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Gorakhpur Famous Rabadi: गोरखपुर की फेमस बुद्धू की रबड़ी का अजब है स्वाद
Buddhu ki Famous Rabadi: उत्तर प्रदेश में खाने के बाद मीठा खाना एक रिवाज है, इस रिवाज़ में चार चांद लगाता है रबड़ी जलेबी का स्वाद, यहां हम आपको गोरखपुर के एक प्रसिद्ध रबड़ी की दुकान के बारे में बताने जा रहे है...
Buddhu ki Famous Rabadi In Gorakhpur: उत्तर प्रदेश में खाने के बाद मीठा खाना एक रिवाज है, इस रिवाज़ में चार चांद लगाता है रबड़ी जलेबी का स्वाद, यहां हम आपको गोरखपुर के एक प्रसिद्ध रबड़ी की दुकान के बारे में बताने जा रहे है। गोरखपुर में मिठाई की बहुत सी दुकानें आपको मिलेंगी। लेकिन हम आपको रबड़ी की एक ऐसी दुकान के बारे में बताने जा रहे है जो दिन में न खुलकर केवल रात में ही खुली रहती है। रात में खुलने के बाद भी यहां ग्राहकों की लंबी कतार लगी रहती है। यहां मिलने वाली रबड़ी का स्वाद ही कुछ ऐसा है कि लोग आपने आप यहां खिंचे चले आते हैं।
इस लोकेशन पर मिलती है स्वादिष्ट रबड़ी
यूपी के मुख्यमंत्री का गढ़, गोरखपुर शहर में एक बहुत ही पुराना मोहल्ला है। जिले के आर्यनगर में दूध वाली रबड़ी की एक ऐसी दुकान है, जो दिन में नहीं सूरज ढलने के बाद शाम में सजती है और 6 से 7 घंटे के अंदर अपने ग्राहक को रबड़ी खिलकार रात 12 बजे बंद हो जाती है। रात में खुलने के बावजूद यहां पर कभी भी ग्राहक की भीड़ में कमी नहीं होती। दरअसल यहा पर मिलने वाली रबड़ी का स्वाद ही कुछ ऐसा है।
नाम – बुद्धू की रबड़ी
लोकेशन: बुद्धू की रबड़ी, आर्य नगर चौराहे के पास, गोरखपुर
70 बरस से ज्यादा पुरानी है दुकान
लजीज स्वाद और गजब मिठास के साथ यह रबड़ी दो-चार वर्ष नहीं बल्की कुल सात दशक से मीठे स्वाद के शौकीनों की जुबां पर लगकर आदत बन गई है। यह दुकान पूरे शहर और जिले भर में बुद्धू की रबड़ी के नाम से मशहूर है। गौरतलब है कि जिनके नाम पर यह दुकान है, वे बुद्धू करीब आज से तीन दशक पहले ही दुनिया को अलविदा कह कर दुनिया से अलविदा ले चुके हैं लेकिन उनके नाम का जलवा इस दुकान के रबढ़ी पर आज भी साफतौर पर देखा जा सकता है।
परिवार चलाता है विरासत की दुकान
वर्तमान में इस दुकान पर दुकान के मालिक बुद्धू के पुत्र विनोद यादव उर्फ लल्लू बैठते हैं। जो अपने पापा कि दुकान जोकि विरासत में मिली है उस साख को हर हाल में बनाए रखने का प्रयास रखते है। रात में ही दुकान खोलने की वजह उनकी प्रतिबद्धता है। लल्लू दिन में पूरे मन से रबड़ी बनाते है, शाम को उसे दुकान पर सजाकर लोगों को खिलाते हैं। उनका कहना है कि दिन में ही दुकान खोलनी पड़े तो रबड़ी जल्दबाजी में बनानी पड़ेगी। जिससे उसकी गुणवत्ता बिगड़ सकती है। इनकी दुकान देर शाम आठ बजे खुलती है और तभी से देर रात ग्राहकों की कतार लगी रहती है। इस दुकान में बुद्धू के परिवार लगकर काम करते है।
नहीं होता ग्राहकों के बीच भेदभाव
इस दुकान पर कभी भी ग्राहकों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता है। पहले बुद्धू और अब लल्लू ग्राहकों के बीच बिल्कुल भेद नहीं करते है। दुकान के सफलता के पीछे एक यह वजह भी है। यहां पर आप चाहे 10 रुपये की रबड़ी लेने आए या 500 की, दुकान पर सबको एक समान ट्रिट किया जाता है। यहां पहले आने-पहले पाने के सिद्धांत का भी पूरी प्रतिबद्धता से पालन किया जाता है।