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Prayagraj Famous Temple: प्रयागराज के इन मंदिरों के करें दर्शन, यहां जानें इतिहास

Prayagraj Famous Temple : प्रयागराज भारत का एक बहुत ही खूबसूरत शहर है। इस धार्मिक नगरी के तौर पर पहचाना जाता है। चलिए यहां के कुछ धार्मिक स्थलों के बारे में जानते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 28 July 2024 11:18 AM IST
Prayagraj Famous Temple
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Prayagraj Famous Temple (Photos - Social Media)

Prayagraj Famous Temple : प्रयागराज में ऐसे कई प्राचीन हिन्दू मंदिर मौजूद है जो अपनी ऐतिहासिक और सामाजिक मान्यताओं के लिए जाने जाते है। प्रयागराज (इलाहाबाद) को तीर्थ नगरी भी कहा जाता है। प्रयागराज, जिसका भूतपूर्व नाम इलाहाबाद था, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख नगर है। यह प्रयागराज ज़िले का मुख्यालय है और हिन्दूओं का एक मुख्य तीर्थस्थल है। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है।

वेणी माधव मंदिर प्रयागराज (Veni Madhav Temple
Prayagraj)

वेणी माधव मंदिर प्रयागराज (इलाहाबाद) के दारागंज की तंग गली में स्थित है। वेणी माधव मंदिर में श्री वेणी माधव के रूप में श्री विष्णु और त्रिवेणी माँ के रूप में माँ लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित है। मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना करने के बाद प्रयागराज की धरती पर दशाश्वमेध घाट पर जब यज्ञ कर रहे थे। तब उन्होंने प्रयागराज की सुरक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना कर उनके बारह स्वरूपों की स्थापना करवाई थी। तब से श्री विष्णु श्री वेणी माधव के रूप में यहां निवास कर रहे हैं। एक मान्यता यह भी है कि प्रयागराज में श्री विष्णु ने पवित्र संगम त्रिवेणी (गंगा, यमुना और सरस्वती) को राक्षस गजकर्ण से मुक्त कराया था और अपने भक्तों को श्री वेणी माधव के रूप में प्रयागराज (इलाहाबाद) में रहने का वादा किया। श्री वेणी माधव के दर्शन के बिना प्रयागराज की यात्रा एवं यहाँ होने वाली पंचकोसी परिक्रमा को पूरा नहीं माना जाता है।

Veni Madhav Temple Prayagraj


शंकर विमान मंडपम प्रयागराज (Shankar Viman Mandapam Prayagraj)

प्रयागराज (इलाहाबाद) में बना शंकर विमान मंडपम, भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। आदि शंकराचार्य की स्मृति में बना यह मंदिर त्रिवेणी संगम के तट पर स्थित है। यह मंदिर 130 फीट ऊँचा मंदिर है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है। जो शास्त्री पुल से देखने पर यह मंदिर भव्य व अलौकिक लगता है। यह चार मंजिला मंदिर है। इस मंदिर में जगतगुरु आदि शंकराचार्य, कुमारी भट्ट, कामाक्षी देवी (चारों ओर 51 शक्तिपीठ की मूर्तियां), योगशास्त्र सहस्त्रयोग लिंग (108 शिवलिंग) और तिरुपति बालाजी (108 विष्णु भगवान) सहित विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित है।

श्री बड़े हनुमान मंदिर प्रयागराज (Shri Bade Hanuman Temple Prayagraj)

श्री बड़े हनुमान मंदिर प्रयागराज (इलाहाबाद) में शहर के किनारे अकबर किले के पास लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर है। इस मूर्ति की लंबाई लगभग 20 फीट है। यहाँ के लोगो का कहना है कि गंगा मैया हर साल हनुमान जी को पहला स्नान कराती हैं। इस मंदिर का संचालन बाघम्बरी मठ द्वारा किया जाता है। यहाँ हर दिन हजारों भक्तों की भीड़ लगती है। इस मंदिर को लोग लेटे हुए हनुमान जी को बांध वाले हनुमान जी भी कहा जाता है।

Bhardwaj Ashram Prayagraj


भारद्वाज आश्रम प्रयागराज
(Bhardwaj Ashram
Prayagraj)

भारद्वाज आश्रम एक मंदिर और आश्रम है। यह आश्रम वर्तमान में कर्नलगंज, प्रयागराज (इलाहाबाद) में स्थित है। यह भारद्वाज आश्रम अनादि काल से हिंदू संस्कृति और सभ्यता की निरंतरता का प्रतीक है। ऋषि भारद्वाज का आश्रम ‘गुरुकुल’ विद्या और शिक्षा का एक केंद्र था। भारद्वाज आश्रम ज्ञानी ऋषि-मुनियों और प्रयागराज के हजारों वर्षों के रिश्ते का प्रतीक है। भारद्वाज आश्रम में निरंतर यज्ञ होने के कारण हिंदू धर्म ग्रंथों में प्रयागराज को ‘यज्ञ भूमि’ भी कहा जाता है। यह वही भारद्वाज आश्रम है जहाँ श्रीराम सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वनवास जाते समय ऋषि भारद्वाज से मुलाकात की थी और उनके साथ महत्वपूर्ण बातचीत की थी।

सोमेश्वर महादेव मंदिर प्रयागराज (Someshwar Mahadev Temple Prayagraj)

सोमेश्वर नाथ मंदिर प्रयागराज के यमुना तट पर अरैल गांव में भगवान शिव का मंदिर स्थापित है। यह एक प्राचीन शिव मंदिर है। जिसकी स्थापना चंद्रमा ने की थी। कहा जाता है कि जब माता पार्वती के पिता राजा दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को क्रोधित होकर श्राप दे दिया था। जिससे चंद्रमा कुरूप होकर छय रोग से ग्रसित हो गए। इस श्राप मुक्त होने के लिए भगवान शिव के कहने पर चंद्रमा ने सोमेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना की और भगवान शिव की आराधना की। जिससे उनका छय रोग ठीक हो गया। उसी प्राचीन मंदिर को सोमेश्वर नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। मान्यता यह भी है कि इस मंदिर के आस पास अमृत की वर्षा होती है। प्रत्येक माह की पूर्णिमा की रात को इस शिव मंदिर की शिखा पर लगे त्रिशूल की दिशा भी चंद्रमा के साथ बदलती है। यह प्रयागराज (इलाहाबाद ) के प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। त्रिशूल की दिशा बदलना ही इस मंदिर की महिमा है। जो लोगों को दूर-दूर से अपनी ओर आकर्षित करती है।




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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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