Bilkeshwar Mahadev Uttarakhand: यहां माता पार्वती ने भोलेनाथ के लिए 3000 साल की थी तपस्या, शिव ने दिया यह विवाह का आशीर्वाद

Bilkeshwar Mahadev Uttarakhand: भारत में कई सारे धार्मिक स्थल मौजूद है जो अपने चमत्कारों के लिए पहचाने जाते हैं। आज उस स्थान के बारे में जानते हैं जो माता पार्वती की तपस्या से जुड़ा हुआ है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 30 Aug 2024 3:15 AM GMT (Updated on: 30 Aug 2024 3:16 AM GMT)
Bilkeshwar Mahadev Uttarakhand
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Bilkeshwar Mahadev Uttarakhand (Photos - Social Media)

Bilkeshwar Mahadev Uttarakhand : भारत में कई सारे आध्यात्मिक और धार्मिक स्थल मौजूद है जो अपने चमत्कार और खासियतों की वजह से पहचाने जाते हैं। बड़ी संख्या में लोग अपनी आस्था लेकर इन जगहों पर पहुंचते हैं। पुराने के मुताबिक माता पार्वती ने बिल वृक्ष के नीचे 3000 तक भगवान शिव को वर्ग के रूप में पानी के लिए तपस्या की थी इसके बाद भोलेनाथ प्रसन्न हुए थे और उनके साथ विवाह का आशीर्वाद दिया था। बिल्केश्वर महादेव मंदिर हरिद्वार में हर की पौड़ी के पास बिल्ला पर्वत की घाटी में स्थित है और यह भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि जिस स्थान पर मंदिर स्थित है, वह वही स्थान है जहाँ देवी पार्वती ने भगवान शिव की पूजा की थी और उन्होंने उन्हें अपनी पत्नी बनाना स्वीकार किया था। पहाड़ी क्षेत्र में जंगल से घिरा होने के कारण, बिल्केश्वर महादेव मंदिर स्थानीय लोगों और आने वाले पर्यटकों के लिए सप्ताहांत की छुट्टी और पिकनिक स्थल है। आज हम आपको ऐसे ही मंदिर के बारे में बताते हैं।

प्रसिद्ध है बिल्वकेश्वर महादेव

हरिद्वार में बिल्वकेश्वर महादेव का मंदिर मौजूद है जहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक माता पार्वती ने बिल्व वृक्ष के नीचे 3000 साल तक भगवान शिव को वर के रूप में पानी के लिए तपस्या की थी। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें विवाह का आशीर्वाद दिया था। बड़ी संख्या में लोग इस जगह पर आकर पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर परिसर में भगवान हनुमान, भगवान गणेश, माता रानी और महादेव के लिए छोटे मंदिर भी हैं। परिसर में एक बिल्व वृक्ष स्थित है और भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाने और पवित्र गंगा नदी के जल से उनका अभिषेक करने की परंपरा है।

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बिल्वकेश्वर महादेव की पौराणिक कथा

पुराने के मुताबिक दक्ष की पुत्री भगवान शिव की पत्नी सती अपने पति के अपमान से आहत होकर यज्ञ कुंड में कूद कर भस्म हो गई थी। इसके बाद उन्होंने हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया था। देवर्षि नारद ने उन्हें बिल्व पर्वत पर जाकर तपस्या करने की सलाह दी थी ताकि वह शिव को पति के रूप में वापस पा सकें।

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ऐसी है बिल्वकेश्वर महादेव की मान्यता

बिल्वकेश्वर महादेव के बारे में कहा जाता है कि यहां पर जो भी मनचाही मुराद मांगी जाती है वह पूरी हो जाती है। यहां पूजा करने से माता पार्वती और भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। बड़ी संख्या में भक्तों को यहां पूजन अर्चन करते हुए देखा जाता है।

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कैसे पहुंचे बिल्वकेश्वर महादेव

हरिद्वार जंक्शन रेलवे स्टेशन के पास केंद्रीय स्थान पर स्थित होने के कारण, स्थानीय परिवहन के किसी भी साधन से बिल्केश्वर महादेव मंदिर तक पहुँचना बहुत सुविधाजनक है।

Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

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मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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