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Britain History: जब ब्रिटेन में मिठाइयों से हटा था बैन, बच्चों ने मनाई थी मिठास भरी आजादी

Britain Lifted Ban On Sweets: 5 फरवरी, 1953, ब्रिटेन के इतिहास में एक खास दिन है। इस दिन सरकार ने मिठाई और कन्फेक्शनरी उत्पादों पर वर्षों से लगे नियंत्रण को समाप्त कर दिया था। आइए जानते हैं स्वीट्स पर बैन लगने की क्या था वजह।

Akshita Pidiha
Written By Akshita Pidiha
Published on: 6 Feb 2025 1:52 PM IST
History Of Britain Lifted Ban On Sweets On February Ka Itihas
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History Of Britain Lifted Ban On Sweets On February Ka Itihas (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Britain Lifted Ban On Sweets: 5 फरवरी, 1953 का दिन ब्रिटेन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में दर्ज है। इस दिन, ब्रिटिश सरकार ने मिठाई और कन्फेक्शनरी उत्पादों पर वर्षों से लगे नियंत्रण को समाप्त कर दिया था। यह एक ऐसा फैसला था जिसने पूरे देश में उत्साह और खुशी की लहर दौड़ा दी थी, खासकर बच्चों में, जिन्होंने वर्षों बाद खुलकर मिठाइयों का स्वाद चखा। लेकिन यह केवल बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि मिठाई उद्योग और खुदरा बाजार के लिए भी एक नया अवसर था। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि मिठाइयों पर नियंत्रण क्यों लगाया गया था, इसे हटाने के पीछे क्या कारण थे, इसके क्या लाभ और नुकसान हुए, और क्या दुनिया के किसी अन्य देश में भी ऐसा कुछ हुआ था।

ब्रिटेन में मिठाइयों पर नियंत्रण क्यों लगाया गया था?

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1. द्वितीय विश्व युद्ध और खाद्य आपूर्ति संकट

द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान ब्रिटेन में खाद्य सामग्री की भारी कमी हो गई थी। युद्ध के कारण ब्रिटेन का आयात प्रभावित हुआ, क्योंकि जर्मनी ने समुद्री मार्गों को बाधित कर दिया था, जिससे खाद्य आपूर्ति में कमी आ गई। इस स्थिति में, ब्रिटिश सरकार ने "राशनिंग सिस्टम" (अनुशासित वितरण प्रणाली) लागू किया, जिससे हर नागरिक को नियंत्रित मात्रा में ही भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएँ मिलें।

युद्ध के दौरान मिठाइयों की सामग्री, जैसे चीनी, दूध, और अन्य सामग्रियों की भारी कमी हो गई थी। इसके परिणामस्वरूप, ब्रिटेन सरकार ने मिठाई पर नियंत्रण लागू किया था। मिठाई बनाने वाली कंपनियों को सरकार से विशेष अनुमति प्राप्त करनी होती थी और उनके उत्पादन को नियंत्रित किया जाता था। चॉकलेट, टॉफी और अन्य मिठाइयों का उत्पादन सीमित कर दिया गया था, ताकि इनकी आपूर्ति को समान रूप से सभी तक पहुँचाया जा सके और खाद्य संकट को सही तरीके से निपटाया जा सके।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

2. चीनी और मिठाई पर विशेष प्रतिबंध

मिठाइयाँ मुख्य रूप से चीनी, दूध, कोको और अन्य खाद्य सामग्रियों से बनती हैं, जिनकी युद्ध के दौरान भारी कमी थी। इसलिए, सरकार ने 1942 में मिठाई और कन्फेक्शनरी उत्पादों पर नियंत्रण लागू किया। इसका मतलब यह था कि लोग सिर्फ निर्धारित मात्रा में ही मिठाई खरीद सकते थे।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

3. नियंत्रण के चलते बच्चों की निराशा

बच्चे, जो हमेशा से टॉफी, चॉकलेट और अन्य मिठाइयों के शौकीन रहे थे, इस सरकारी नियंत्रण से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। कई वर्षों तक वे अपनी मनपसंद चॉकलेट और टॉफी नहीं खा पाए। उनके लिए मिठाई एक विलासिता बन गई थी, जिसे केवल विशेष अवसरों पर ही खरीदा जा सकता था।

1953 में मिठाई पर नियंत्रण हटाने का फैसला

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1. युद्ध के बाद आर्थिक सुधार

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, ब्रिटेन धीरे-धीरे आर्थिक सुधार की ओर बढ़ने लगा। उत्पादन बढ़ने लगा, और आयात पर लगी पाबंदियाँ धीरे-धीरे हटने लगीं। 1950 के दशक तक, खाद्य सामग्री की आपूर्ति में स्थिरता आ गई, जिससे सरकार को राशनिंग नियमों को हटाने का अवसर मिला।

2. जनता की माँग और दबाव

लोगों ने वर्षों तक नियंत्रित वितरण प्रणाली को सहन किया था, लेकिन 1950 के दशक तक जनता ने मांग शुरू कर दी कि सरकार को खाद्य नियंत्रण समाप्त करना चाहिए। इसके बाद सरकार ने धीरे-धीरे विभिन्न उत्पादों से प्रतिबंध हटाना शुरू किया। 5 फरवरी, 1953 को, मिठाइयों पर लगे इस नियंत्रण को भी समाप्त कर दिया गया।

3. बच्चों की खुशी और बाजार पर असर

जैसे ही यह घोषणा हुई, बच्चे अपनी गुल्लकों से पैसे निकालकर मिठाई की दुकानों की ओर दौड़ पड़े। दुकानों पर भारी भीड़ जमा हो गई और हर कोई अपनी मनपसंद टॉफी और चॉकलेट खरीदने के लिए उत्साहित था। दुकानदारों के लिए यह एक व्यापारिक अवसर था, क्योंकि अचानक मिठाई की माँग बढ़ गई।

मिठाइयों पर नियंत्रण हटाने के लाभ

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1. बच्चों और आम जनता को राहत

वर्षों बाद लोग अपनी मनचाही मिठाई बिना किसी सीमा के खरीद सकते थे। बच्चों के लिए यह एक तरह की आज़ादी थी, जहाँ वे बिना किसी प्रतिबंध के अपनी पसंदीदा चॉकलेट और टॉफी खरीद सकते थे।

2. मिठाई उद्योग में तेज़ी

मिठाई बनाने वाली कंपनियों के लिए यह एक बड़ा अवसर था। अब वे बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के अपने उत्पाद बना और बेच सकती थीं। इससे उद्योग में वृद्धि हुई, नई मिठाइयाँ बाजार में आईं और कई नई कंपनियाँ भी इस क्षेत्र में प्रवेश कर गईं।

3. आर्थिक सुधार में योगदान

इस फैसले ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। अधिक बिक्री के कारण दुकानदारों और मिठाई उद्योग में लगे कर्मचारियों को रोजगार मिला, जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।

क्या मिठाई पर नियंत्रण हटाने के कुछ नुकसान भी हुए?

हालांकि इस फैसले के कई लाभ थे, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी देखने को मिले:-

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1. मिठाइयों की अधिक खपत और स्वास्थ्य पर प्रभाव

मिठाइयों पर प्रतिबंध हटते ही उनकी खपत अचानक से बढ़ गई। इससे कई बच्चों और युवाओं में मोटापे और दाँतों की समस्याएँ बढ़ने लगीं। लोगों को इस बारे में कोई जागरूकता नहीं थी कि मिठाइयों का अधिक सेवन उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।

2. बाज़ार में कीमतों में अस्थिरता

जैसे ही मिठाइयों पर से नियंत्रण हटा, दुकानदारों और मिठाई निर्माताओं ने इसका लाभ उठाकर कीमतें बढ़ा दीं। शुरुआती दिनों में कुछ जगहों पर मिठाइयों की कीमतें आम जनता की पहुँच से बाहर चली गईं, जिससे गरीब वर्ग को परेशानी हुई।

3. आयातित मिठाइयों का प्रभाव

ब्रिटेन में अब आयातित चॉकलेट और मिठाइयाँ भी आसानी से मिलने लगीं, जिससे कुछ स्थानीय निर्माताओं को नुकसान हुआ। बड़े ब्रांड्स ने बाजार पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया, जिससे छोटे व्यवसायियों की प्रतिस्पर्धा कठिन हो गई।

क्या अन्य देशों में भी ऐसा कुछ हुआ था?

1. अमेरिका में खाद्य राशनिंग (1942-1946)

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने भी चीनी और अन्य खाद्य पदार्थों की राशनिंग लागू की थी। 1946 में युद्ध समाप्त होने के बाद इसे हटा दिया गया।

2. जर्मनी में युद्ध के बाद राशनिंग

युद्ध के बाद जर्मनी में भी खाद्य संकट था, जिससे मिठाइयों और चॉकलेट पर कड़े नियंत्रण लगाए गए थे। लेकिन 1950 के दशक के मध्य तक स्थिति सामान्य हो गई और नियंत्रण हटा दिए गए।

3. भारत में 1970 के दशक में चीनी संकट

1970 के दशक में भारत में भी चीनी की कमी हुई थी, जिससे मिठाइयों के उत्पादन पर असर पड़ा। सरकार ने कुछ समय के लिए चीनी के वितरण को नियंत्रित किया था, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया।

5 फरवरी, 1953 का दिन ब्रिटेन के लिए एक ऐतिहासिक दिन था, क्योंकि इस दिन मिठाइयों पर लगे प्रतिबंध हटाए गए थे। यह फैसला बच्चों और मिठाई प्रेमियों के लिए खुशी का अवसर था, वहीं मिठाई उद्योग के लिए व्यापार में तेजी लाने का एक मौका था। हालाँकि, इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी थे, जैसे स्वास्थ्य समस्याएँ और कीमतों में उतार-चढ़ाव।

लेकिन कुल मिलाकर, यह एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसने न केवल ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी बल्कि मिठाइयों को हर वर्ग के लोगों तक पहुँचाया। इस दिन को आज भी मिठाई उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में याद किया जाता है।

Shreya

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