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Door to Hell Mystery: इस रहस्यमयी मंदिर में क्यों छाया रहता है मौत का धुआं, गर्म खौलते सैलाबों का क्या है इतिहास

Turkey Ka Rahasyamayi Mandir: मौत की नींद सुलाने वाला यह स्थल तुर्की के प्राचीन शहर हेरापॉलिस में स्थित है। यहां स्थित धुंवें से डूबी गुफा नुमा मंदिर के बाहर एक दरवाजा नजर आता है

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 6 Nov 2024 8:15 AM IST (Updated on: 6 Nov 2024 8:16 AM IST)
Turkey Door to Hell Mystery
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Turkey Door to Hell Mystery

Turkey Door to Hell Mystery: पूरी दुनिया अजब गजब रहस्यों से भरी पड़ी है। जिन्हें जानकर लोगों को हैरत होगी। इसी कड़ी में आपको एक ऐसी ही जगह से जुड़ी जानकारी देने जा रहें हैं, जहां मौत का धुवां हमेशा पसरा रहता है। कहा जाता है कि इस जगह पर जाने वाले कभी लौटकर जिंदा वापस नहीं आए। इस जगह पर कई लोगों ने आने की कोशिश की और मौत की नींद सो गए। ऐसे ही यहां अब तक अनगिनत इंसानों और पशु पंछियों की रहस्मयी मौत हो चुकी है। यही वजह कि यहां पर अब कोई आना नहीं जाता है।

तुर्की के इस शहर में स्थित है यह जगह

मौत की नींद सुलाने वाला यह स्थल तुर्की के प्राचीन शहर हेरापॉलिस में स्थित है। यहां स्थित धुंवें से डूबी गुफा नुमा मंदिर के बाहर एक दरवाजा नजर आता है, जिसे स्थानीय लोग नरक का दरवाजा कहते हैं। इसके पास जाते ही इंसान की मौत हो जाती है। इसे प्लूटो का मंदिर यानी मौत के देवता भी कहा जाता है। बहुत सालों तक माना जाता रहा कि मौत के देवता की सांस के कारण मंदिर या उसके आसपास जाने वालों की मौत हो जाती है। लगातार होती मौतों के कारण आसपास के लोगों ने वहां जाना तक बंद कर दिया है। कभी कभार यहां घूमने आने वाले सैलानी वहां जाने की कोशिश करते है जिन्हें स्थानीय लोगों द्वारा रोक दिया जाता है।


सैलानी या खोजी लोग अगर मंदिर जाने की सोचते भी, तो आसपास के लोग उन्हें पिंजरे में कैद पंक्षी दे देते है। ताकि वे इस बात पर भरोसा कर सकें। क्योंकि मंदिर में अहाते में रखते ही पंक्षी कुछ मिनटों के भीतर दम तोड़ देता। जिसे देखने के बाद मंदिर के भीतर जाने की इच्छा लोगों की समाप्त हो जाती है। इस तरह से यह रहस्य दिन-ब-दिन गहराता चला गया। वहीं इस दरवाजे को ‘द गेट ऑफ हेल’ यानी नर्क का दरवाजा कहा जाता है।

ये हैं मान्यताएं

यहां के लोगों के बीच मान्यता है कि ग्रीक- रोमन काल के दौरान इस मंदिर में एक शख्स रहता था, जिसका सिर कलम कर दिया गया था। इसकी वजह का आज तक पता नहीं चला और वह इस मंदिर में अभी भी वह मौजूद है। इसकी वजह से वह यहां वाले लोगों को मार देता है।


स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में ग्रीक देवता रहते हैं। जब वह सांस छोड़ते हैं, तो दरवाजे के पास खड़े लोगों की मौत हो जाती है। इसके अलावा यहां पर कई झरने भी मौजूद हैं जिसमें नहाने से इंसान को रोगों से छुटकारा मिल जाता है।

यहां की खासियत

यहां की खासियत यहां बने गर्म पानी के सोते हैं, जो कैल्शियम से भरपूर हैं। जिनसे पूरे वक्त पानी के बुलबुले उठते रहते हैं। यही देखते हुए ये शहर दूसरी सदी में ही थर्मल स्पा के लिए जाना जाता था। हिस्ट्री.कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक शहर में दूर-दराज से लोग अपनी बीमारियों के इलाज के लिए आया करते थे। खासकर जोड़ों और त्वचा से जुड़ी बीमारियां दूर करने में यहां के सोते काफी प्रसिद्ध थे।

रहस्यमयी मंदिर में क्यों छाया रहता है धुआं

फरवरी साल 2018 में पता चल सका कि रहस्यमयी मंदिर में धुआं क्यों है। शोध में यह बात सामने आई कि मंदिर के नीचे बनी गुफा में बहुत बड़ी मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड गैस मौजूद है। इसके साथ ही और कई तरह की जहलीली गैसें शहर के पास बने गर्म पानी के सोते के भीतर से निकल रही हैं।बता दें कि हमारे वातावरण में ये गैस 0.039 प्रतिशत तक होती है। जबकि इस मंदिर परिसर में इस गैस की मौजूद मात्रा 91 फीसदी तक है। जो वाकई में मौत के कुएँ से कम नहीं।


कार्बन डाइऑक्साइड गैस संतुलित प्रतिशत के साथ उतनी खतरनाक नहीं होती है। लेकिन जब इसका प्रतिशत बढ़ जाता है। तब मात्र 10 फीसदी कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस किसी भी इंसान के लिए 30 मिनट के अंदर मौत की वजह बन सकती है। यह गैस ऑक्सीजन से डेढ़ गुना तक ज्यादा भारी होती है। इस वजह से यह जमीन में नीचे की ओर रहती है। मंदिर के भीतर गहरा धुआं छाया रहता है। इसी जहरीली गैस की वजह से यहां आने वालों की मौत हो जाती है।

हेरापॉलिस मंदिर की ऐसी थी संरचना

एक रिसर्च में बताया गया कि हेरापॉलिस मंदिर के बाहर एक पत्‍थर का द्वार बना हुआ है, जो एक छोटी सी गुफा में जाता है। यह द्वार एक आयतकार जगह पर बना हुआ है। शोध में बताया गया कि इस गुफा की शीर्ष पर मंदिर हुआ करता था। यहां चारों तरफ पत्थर है, जहां लोग आकर समय बिताया करते थे। इसके अलावा 2200 वर्ष पहले यहां पर एक गर्म झरना भी हुआ करता था, जिसमें स्नान करने से कई तरह की बीमारियां ठीक हो जाती थी। लेकिन करीबन 100 साल बाद दरवाजे के पास बने झरने में कुछ बदलाव हुए और मंदिर के नीचे दरार आ गई। जिससे कार्बन डाई आक्साइड बनने लगा और यह गैस इतनी ज्यादा मात्रा में निकलने लगी इसके संपर्क में आने वाले पशु पक्षियों की मौत होने लगी।

धार्मिक बलि देने के लिए इस्तेमाल होती थी यह जगह

‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जगह कभी धार्मिक बलि देने के लिए इस्तेमाल होती थी। इसमें पक्षियों, बैलों और अन्य जानवरों को देवताओं के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। साइट की खुदाई करने वाली पुरातत्ववादियों की टीम ने भी मंदिर में अजीब चीजें मिलने की बात कही थी। खुदाई करने वाले फ्रांसेस्को डीएंड्रिया ने कहा कि खुदाई के दौरान हम गुफा के घातक गुणों को देख सकते थे।

इन स्तंभों पर देवताओं से जुड़े शिलालेख भी मौजूद हैं।

मंदिर के खंडहरों के स्थान पर पक्षियों के कंकाल पंक्तिबद्ध हैं। गर्म खुले स्थान के करीब जाने की कोशिश में कई पक्षी मर गए।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)



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