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Gita Vatika Gorakhpur: मन है परेशान तो जाएँ गोरखपुर में गीता वाटिका, आपके दिल-दिमाग को मिलेगा सुकून
Gita Vatika Gorakhpur: गोरखपुर में कई ऐसे प्रसिद्ध स्थल हैं जिन्हे देखना किसी के लिए भी अलग अनुभव होगा। इस शहर में नाथ संप्रदाय का प्रसिद्ध पीठ गोरखनाथ मंदिर है, जिसके वर्तमान पीठाधीस्वर यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ हैं।
Gita Vatika Gorakhpur: गोरखपुर वैसे तो कभी किसी परिचय का मोहताज नहीं रहा। हलाकि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद इस शहर का नाम अब अंतराष्ट्रीय फलक पर भी आने लगा है। इस शहर का अपना ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है।
गोरखपुर में कई ऐसे प्रसिद्ध स्थल हैं जिन्हे देखना किसी के लिए भी अलग अनुभव होगा। इस शहर में नाथ संप्रदाय का प्रसिद्ध पीठ गोरखनाथ मंदिर है, जिसके वर्तमान पीठाधीस्वर यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ हैं। गोरखनाथ मंदिर प्राचीन मंदिर है जो एक प्रतिष्ठित संत और नाथ परंपरा के संस्थापक गुरु गोरखनाथ को समर्पित है। मंदिर परिसर एक प्रमुख तीर्थ स्थल और नाथ योगियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
इसके अलावा एक ऐसी गोरखपुर में एक ऐसी भी जगह है जहाँ जाकर आपको आध्यात्मिक शांति मिलेगी। वो जगह है गीता वाटिका। शहर के रेलवे स्टेशन से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह धार्मिक स्मारक भारत के गौरवशाली अतीत को एक श्रद्धांजलि भी है।
किसने की थी गीता वाटिका की स्थापना
गीता वाटिका की स्थापना स्वामी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने की थी। हनुमान प्रसाद पोद्दार को लोग भाईजी के नाम से बुलाते थे। पोद्दार प्रसिद्ध 'कल्याण' पत्रिका के संस्थापक-संपादक भी थे। वह इस स्थान के परिसर में 45 वर्षों तक रहे और उन्होंने यहां हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति की स्थापना की। अब इसका सञ्चालन श्री राधा कृष्ण ध्यान केंद्र समिति करती है। परिसर के भीतर एक राधा कृष्ण का मंदिर भी है, जहां बीते 55 वर्षों से लगातार हरि नाम संकीर्तन होता है। मंदिर में अखंड संकीर्तन की शुरुआत 1968 में राधाष्टमी के दिन हनुमान प्रसाद पोद्दार ने की थी। तब से आज तक यह अखंड संकीर्तन लगातार चल रहा है।
क्या है गीता वाटिका का मुख्य आकर्षण
गीता वाटिका का मुख्य आकर्षण आगंतुकों के लिए राधा कृष्ण का मंदिर है। लेकिन यह जगह इतिहास में अपना स्थान रखता है। जिन लोगों का रुझान इतिहास की ओर थोड़ा भी होता है उनके लिए यह जगह एक दम मुफीद है। यहाँ का वास्तुशिल्प वैभव भी देखने लायक है। यह पूरा परिसर लगभग 5.2 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। यहाँ का राधा कृष्ण मंदिर उत्तर भारत की नागर शैली में बनाया गया है। गीता वाटिका को जीवित रखने वाली प्रार्थनाओं और मंत्रों की सुविधा के लिए विशेष रूप से एक राजसी छत्र या मंडप स्थापित किया गया है।
जन्माष्टमी और राधाष्टमी के दिन होती है खूब धूमधाम
जन्माष्टमी और राधाष्टमी के दिन इस जगह की छठा देखने लायक होती है। मंदिर को खूबसरती से सजाया जाता है। हजारों भक्त इन दो दिनों पर मंदिर में राधा कर कृष्ण का दर्शन करने आते हैं। यहाँ पर राधाकृष्ण सत्संग केंद्र भी है जहाँ लोग सत्संग करते हैं। यह जगह आध्यात्मिक रूप से भी बहुत समृद्ध है। इसीलिए लोग यहाँ मन की शांति के लिए भी आना पसंद करते हैं।