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Hemkund Sahib History: सिक्खों का तीर्थस्थल है हेमकुंड साहिब, जानें यहां का इतिहास
Gurudwara Hemkund Sahib History: हेमकुंड साहिब सिखों का एक तीर्थ स्थल है यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। आज हम आपको बताते हैं कि इसका इतिहास क्या है और आप यहां कैसे जा सकते हैं ।
Hemkund Sahib Gurudwara History : श्री हेमकुंड साहिब यानि सिक्खों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की तपस्थली। इसे सिक्ख तीर्थों की सबसे कठिन तीर्थ यात्रा भी कहा जाता है। करीब 15 हज़ार 200 फ़ीट ऊंचे ग्लेशियर पर स्थित श्री हेमकुंड साहिब चारों तरफ से ग्लेशियर (हिमनदों) से घिरे हैं। इन्हीं हिमनदों का बर्फीला पानी जिस जलकुंड का निर्माण करता है, उसे ही हेम कुंड यानी बर्फ का कुंड कहते हैं।
ऐसा है हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा (Hemkund Sahib Gurudwara Is Like This)
हेमकुंड में वर्तमान गुरुद्वारे का डिजाइन और निर्माण 1960 के दशक के मध्य में शुरू किया गया था, जब मेजर जनरल हरकीरत सिंह, केसीआईओ, इंजीनियर-इन-चीफ, भारतीय सेना ने गुरुद्वारे का दौरा किया था। गुरुद्वारा परियोजना के पीछे इंजीनियरिंग दिमाग, मेजर जनरल हरकीरत सिंह ने डिजाइन और निर्माण प्रयास का नेतृत्व करने के लिए सैन्य इंजीनियरिंग सेवा (एमईएस) के वास्तुकार मनमोहन सिंह सियाली को चुना। इसके बाद, आर्किटेक्ट सियाली ने हेमकुंड साहिब की वार्षिक यात्राएं कीं और जटिल निर्माण का आयोजन और पर्यवेक्षण किया। मैसर्स साहिब सिंह, हरभजन सिंह और गुरशरण सिंह समर्पित गुरसिख ठेकेदार थे जिन्होंने कई मौसम, ऊंचाई, इलाके और लॉजिस्टिक चुनौतियों को पार करते हुए निर्माण कार्य किया। अद्वितीय डिजाइन और निर्माण को चमत्कार के रूप में प्रशंसित किया गया है, दोनों ने पिछले कई दशकों में स्थिरता की परीक्षा उत्तीर्ण की है।
राजा पांडु की तपस्या और हेमकुंड (King Pandu's Penance And Hemkund)
भाई वीर सिंह का वर्णन पढ़कर संत सोहन सिंह जो एक रिटायर्ड आर्मीमैन थे, ने हेमकुंड साहिब को खोजने का फैसला किया। वर्ष 1934 में वो सफल हो गए। पांडुकेश्वर में गोविंद घाट के पास संत सोहन सिंह ने स्थानीय लोगों के पूछताछ के बाद वो जगह ढूंढ ली, जहां राजा पांडु ने तपस्या की थी और बाद में झील को भी ढूंढ निकला जो लोकपाल के रूप विख्यात थी।
हेमकुंड साहिब की सरंचना (Structure of Hemkund Sahib)
1937 में गुरु ग्रंथ साहिब को स्थापित किया गया, जो आज दुनिया में सबसे ज्यादा माने जाने वाले गुरुद्वारे का स्थल है। 1939 में संत सोहन सिंह ने अपनी मौत से पहले हेमकुंड साहिब के विकास का काम जारी रखने के मिशन को मोहन सिंह को सौंप दिया,गोबिंद धाम में पहली संरचना को मोहन सिंह द्वारा निर्मित कराया गया था।
हेमकुंड साहिब जाने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Hemkund Sahib)
देर से वसंत ऋतु जून से शुरू होती है, और मानसून के बाद सितंबर-मध्य अक्टूबर में शुरू होता है और यह हेमकुंड साहिब की यात्रा का सबसे तेज़ समय है।
कैसे पहुंचे हेमकुंड साहिब (How To Reach Hemkund Sahib)
ऋषिकेष से 272 किमी गोविंदघाट बदरीनाथ हाइवे पर सफर तय कर पहुंचा जा सकता है। यहां से 14 किमी हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया पहुंचा जाता है। घांघरिया से पांच किमी पैदल चलकर हेमकुंड साहिब यात्री पहुंचते हैं। हेमकुंड में रात्रि को ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। लिहाजा यात्रियों को वापस घांघरिया आना पड़ता है। हालांकि रास्ते में खाने पीने की पर्याप्त दुकानें है। गोंविदघाट, घांघरिया में गुरुद्वारा लंगर के साथ पर्याप्त संख्या में होटल रेस्टोरेंट हैं।
हेली सेवा भी है (Heli Service Is Also Available)
गोविंदघाट से घांघरिया तक 14 किमी क्षेत्र में हेली सेवा भी उपलब्ध है। इस बार यहां डेढ़ दशक से हेली सेवा दे रहे डेकन कंपनी ने हेली सेवा से हाथ खींचे हैंं। हालांकि पवन हंस कंपनी यहां हेली सेवा के लिए आगे आई है।