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History of Falgu River: धरती के अंदर बहने वाली बिहार की रहस्यमई फल्गु नदी का इतिहास

History of Falgu River: बिहार के गया में एक ऐसी नदी है जो धरती के अंदर से बहती है। इसी वजह से इसे अंतः सलिला भी कहा जाता है, आज आप जाने इस अनोखी नदी के पीछे का रहस्य चलिए जानते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 5 Jun 2024 3:01 PM IST
History Of Falgu River
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History Of Falgu River (Photos - Social Media) 

History of Falgu River: भारत में नदियों को माता के रूप में जाना और पूजा जाता है। भारत की इन नदियों में बहुत सारी नदियां ऐसी भी हैं, जिनका अपना अलग ही इतिहास है। बता दें कि हमारे भारत देश में एक ऐसी नदी भी है जो धरती के अंदर से बहती है, जिसके अन्दर की रेत को हटाकर इससे पानी निकालकर यहां पर आने वाले श्रद्धालु अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं। खास बात ये भी है कि इस नदी के प्रति लोगों की अटूट आस्था बनी हुई है। वैसे आज हम बात कर रहे हैं बिहार के फेमस गया में बहने वाली फल्गु नदी के बारे में जो साल भर सूखी दिखाई देती है पर इसकी जलधारा अंदर की ओर प्रवाहित होती है। बता दें, इस नदी के पीछे भी एक बड़ा राज है, जो राम सीता से जुड़ा हुआ है। तो चलिए आज आपको इस नदी की रहस्यमई बाते और कुछ खास विशेषता बताते हैं।

क्यों नहीं रहता फल्गु नदी में पानी (Why is There No Water in Falgu River?)

मोक्ष की नगरी गया जिले के बहुत ही फेमस विष्णुपद मंदिर के तट से होकर बहने वाली इस फल्गु नदी में पानी जमा नहीं होता पता है। जिसका कारण यहां के स्थानीय लोगो के अनुसार माता सीता का श्राप ही माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग में जब भगवान श्री राम जी अपने पिता राजा दशरथ की मृत्यु के बाद उनका पिंड दान करने के लिए भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ गया धाम पहुंचे थे। इस बीच भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ कुछ सामग्री लेने के लिए वहां से प्रस्थान कर गए। इसी बीच एक आकाशवाणी हुई, जिसमें कहा गया कि पिंडदान का समय निकला जा रहा है। यह सुनकर माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान स्वयं ही कर दिया। इसका साक्षी गाय, कौवा, पंडित और फल्गु नदी को बनाया। जब तक प्रभु श्री राम अपने भ्राता लक्ष्मण के साथ लौटे तो पिंडदान की क्रिया हो चुकी थी। इसपर, भगवान राम ने पिंडदान के बारे में पूछा तो माता सीता ने पूरी बात बताई। इसके साथ ही, उन्होंने पंडित, गाय, कौवा और फल्गु नदी को इसका गवाह भी बताया। लेकिन राम ने जब इन चारों से पिंडदान के बारे में सवाल पूछा तो फल्गु नदी ने झूठ बोल दिया कि माता सीता ने कोई पिंडदान नहीं किया है। ये सुनने के बाद, माता सीता को गुस्सा आया और उन्होंने झूठ बोलने को लेकर फल्गु नदी को श्रापित कर दिया। धार्मिक कथाओं के अनुसार, तभी से फल्गु नदी अंतः सलिला हो गई है। इसके बाद से ही फल्गु नदी जमीन के नीचे बहने लगी।

Falgu River

सात पीढ़ियों का होता है उद्धार (Seven Generations Are Saved)

फल्गु नदी जहां पितृ के पिंडदान होते हैं। यह नदी पिंड दान के लिए काफी महत्व रखती है। स्थानीय लोगो मान्यता है कि फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि यहां पे पिंडदान करने से पितरों के साथ साथ कुल की सात पीढ़ियों का भी उद्धार होता है। इसके साथ जो पिंडदान कर्ता है वह खुद भी परम गति को प्राप्त होता है। पूरे देश में श्राद्ध के लिए कुल मिलाकर 55 महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें बिहार के गया का स्थान सबसे अहम माना गया है। गया को विष्णु को नगरी भी कहते हैं। गया की फल्गु नदी अंतः सलिला पर पानी लाने के लिए सरकार की ओर से यहां पर एक रबर डैम भी बना दी गई है, जिसके वजह से अब यहां फल्गु नदी में हमेशा पानी दिखाई देगा।

Falgu River



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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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