Gorakhpur Famous Murabba: बहुत प्रसिद्ध है गोरखपुर की ये मुरब्बा वाली दुकान, 150 साल पहले हुई थी शुरुआत

Gorakhpur Famous Murabba: उत्तर प्रदेश का गोरखपुर एक प्रसिद्ध शहर है जो अपने इतिहास के लिए पहचाना जाता है। चलिए आज हम आपको यहां की डेढ़ सौ साल पुराने मुरब्बा की दुकान के बारे में बताते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 20 Aug 2024 12:24 PM GMT
Gorakhpur Famous Murabba
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Gorakhpur Famous Murabba (Photos - Social Media)

Gorakhpur Famous Murabba : उत्तर प्रदेश भारत का एक बहुत ही प्रसिद्ध राज्य है जो अपनी संस्कृति परंपरा और ऐतिहासिक विरासतों के लिए पहचाना जाता है। जब आप उत्तर प्रदेश जाएंगे तो आपके यहां के अलग-अलग शहरों में धार्मिक और ऐतिहासिक स्थान का दीदार करने को मिल जाएगा। घूमने बनने के लिए बड़ी संख्या में लोग उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पहुंचते हैं। गोरखपुर उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध शहर है जो अपने इतिहास के लिए पहचाना जाता है। इसे संत गोरखनाथ की भूमि कहा जाता है और उन्हीं के नाम पर इस शहर को गोरखपुर नाम मिला है। आज हम आपके यहां मिलने वाले खास मुरब्बा के बारे में बताते हैं।

150 साल पुरानी दुकान (150 Year Old Shop)

गोरखपुर में मशहूर मुरब्बा गली मौजूद है जो डेढ़ सौ साल पुरानी है। यहां पर जो मुरब्बा मिलता है वह इतना बेहतरीन है कि इसे खरीदने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। यह अपनी शुद्धता और पारंपरिक स्वाद के लिए पहचाना जाता है।

Gorakhpur Famous Murabba


मिलता है बेल का मुरब्बा (Get Jam Made From Old Apple)

डेढ़ सौ साल पुरानी इस दुकान पर बेल का मुरब्बा गर्मियों में विशेष रूप से मिलता है जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी है। यह शरीर को ठंडक पहुंचती है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाने का काम करता है। गर्मी में इस मुरब्बे की मांग काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

मशहूर है दुकान (The Shop is Famous)

मुरब्बा गली की यह दुकान गर्मी और बरसात के मौसम में मुरब्बा बचने के लिए मशहूरहै। अपनी गुणवत्ता उसे बात की वजह से यहां का मुरब्बा 200 से ढाई सौ रुपए किलो तक बिकता है। डेढ़ सौ साल पहले इस दुकान की नींव उनके बाबा ने रखी थी और पारंपरिक तरीके से मुरब्बा बनाना शुरू किया था और धीरे-धीरे दुकान गोरखपुर की शान बन गई।

Gorakhpur Famous Murabba


पारंपरिक तरीका बरकरार (Traditional Method Intact)

दुकानदार के मुताबिक जिस विधि से उनके बाबा मुरब्बा तैयार करते थे इस पारंपरिक तरीकों को आज भी उन्होंने बरकरार रखा हुआ है। यही कारण है कि मुरब्बा की शुद्धता और स्वाद आज भी बरकरार है। यह दुकान सुबह 9:00 बजे खुलती है और शाम 7:00 बजे बंद हो जाती है। कई लोग ऐसे हैं जो बरसों से यहां से मुरब्बा खरीद रहे हैं और वह बताते हैं कि आज विश्वास वैसा ही है जैसे सालों पहले हुआ करता था।

Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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