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McLeodganj Tourism: पहाड़ों का शहर हिमाचल का मैकलोडगंज, आइये जाने इसके बारे में

McLeodganj Tourist Places: महाभारत और राजतरंगिणी जैसे ग्रंथो में इस स्थान का उल्लेख मिलता है। ऐसा माना जाता है कि राजा सुसर्माचंद ने महाभारत युद्ध के बाद इस जगह को बसाया था। यह जगह चंद्र वंश के राजाओं की भी राजधानी रह चुकी है।

Sarojini Sriharsha
Published on: 21 Dec 2023 12:08 PM GMT
McLeodganj Tourist Places
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McLeodganj Tourist Places (Photo - Social Media)

McLeod Ganj: भारत के हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा जिले का प्रमुख पर्यटन स्थल मैकलोडगंज ट्रेकिंग और हिमालय के सुंदर दृश्यों के लिए पर्यटकों में मशहूर है। यहां पर तिब्बती और ब्रिटिश संस्कृति की मिली जुली झलक देखने के साथ रोमांचक गतिविधियों का भी आनंद ले सकते हैं।तिब्बत के 14वें गुरु दलाई लामा का निवास स्थान भी इसी जगह है।

महाभारत और राजतरंगिणी जैसे ग्रंथो में इस स्थान का उल्लेख मिलता है। ऐसा माना जाता है कि राजा सुसर्माचंद ने महाभारत युद्ध के बाद इस जगह को बसाया था। यह जगह चंद्र वंश के राजाओं की भी राजधानी रह चुकी है।

यहां के खूबसूरत हरे भरे जंगल, प्राकृतिक वातावरण, बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं, झरने और ग्लेशियर पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं।

1849 में अंग्रेजो ने कांगड़ा स्थित धर्मशाला को अपनी छावनी के रूप में स्थापित कर लिया था। ब्रिटिश शासन के दौरान पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर डेविड मैकलेओड के नाम पर इस शहर का नाम मैकलोडगंज रखा गया। सन् 1905 में आए भयानक भूकंप के बाद यह शहर पूरी तरह नष्ट हो चुका था जिसे फिर से दलाई लामा ने बसाया । यहां घूमने के लिए कई जगह हैं -

डल झील -

समुद्र तट से करीब 1775 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कांगड़ा जिले के पास स्थित डल झील एक खूबसूरत झील है। यह झील चारों तरफ से विशाल देवदार के हरे भरे पेड़ और पर्वत श्रृंखलाओं से घिरी हुई है। अपने शांत और हरे पानी के कारण यह पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र रहती है। इस झील के किनारे भगवान शिव का एक मंदिर भी है, जहां सितंबर महीने में मेला लगता है। ऐसी कहावत है कि इस झील के किनारे दुर्वासा ऋषि भगवान शंकर की तपस्या किया करते थे। सर्दियों में इस झील का पानी बर्फ बन जाता है ।


भागसुनाग मंदिर-

समुद्र तल से लगभग 1770 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर हरे भरे वादियों में बसा एक बेहद ही खूबसूरत स्थान है। इस मंदिर का निर्माण राजा भागसू ने करवाया था। इस मंदिर परिसर में एक जलाशय है, लोगों का मानना है कि यहाँ स्न्नान करने मात्र से कई प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती हैं। गोरखा और हिन्दू धर्म के लोगों का यह एक पवित्र तीर्थस्थल है, जिसका दर्शन करने के लिए पर्यटक यहां आना नहीं भूलते।


कांगड़ा किला -

यह किला हिमांचल का सबसे बड़ा और पुराना किला है, जो कांगड़ा शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला व्यास नदी तथा उनकी सहायक नदियों की घाट पर बना हुआ है। इस किले का उल्लेख महाभारत जैसे महाकाव्य के साथ सिकंदर के युद्ध में भी किया गया है और इस किले पर कई बार मुगलों ने भी आक्रमण किया है। ऐसा कहा जाता है कि कभी इस किले में यहां पर स्थित बृजेश्वरी मंदिर में चढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में धन रखा जाता था, जिसे लूटने के लिए इस किले पर कई बार हमले हुए। इस किले की संरचना भारत की भव्य विरासत और संस्कृति तथा स्थापत्य कला को दर्शाता है जिसे देखने दुनिया भर से सैलानी खींचे चले आते हैं।


त्रिउंड -

समुद्र तल से लगभग 2828 मीटर की ऊंचाई पर स्थित और मैकलोडगंज से करीब 9 किमी दूर हिमालय की गोद में स्थित त्रिउंड एक छोटा सा खूबसूरत हिल स्टेशन है, जहां पर्यटक ट्रैकिंग के लिए आना पसंद करते हैं। ट्रैक के दौरान पर्यटक कांगड़ा वैली की खूबसूरती और देवदार, ओक के जंगलों का रोमांचक अनुभव ले सकते हैं ।

गर्मियों में इस ट्रैक का तापमान भले ज्यादा रहता है लेकिन रात में यहां तापमान में गिरावट आ जाती है इसलिए यहां गर्म कपड़े अपने साथ लेकर आएं।


भागसु झरना-

यह झरना 30 फ़ीट की ऊंचाई से गिरता है और धौलाधार पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित है। मैकलोडगंज स्थित इस झरने की प्राकृतिक खूबसूरती और शांत वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाती है । इस झरने का पानी भागसुनाथ मंदिर तक जाता है। जिससे श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना जुड़ी है। बरसात के मौसम में झरने का पानी और वहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है।


नामग्याल मठ -

आध्यात्मिक शांति और शांत वातावरण वाला यह स्थान हिमालय पर्वत के धौलाधार पर्वतश्रृंखला के बीच स्थित है। यह मठ प्रसिद्ध तिब्बती गुरु दलाई लामा के मठ के नाम से भी जाना जाता है। यह मठ नामग्याल तांत्रिक महाविद्यालय के रूप में मशहूर है। यहां पर सैकड़ों बौद्ध भिक्षु शिच्छा ग्रहन करते हैं।


करेरी झील -

समुद्र तल से लगभग 2934 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस झील का निर्माण हिमालय पर्वत के धौलाधार पर्वत श्रृंखला में स्थित मनकियानी चोटी की बर्फ के पिघलने से हुआ है। करीरी नामक गांव के नाम पर इस झील का नाम करेरी झील रखा गया है। इस झील का पानी एकदम साफ, पारदर्शी और मीठा है। इस झील के किनारे भगवान शिव का एक पुराना मंदिर भी है। सर्दियों के दौरान इस झील का पानी बर्फ में बदल जाता है। ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए भी यह जगह पसंदीदा है।


अघंजर महादेव-

भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण पांडवों के द्वारा कराया गया था। महाभारत के युद्ध के पापों से मुक्ति के लिए पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर में 300 साल पुराना एक शिलालेख है जिसपर महाराजा रणजीत सिंह की इस मंदिर में यात्रा का वर्णन लिखा हुआ है।

इस मंदिर के दर्शन के साथ यहां आए श्रद्धालु गुफा में बने गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन भी अवश्य करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों के द्वारा किया गया था। महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन ने पशुपति अस्त्र प्राप्त करने के लिए महादेव की पूजा की थी और इस समय इस मंदिर की स्थापना की थी।


कालचक्र मंदिर -

स्थापत्य और तिब्बती शैली में बने इस मंदिर का निर्माण 1992 ईस्वी में हुआ था। बौद्ध धर्म और तिब्बती समुदाय के लिए लोकप्रिय इस मंदिर की आंतरिक सजावट खूबसूरत और बहुत आकर्षक है। मैकलोडगंज से करीब 2.5 किमी की दूरी पर स्थित इस मंदिर के भीतर भगवान बुद्ध की प्रतिमा के अलावा बौद्ध धर्म से संबंधित देवताओं और काल चक्र की छवि को दर्शाता हुआ लगभग 722 भित्ति चित्र बने हुए हैं। इस मंदिर को देखने बौद्ध धर्म के अलावा अन्य पर्यटक भारी संख्या में आते हैं।


नेचुंग मठ :

बौद्ध और तिब्बती लोगों के धार्मिक कार्यों से जुड़े इस मठ में भूत भगाने वाली प्रक्रिया और बौद्ध संस्कार वाले कार्य किए जाते हैं। इस मंदिर के अंदर अन्य मठों से हटकर भित्ति चित्र तथा कलाकृतियां भी बनाई गई हैं जो बौद्ध और तिब्बती समुदाय से जुड़ा है। परम पावन नेचुंग जिन्हें तिब्बत के प्रमुख रक्षक देवता के रूप में जाना जाता है और दलाई लामा के कारण इस मठ को अधिक महत्व दिया जाता है। इस मठ में पतले कपड़ों की मालाओं के साथ क्रोधित देवताओं की कलाकृतियां तथा मानव और नागों तथा सिर और पैर की पेंटिंग भी देख सकते हैं।


कैसे पहुंचे :

हवाई मार्ग से हिमाचल का कांगड़ा गग्गल हवाई अड्डा यहां पहुंचने का निकटतम हवाई अड्डा है। इसके अलावा यहाँ से लगभग 95 किमी की दूरी पर पठानकोट हवाई अड्डा और 200 किमी की दूरी पर चंडीगढ़ हवाई अड्डा है। गग्गल हवाई अड्डा से मैकलोडगंज की दूरी करीब 18.5 किमी है लेकिन यहां से सीमित उड़ानें ही उपलब्ध हैं। चंडीगढ़ देश के सभी शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। टैक्सी के माध्यम से मैकलोडगंज पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट है। यहां से मैकलोडगंज शहर 89 किमी दूर है। बस और टैक्सी द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग से मैकलोडगंज भारत के विभिन्न शहरों जैसे दिल्ली, चंडीगढ़, धर्मशाला आदि से बस से जुड़ा हुआ है। सरकारी और निजी बसें नियमित आधार पर चलती हैं। टैक्सी और निजी गाड़ी से भी यात्री यहां पहुंच सकते हैं । हिमाचल के धर्मशाला से मात्र 9 किमी दूरी पर स्थित है मैकलोडगंज । दिल्ली, चंडीगढ़, कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के सभी शहरों से मैकलोडगंज के लिए अच्छी और सस्ती बसें यात्रियों के लिए उपलब्ध हैं।

कब जाएं ?

यहां घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर से जून महीने तक का है। बारिश के मौसम को छोड़कर आप यहां पर किसी भी मौसम में घूमने का प्लान बना सकते हैं। गर्मियों में यहां का तापमान लगभग 25 डिग्री के आसपास पहुंच जाता है वहीं ठंड में तापमान -1 डिग्री तक रहता है। आप सर्दियों में बर्फबारी और जमी हुई झील का आनंद भी ले सकते हैं। अभी सर्दियों की छुट्टियां शुरू होने वाली हैं, तो अपने परिवार और दोस्तों के साथ घूमने का प्लान बना लें।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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