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Hiramandi Real Story: ये है हीरामंडी का सही इतिहास, जिस पर संजय लीला भंसाली ने बनाई फिल्म

Hiramandi Real Story in Lahore: संजय लीला भंसाली की सीरीज हीरा मंडी इस समय चर्चा का विषय बनी हुई हैं। यह लाहौर में मौजूद हीरा मंडी नाम की जगह की असली कहानी है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 17 May 2024 6:49 PM IST (Updated on: 17 May 2024 6:49 PM IST)
Hiramandi Real Story in Lahore
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Hiramandi Real Story in Lahore (Photos - Social Media)

Hiramandi Real Story in Lahore: हीरामंडी: द डायमंड बाज़ार इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। जब से बॉलीवुड की फेमस डायरेक्टर संजय लीला भंसाली ने इस पर एक सीरीज तैयार की है और यहां की कहानी को दिखाया है। उसके बाद से हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिरकार लाहौर की यह हीरा मंडी कैसी है और यहां पर क्या होता है। चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको बताते हैं कि आखिर का लाहौर किया हीरामंडी पहले के दौर में कैसी हुआ करती थी। आप में से बहुत से लोगों ने इस सीरीज को देखा होगा और कुछ ने इसकी कहानी भी सुनी होगी। लेकिन आज हम आपको असली हीरामंडी से रूबरू करवाते है। चलिए इसका इतिहास जानते हैं।

हीरामंडी का इतिहास (Hiramandi History)

हीरा मंडी की कहानी काफी पुरानी है। मुगलों के दौर में हीरा मंडी का नाम शाही मोहल्ला था और कुछ लोग इसे अदब का मोहल्ला भी कहते थे। इस मोहल्ले में तवायफ राज हुआ करता था। यहां पर नवाब अपने मनोरंजन के लिए आया करते थे। इसके अलावा शाही गानों के शहजादा को अदब और अंदाज की शिक्षा लेने के लिए भी यहां पर भेजा जाता था। यहां पर आने वाले युवाओं को यह सीख दी जाती थी कि महिलाओं से किस तरह से अदब से पेश आना चाहिए। हालांकि, बाद में यह जगह मनोरंजन का केंद्र बनती चली गई और अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण के बाद इसकी सूरत पूरी तरह से बदल गई। अफगान और उज्बेकिस्तान से लाएगी औरतों को यहां पर रख दिया गया और जिस्मफरोशी का धंधा शुरू हो गया। लेकिन सालों बाद महाराज और रणजीत सिंह ने पंजाब स्टेट की नींव डाली और फिर इस एरिया की किस्मत पलट गई।

कब हुई हीरामंडी स्थापना

हीरा मंडी की स्थापना मुगल काल से हुई, इसका नाम महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल के दौरान प्रधान मंत्री हीरा सिंह के नाम पर पड़ा। प्रारंभ में एक अनाज बाजार के रूप में स्थापित, यह एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ, जिसने विभिन्न क्षेत्रों की तवायफों को आकर्षित किया जिन्होंने शास्त्रीय संगीत और नृत्य में अपनी महारत का प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन उस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव थे जो उस समय के समृद्ध और कुलीन लोगों के संरक्षण में विकसित हुई थी।

सांस्कृतिक केंद्र हैं हीरामंडी

15वीं और 16वीं शताब्दी में, मुगलों ने कथक जैसे शास्त्रीय भारतीय नृत्य करने के लिए अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों से महिलाओं को लाना शुरू किया। समय के साथ, हीरा मंडी तवायफों के लिए एक प्रसिद्ध केंद्र के रूप में विकसित हुआ।

Hiramandi History

जब बदलने लगी हीरामंडी की पहचान

अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण के बाद हीरा मंडी वेश्यावृत्ति के लिए जानी जाने लगी। अपनी कुख्यात प्रतिष्ठा के बावजूद, यह क्षेत्र दिन के दौरान एक नियमित बाजार के रूप में कार्य करता था, जहां अन्य वस्तुओं के अलावा भोजन और संगीत वाद्ययंत्र बेचे जाते हैं। हालाँकि, रात में, यह फिर से देह व्यापार के अड्डे में तब्दील हो जाता है।

हीरामंडी की वर्तमान स्थिति

हीरा मंडी आज भी मौजूद है। दिन के समय, यह किसी भी अन्य बाज़ार की तरह दिखाई देता है, जहां रोज़मर्रा के सामानों की बिक्री होती है। लेकिन रात में, वेश्यालय के दरवाजे खुलते ही यह बदल जाता है।



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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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