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Gonda Famous Shiv Temple: गोंडा का यह प्रसिद्ध शिव मंदिर, सावन में जरूर करें विजिट
Gonda Famous Lord Shiva Temple: गोंडा का यह फेमस शिव मंदिर भक्तों के बीच बहुत ही फेमस है। सावन और महाशिवरात्रि जैसे पर्व पर यहां अलग ही रौनक देखने को मिलती है।
Gonda Famous Shiv Temple: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 50 किलोमीटर की दूरी पर एक बहुत ही भव्य मंदिर हैं। यह मंदिर बाबा भोलेनाथ का है। मान्यता है कि प्रत्येक वर्ष बारिश की बूंदें बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक यहां पर अवश्य करती हैं। इसी बारिश में शिवभक्त भी सराबोर होकर भक्ति रस में डूब जाते हैं। इस बार सावन में पांच सोमवार विशेष संयोग लेकर आ रहे हैं। ऐसे में आप भी गोंडा जिले के इस प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन करने जरूर जाएं।
यह प्रसिद्ध मंदिर (Gonda Famous Dukh Haran Nath Mandir)
हम बात कर रहे है, दुखहरननाथ मंदिर की, जो गोंडा जिले के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है, यह भगवान शिव का शिवालय है, तथा जिले की पहचान के रूप में स्टेशन रोड पर स्थापित है। दुखहरननाथ मंदिर बाबा भोलेनाथ के भक्तों को आठ प्रिय है तथा यहां के दर्शन से शांति की अनुभूति होती है। बाजार क्षेत्र में स्थित बहुत प्राचीन मंदिर, पूजा करने के लिए पर्याप्त जगह है। यह मंदिर का जीर्णोद्धार होने से यह और भी भव्य बन गया है।
कैसे पहुंचे मंदिर (How To Reach Dukh Haran Nath Mandir)
गोंडा जिले के इस मंदिर दुखहरण नाथ मंदिर उत्तर प्रदेश में गोंडा नगर के स्टेशन रोड पर स्थित है। यह स्थान गोंडा के जिला अस्पताल के पास स्थित है। यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
मंदिर पर स्थानीय लोगों का विश्वास
लोगों का मानना है कि ऐसी कोई सकारात्मक मानवीय इच्छा नहीं है जो बाबा पूरी न करते हों और कोई ऐसा दैहिक, दैविक या भौतिक संताप न हो जिसका ये हरण न करते हों। शिव जी के इसी रूप में यहाँ विराजमान होने के कारण इनके बाबा दुःखहरन नाथ को भी कहा जाता है।
मंदिर का नाम: दुख हरण नाथ मंदिर(Dukh Haran Nath Mandir)
दर्शन का समय(Timing): मंदिर 24 घंटे खुला रहता है
ड्रेस कोड: पारंपरिक और औपचारिक वस्त्र
फोटोग्राफी: अनुमती है।
प्रसाद: उपलब्ध है
पौराणिक मान्यता श्री राम जन्म से है जुड़ी
गोंडा नगर के मध्य स्थित दुखहरण नाथ मंदिर अतीत त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। यह सर्वविदित है कि अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्म पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने गए थे। वहाँ से वापस आते समय वह काफी खुश थे। ऐसे में वह जिस स्थान पर रहते थे, उसे वर्तमान में दुखहरण नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां पर पूजन करने से भोलेनाथ सबके दुखों का हरण कर लेते हैं। इसकी प्रति लोगों की आस्था सबसे अधिक है।
तीज त्योहारों पर दिखती है अलग रौनक
महाशिवरात्रि, कजरी तीज और श्रावण मास के अलावा यहां जलाभिषेक और पूजन-दर्शन के लिए प्रतिदिन आने वाले भक्तों की संख्या काफी बड़ी है, इसलिए पर्वों के दौरान यहां जिला प्रशासन के विशेष अवसर होते हैं।
मंदिर निर्माण के पीछे किंवदंती
बताया जाता है कि मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। इसकी स्थापना अवधि को लोग भगवान राम के जन्म के समय भगवान शिव के अयोध्या प्रवास से प्रेरित होते हैं। वहीं कुछ लोग इसे पांडवों के अज्ञातवास के दौरान भीम द्वारा स्थापित शिवलिंग से भी इस शिवलिंग को आदर्श मानते हैं। मान्यता है की प्राचीन काल में गोण्डा नरेश ने इसका निर्माण कराया था। दुखहरण नाथ मन्दिर मूर्तियों से निर्मित है और भगवान शिव को समर्पित है। प्रतिवर्ष यहां लाखों लोग पुण्य लाभ अर्जित करने हेतु आते हैं।