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History of Indore: 4 हजार साल पुराने इस मंदिर पर रखा गया था इंदौर का नाम, अदभुत है मान्यताएं
History of Indore: मध्य प्रदेश का इंदौर एक प्रसिद्ध और चर्चित शहर है जो अलग-अलग कारणों के चलते पहचाना जाता है। चलिए आज हम आपको यहां के एक शिव मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा और मान्यताओं के बारे में बताते हैं।
History of Indore : इंदौर एक ऐसा शहर है जिसे मध्य प्रदेश के आर्थिक राजधानी के रूप में पहचाना जाता है। देवी अहिल्या की नगरी न सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक अपनी पहचान रखती है। यहां पर घूमने फिरने के लिए एक से बढ़कर एक स्थान मौजूद है और खाने-पीने के लिए भी यहां जो व्यंजन मिलते हैं वैसा स्वाद आपको कहीं और चखने को नहीं मिलेगा। बात चाहे स्वच्छता के मामले में अव्वल रहने की करी जाए या फिर आईटी के क्षेत्र में बढ़ते हुए कदम की इंदौर हर मायने में अपने कदम आगे बढ़ाता जा रहा है। चलिए आज हम आपको इंदौर के नाम से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं और यहां के एक बहुत ही पुराने मंदिर के बारे में जानकारी देते हैं।
4 हजार साल पुराने मंदिर से मिला नाम
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन इंदौर में इंद्रेश्वर महादेव नाम का एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है। पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ यह मंदिर साढे चार साल हजार पुराना बताया जाता है। इसके बारे में जो कहानी मिलती है उसके मुताबिक इसी मंदिर के नाम से शहर का नाम पहले इंदूर रखा गया था जिसे बाद में बदलकर इंदौर कर दिया गया। आज भी यह जगह कहीं भक्तों की आस्था का केंद्र है और बड़ी संख्या में लोग यहां पर अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं। इंदौर शहर में अगर पानी की कमी पड़ती है तो यहां बाबा का जलाभिषेक कर उन्हें जलमग्न दिया जाता है जिससे प्रसन्न होकर बाबा अच्छी बारिश करते हैं और जल संकट दूर हो जाता है। अहिल्याबाई होल्कर भी यहां पर भगवान शिव की आराधना करने के लिए आया करती थी।
मंदिर से जुड़ी रोचक कथा
इंद्रेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी जो पौराणिक कथा है उसके मुताबिक वृत्रासुर नामक एक दैत्य से मुक्ति पाने के लिए भगवान इंद्र ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजन अर्चन की थी। जगह पर सबसे पहले भगवान इंद्र ने पूजन किया था इसी वजह से इस शिवलिंग का नाम इंद्रेश्वर महादेव पड़ा। यह भी बताया जाता है कि जब भगवान इंद्र को सफेद दाग की बीमारी हुई थी तो उन्होंने यहां पर तपस्या की थी। नरेंद्र देव से जुड़ा हुआ बताया जाता है और इस मंदिर की स्थापना स्वामी इंद्रपुरी ने की थी।
कहां से निकला शिवलिंग
किवंदतियो के मुताबिक जो शिवलिंग यहां पर स्थापित है उसे कान्हा नदी से निकलकर यहां पर प्रतिस्थापित किया गया था। तुकोजीराव प्रथम ने इसका जन्म उधर करवाया था। जानकारी के मुताबिक कोई भी परेशानी आने पर लोग इंद्रेश्वर महादेव की शरण में आते थे और उनकी परेशानी दूर हो जाती थी। ये इंदौर शहर का सबसे प्राचीन मंदिर है जो पंडरीनाथ में 4000 वर्ष पहले बनाया गया था।
मंदिर से जुड़ी है मान्यताएं
इस पौराणिक मंदिर से कई तरह की मान्यताएं भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि यहां भगवान को स्पर्श करते हुए निकलने वाले जल को ग्रहण करने से कई तरह के रोगों से में छुटकारा मिलता है। वहीं बारिश न होने पर जब भगवान को जलमग्न किया जाता है तो इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और अच्छी वर्षा करते हैं। इस मंदिर का उल्लेख शिव महापुराण में भी दिया गया है।