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Nandi Temple of Karnataka: जहां शिव की सवारी नंदी के मुख से निकलती है अनवरत जल की धारा, खुदाई के दौरान अस्तित्व में आया था ये पौराणिक मंदिर
History Of Nandi Temple in Karnataka: क्या आप जानते हैं कि क्या है कर्नाटक में स्थित भगवान शिव का श्री दक्षिणामुख नंदी तीर्थ कल्याणी क्षेत्र जिसे नंदीश्वर मंदिर कहते हैं आइये विस्तार से जानते हैं।
Famous south facing Nandi temple of Karnataka: हिंदू धर्म का इतिहास इतना ज्यादा पुराना है कि सैकड़ों साल पहले की संस्कृति में भी इसकी स्पष्ट छाप देखने को मिलती है। यही वजह है भारत मे कुछ प्राचीन मंदिरों को यदि छोड़ दें तो इतने मंदिर हैं कि इनकी गिनती कर पाना असंभव है। शिक्षा के बढ़ते महत्व के बीच हिंदुओं की प्राचीन सभ्यता से मंदिरों के पुनर्निर्माण की अलख जो जली है, वो अब इतनी तेजी से अपना विस्तार कर रही है कि मंदिर निर्माण के कार्य में और भी तीव्रता आती जा रही है। जैसे हाल ही में नवनिर्मित भगवान श्री राम का आयोद्धा मंदिर और वृंदावन का कॉरीडोर लोगों के बीच श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। इसी कड़ी में 1997 वर्ष के दौरान एक ऐसा पौराणिक मंदिर अस्तित्व में आया जिसे देखने के बाद लोगों को अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हुआ। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े इतिहास के बारे में विस्तार से -
कर्नाटका के बैंगलोर मे श्री दक्षिणामुख नंदी तीर्थ का इतिहास
कर्नाटका के बैंगलोर मे भगवान शिव का श्री दक्षिणामुख नंदी तीर्थ कल्याणी क्षेत्र जिसे नंदीश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। यह मंदिर अन्य मंदिरों से बिल्कुल अलग हैं, इसके बनाए जाने की कला इसे बाकी मंदिरों से अलग बनाती हैं। ऐसा माना जाता है कि 400 साल पुराने इस खूबसूरत मंदिर को वर्ष 1997 में एक राजनेता द्वारा जमीन की खुदाई के आदेश के वक्त खोजा गया था। इतिहास के अनुसार, परिस्थितियों में बदलाव के साथ यह मंदिर वर्षों तक भक्तों के आने की राह देखता रहा और अंततः मौसमी प्रभावों के चलते यह मिट्टी की मोटी परत के नीचे अदृश्य हो गया। दो दशक पहले जब इस शहर में आबादी बढ़ी और मल्लेश्वरम पसंदीदा आवासीय क्षेत्रों में से एक बन गया, तो यहां की जमीनों की मांग बढ़ गई और इसी बीच यहां मौजूद बरसों से खाली पड़ी एक जमीन की जब खुदाई की गई, तब पता चला कि इस जगह पर एक काफी पुराना और खूबसूरत मंदिर दबा हुआ है। खुदाई के दौरान मजदूरों को एक काला पत्थर दिखाई दिया है। जब उसे निकाला गया तो वो एक विशालकाय नंदी जी की प्रतिमा थी। जिनके मुख से लगातार जल की धारा निकल रही थी।
यह शिव मंदिर व्यस्त मल्लेश्वरम क्षेत्र के बीच में है। सुंदर और शांतिपूर्ण माहौल के बीच अब ये आस्था का केंद्र बना हुआ है।जब इसके बारे मे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को बताया तब उनके शोधकर्ताओ वहाँ आए।उन्होंने नंदी के मुह से बहते पानी की धारा का पीछा किया तो मालूम पड़ा नंदी की मूर्ति के नीचे एक शिव लिंग भी हैं, जो नंदी महाराज के मुह से बहती पानी की धारा हैं, वह सीधा शिव लिंग पर गिरती हैं। जब शोधकर्ताओं ने और खोज करी तो देखते ही देखते जमीन के नीचे से पूरा मंदिर ही खोज निकाला। जब शोधकर्ताओ ने मंदिर के बारे मे मालूम किया तो यह जानकारी सामने आई कि इस मंदिर का निर्माण 17 वी ईस्वी के दौरान किया गया था।
दक्षिणामुख नंदी मंदिर की संरचना
श्री दक्षिणामुख नंदी मंदिर में प्रवेश करते ही एक नंदी और सीढ़ियों से घिरा केंद्र में एक सुंदर तालाब दिखाई देता है। यह मुख्य मंदिर नंदी के ठीक नीचे स्थित है। नंदी के मुंह से लगातार शिव लिंग पर पानी गिर रहा है। पानी का स्रोत अभी भी अज्ञात है। सामान्यतौर पर शिवलिंग के सामने ही नंदी की मूर्ति होती हैं। लेकिन इस मंदिर मे नंदी के मुख से लबालब पानी की धार बहती है,जो नीचे मंदिर में स्थित शिवलिंग पर जाकर गिरती है। यह इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं। यह एक मात्र ऐसा मंदिर नहीं हैं, जिसमे नंदी की मूर्ति से लबालब पानी की धारा बहती हैं, आंध्र प्रदेश के श्री उमा महेशवाड़ा स्वामी मंदिर के कुंड के ऊपर भी एक नंदी की मूर्ति हैं, जिसके मुख से पानी बहता हैं और पानी का स्त्रोत कहां से आता है, यह किसी को नहीं मालूम।
दिव्य कुंड भी है इस मंदिर का बेहद खूबसूरत हिस्सा
प्राचीन समय की शिल्प कला और कारीगरी से भरपूर इस मंदिर में शिव लिंग के ठीक सामने एक बेहद आकर्षक कुंड भी हैं। जिसे वहाँ लोग कल्याणी के नाम से जानते हैं। उस कल्याणी कुंड में लगातार शुद्ध जल का प्रवाह बना रहता हैं।उस पानी मे भगवान विष्णु के दो अवतार भी मौजूद हैं, साथ ही इस कुंड में रंग बिरंगी मछलियाँ और कछुए हमेशा रहते हैं। जो भगवान विष्णु की प्रतिमा के चारों ओर जल क्रीडा कर इस कुंड की दिव्यता और आकर्षण में वृद्धि करते हैं।
इस तरह पड़ा दक्षिणामुखी नंदी गुरुथु कल्याणी क्षेत्र मंदिर नाम
इस मंदिर में नंदी और शिव दोनों दक्षिण की ओर मुख किए हुए हैं। इस प्रकार, मंदिर को श्री दक्षिणामुखी नंदी गुरुथु कल्याणी क्षेत्र कहा जाता है। अन्य मंदिर मुख्य मंदिर के बाहर हैं और अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं। यह मंदिर प्रसिद्ध कडू मंदिर के ठीक सामने है। पुराणों के अनुसार नंदी को शिव का वाहन तथा अवतार भी माना जाता है, जिन्हे बैल के रूप में शिवमन्दिरों में प्रतिष्ठित किया जाता है। संस्कृत में ‘नन्दि’ का अर्थ प्रसन्नता या आनन्द है।
इस मंदिर की विशेषता हैं कि नंदी के मुख से बहने वाली पवित्र जल की धारा को कन्नड़ में ‘तीर्थ‘ कहा जाता है। नंदी के मुख से निकला जल शिवलिंग पर गिरता है और उसके बाद मंदिर के बीच में बने तालाब में बह जाता है, जिसे कन्नड़ में कल्याणी कहा जाता है। और ‘क्षेत्र‘ का तात्पर्य पवित्र स्थान से है। इस प्रकार, मंदिर का नाम दक्षिणामुख नंदी तीर्थ कल्याण क्षेत्र रखा गया।
श्री दक्षिणामुख नंदी तीर्थ कल्याणी मंदिर मे शिव लिंग पर गिरने वाला पानी लोगों को प्रसाद के रूप मे दिया जाता हैं, जिसे वहाँ के पंडित एक बोतल मे भरके भक्तों को वितरित करते हैं।
नंदी के मुख से निकलने वाले जल स्रोत को लेकर यह भी है मान्यता
लोगों का मानना हैं की मंदिर के नीचे प्राकृतिक मीठे पानी के झरने हो सकते हैं, जो नंदी के मुंह से निकलने के स्त्रोत से बहते हैं। दूसरी तरफ यह कहना है कि पानी पास के सैंकी टैंक से आता है। हालाँकि, सैंके टैंक 1882 ईस्वी में बनाया गया था और मंदिर का निर्माण 17 वी ईस्वी मे हुआ था। जो कि इस तथ्य को भी निराधार साबित करता है क्योंकि, ये मंदिर सैंकी टैंक के निर्माण से भी बहुत पहले बनाया गया था।
शिवरात्रि के दौरान रहती खास चहल पहल
इस मंदिर के मुख्य देवता शिव हैं। इसलिए भगवान शिव से संबंधित हर त्यौहार इस मंदिर में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस मंदिर के भारी संख्या में दर्शन, पूजा के लिए पूरे दिन श्रद्धालुओं की उपस्थिति बनी रहती है। लेकिन शिवरात्रि के त्यौहारो पर इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। इस दिन मंदिर अच्छे से सजाया जाता हैं, जिससे यह मंदिर और भी दिव्य नजर आता है। वैसे तो यह मंदिर जनता के लिए सुबह 7.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक और शाम 5.00 बजे से 8.30 बजे तक खुला रहता है, लेकिन भगवान शिव के त्यौहारो पर यह मंदिर पूरे दिन खुलता हैं।