Gorakhpur History: समृद्ध इतिहास समेटे है गोरखपुर, इन चीजों के लिए दुनियाभर में है पहचान

Gorakhpur History: गोरखपुर को गुरु गोरखनाथ से जुड़े हुए स्थान के रूप में पहचाना जाता है। यह जगह अपनी बेहतरीन संस्कृति का इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 7 March 2024 12:26 PM GMT
Gorakhpur History
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Gorakhpur History (Photos - Social Media)

Gorakhpur History: गोरखपुर गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली के रूप में पहचाना जाता है। यह जगह अपने अंदर बेहतरीन इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिक को समेटे हुए है। यहां की गीता प्रेस और गीता वाटिका विश्व भर में अपनी पहचान रखती है। नाथ पंथ का आध्यात्मिक पीठ गोरखनाथ मंदिर भी यहां मौजूद है। इसके अलावा पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और बंधू सिंह का बलिदान और संत कबीर का देह त्याग भी यहीं पर हुआ था, जो इस जगह को ओर भी खास बनाता है।

ये है गोरखपुर की पहचान

यहां पर एक भव्य रामगढ़ ताल मौजूद है जो गोरखपुर की प्राकृतिक धरोहर में से एक है। स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण असहयोग आंदोलन के स्थगित होने की वजह बना चोरी चोरा कांड भी यहीं पर हुआ था। इसके अलावा भगवान बुद्ध से जुड़े कुशीनगर और कपिलवस्तु भी गोरखपुर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करते हैं।

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नदी जल विवाद

बीते 2600 सालों में गोरखपुर को कई सारे नाम मिल चुके हैं। राम ग्राम, पीपलीवन, गोरक्षपुर, सूबा ए सरकिया, अख्तर नगर, गोरखपुर सरकार, मोअज्जमाबाद और अब गोरखपुर ये इसके नाम रहें हैं। अब तक जो प्रमाण मिले हैं उसके आधार पर इसे 26 साल पुराना कहा जाता है। यह भी बताया जाता है कि महात्मा बुद्ध ने यहां पर कोलियों और शाक्यों के बीच का नदी जल विवाद सुलझाया था।

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समावेशी संस्कृति है खास

गोरखपुर की संस्कृति की बात करें तो सातवें आठवीं शताब्दी में महायोगी गुरु गोरखनाथ की योग्य सभ्यता और उनके तत्व ज्ञान के उल्लेख यहां आज भी मिलते हैं। यहां की सबसे बड़ी खासियत समावेशी संस्कृति भी है। सांप्रदायिक सद्भावना के साथ ही शहर देशभर में मिसाल पेश करता है। हिंदी, संस्कृत, फारसी, उर्दू भोजपुरी सभी तरह की भाषाओं के यहां समृद्ध परंपरा रही है।

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स्वतंत्र संग्राम में योगदान

गोरखपुर का स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राम प्रसाद बिस्मिल, सचिंद्रनाथ सानयाल, दशरथ प्रसाद द्विवेदी, ठाकुर बंधू सिंह जैसे लोगों ने देश के लिए जो बलिदान दिया वह इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। इसके अलावा चिकित्सा, चलचित्र, शिक्षा, खेल, प्राकृतिक चिकित्सा, धर्म स्थल, ऐतिहासिक विरासत को लेकर भी इसकी विशेष पहचान है। गीता प्रेस, गीता वाटिका, गोरखनाथ मंदिर और टेराकोटा शिल्प के लिए यह पूरी दुनिया में जाना जाता है।

Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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