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Haridwar Famous Place: यहां पता चलेगा आपके परिवार के 7 जन्मों का इतिहास
Haridwar Famous Place: आपको यहां पर अपने पूर्वजों के सात जन्मों का रिकॉर्ड मिलता है। यहां दूर- दूर से लोग रिकॉर्ड जानने आते है।
Famous Place In Haridwar: उत्तराखंड की भूमि देव भूमि कही जाती है। यही से चार धाम की यात्रा का शुभारंभ होता है। यह जगह बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री तुंगनाथ जैसे बड़े तीर्थ तक पहुंचने का रास्ता है। यह शहर हरिद्वार, बनारस सहित अनेकों तीर्थ स्थलों में से एक है। इन तीर्थ स्थलों पर कई जाने माने पुरोहित व पंडित मिलते है। उत्तराखंड के हरिद्वार में एक ऐसे पुरोहित है जो अपने यजमानों का पीढ़ी दर पीढ़ी रिकॉर्ड सुरक्षित रखते हैं। इनके पास भारत में बसने वाले ज्यादातर परिवारों के सात जन्मों के रिकॉर्ड शामिल है।
यहां बताते है पुराने जन्मों का रिकॉर्ड
हम बात कर रहे हैं हरिद्वार के हरकी पैड़ी के पास लाल झंडे के पास बैठते है। इनके पास 400 साल प्राचीन इतिहास है। बहुत परिश्रम से इनके पास यह रिकॉर्ड वाली पोथियां तैयार की जाती हैं। इस प्राचीन पोथियों पर लिखने के लिए पहले जिस स्याही का प्रयोग करते थे, वे भी तीर्थ पुरोहित घर पर ही खुद से तैयार करते थे।
पोथी की सुरक्षा ऐसे होती है सम्भव
यह पोथी पर रिकॉर्ड लिखने का काम कलम से ही करते थे। इन रिकॉर्ड पोथियों पर यजमान यदि अपनी तरफ से कुछ लिखना चाहते थे तो वह भी अपने मन का अंकित करते थे। इन रिकॉर्ड पोथियों की सुरक्षा व्यवस्था भी उच्च कोटि की रखी जाती है। इस पोथी को जिस आलमारी में रखा जाता है, उसका एक दरवाजा भी 25 से 30 किलो के भार का है। इस आलमारी की साफ सफाई में कम से कम 10 लोगों से ज्यादा की जरूरत होती है। आलमारी में बहुत से गुप्त ताले भी लगे हैं जिनको खोलना सबके बस की बात नहीं होती है। यह बस धर्म और सच्ची श्रद्धा के साथ ही किया जा सकता है।
विभिन्न स्थानों से आते है यहां
पंडित जी का कहना है कि यहां पर यजमान विभिन्न स्थानों से आते हैं। हालांकि, दक्षिण भारत को छोड़कर शेष भारत के विभिन्न राज्यों से भी यहां पर यजमान आते हैं। जिसके पीछे कारण है कि उनके लिए बनारस पास पड़ता है। इसलिए वे उत्तराखंड नहीं जाते है।
इनके पास है हमारे पुरखों का रिकॉर्ड
जो पंडित जी के पास यह रिकॉर्ड है, उनका नाम परीक्षित है। उन्होंने बताया कि यहां पर बहुत सारे तीर्थों पर यजमानों का लेखा-जोखा रिकॉर्ड रखा जाता है। हरिद्वार में हर की पैड़ी यहां पर सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं। परीक्षित जी ने बताया कि यह पोथियां हमारे पुरखों की जमा पूंजी हैं, यही हमारी ऊपज हैं। इस पोथी की सुरक्षा और लेखन का कार्य पंडित जी और कुछ सहयोगियों द्वारा उनके अथक परिश्रम और आत्मीयता के साथ किया जा रहा हैं।
नोट: उपयुक्त लेख स्थानीय लोगों को श्रद्धा और पंडित जी से मिली जानकारी के अनुरूप आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है Newstrack इन जानकारियों की जिम्मेदारी नहीं लेता है।