री शंकराचार्य द्वारा किया गया था। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना करने से पहले, श्री राम ने यहां एक पवित्र शिवलिंग की पूजा की थी।
यह मान्यता सामान्यतः हिन्दू धर्म के ग्रंथ "रामायण" में वर्णित है। रामायण के अनुसार, श्री राम ने भगीरथ के साथ भगवान शिव की प्रार्थना की थी ताकि उनकी अग्नि अंग भगीरथ के अंतर्गत मिल सके। इसके बाद भगवान शिव ने श्री राम को शिवलिंग की पूजा करने का उपदेश दिया और रामनाथस्वामी मंदिर की स्थापना हुई।
इस मंदिर के निर्माण में दो प्रमुख भूमिका रही हैं। पहली भूमिका राजा रामेश्वरम की है, जिन्होंने यहां शिव भगवान की पूजा करते थे और मंदिर का संरक्षण किया। दूसरी भूमिका शंकराचार्य की है, जिन्होंने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और इसे वर्तमान स्थिति में पहुंचाया।

मंदिर का इतिहासिक महत्व इसे एक प्रमुख तीर्थस्थल बनाता है। लोग यहां पूजा-अर्चना करने, स्नान करने और धार्मिक कार्यों को पूरा करने के लिए आते हैं। इसके अलावा, यह मंदिर भारतीय संस्कृति, कला और धर्म के प्रमुख केंद्रों में से एक है। इसकी मार्गदर्शन में प्रवेश करने से लोग इसके ऐतिहासिक महत्व को अनुभव करते हैं और धार्मिक भावना से प्रभावित होते हैं।

रामनाथस्वामी शिव मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य

1) रामनाथस्वामी शिव मंदिर रमेश्वरम में एक अद्वितीय स्थान है और इसमें कई रोचक तथ्य हैं।

2) मंदिर की भव्य शिखर उच्चतम संप्रदायिक शिखरों में से एक है। इसकी ऊँचाई लगभग 53 मीटर (170 फुट) है।

3) मंदिर का मुख्य गोपुरम यानि प्रमुख प्रवेश द्वार के मध्य एक विशेष गोले वाले बंगले विकसित है, जिसे चरित्रित किया गया है। यह भारतीय वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है।

4) मंदिर के भीतर स्थित एक कुंड को "आग्निकुंड" कहा जाता है, जिसे मान्यता से भगवान राम ने श्रद्धा के साथ निर्माण किया था। यह कुंड राम सेतु नदी के संपर्क में स्थित है।

5) मंदिर के अंदर एक विशेष पवित्र कुंड है, जिसे "हनुमान कुंड" कहा जाता है। यह कुंड श्री राम चंद्र और हनुमानजी के संबंध को स्मरण कराता है। मान्यता है कि हनुमानजी ने इस क्षेत्र में विश्राम किया था और उनकी कृपा से यहां उपस्थित हनुमान कुंड बना।

6) मंदिर के भीतर एक अन्य रोचक स्थान है, जिसे "सेठु बांधन" कहा जाता है। यह एक पावर लाइन का संकेत है, जो श्री राम चंद्रजी द्वारा बनाई गई थी ताकि लंका को भारतीय मूलभूत संप्रदाय से जोड़ा जा सके।

7) मंदिर के निकटवर्ती समुद्र तट पर एक पवित्र तीर्थ स्थान है, जिसे "अग्नितीर्थ" कहा जाता है। यहां श्रद्धालुओं को पवित्र स्नान करने का अवसर मिलता है।

8) रामेश्वरम में स्थित रामनाथस्वामी शिव मंदिर, चार धामों में से एक है और चार धाम यात्रा का महत्वपूर्ण स्थल है। हिन्दू धर्म के श्रद्धालुओं के लिए यहां जाना जानेवाला यात्रा स्थल है, जहां वे धर्मिक संस्कार और पूजा-अर्चना करते हैं।

9) यह भव्य मंदिर 1000 फुट लम्बा और 650 फ़ीट चौड़ा है। 50 फुट ऊंचे दो पत्थरों पर एक लम्बे पत्थर को लगाकर इसका निर्माण किया गया है।

10) रामनाथस्वामी शिव महदीर के निर्माण कार्य के लाइट श्रीलंका से हैरत पत्थर लाये गए थे।

कैसे पहुंचे रामनाथस्वामी शिव मंदिर

•हवाई जहाज़: रामेश्वरम के पास मदुरै अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा स्थित है, जिससे आप मदुरै आकर अपने मंज़िल को पूरा कर सकते हैं। उसके बाद, आपको टैक्सी, बस या यात्रा एजेंसी के जरिए रामेश्वरम को पहुंचना होगा।

•रेल: रामेश्वरम रेलवे स्टेशन भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप मदुरै से रेल यात्रा करके रामेश्वरम रेलवे स्टेशन पर पहुंच सकते हैं। इसके बाद, आप एक टैक्सी या रिक्शा का उपयोग करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

•बस: तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम (TNSTC) और निजी वाणिज्यिक ओपरेटरों द्वारा चलाई जाने वाली बस सेवाएं भी रामेश्वरम तक जाती हैं। आप मदुरै या अन्य प्रमुख शहरों से बस सेवाओं का उपयोग करके रामेश्वरम तक पहुंच सकते हैं।

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