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History Of Trilok Tirtha Dham: उत्तर प्रदेश में है 16 मंत्र त्रिलोक तीर्थ धाम, तीन लोकों के होते हैं दर्शन

History Of Trilok Tirtha Dham : उत्तर प्रदेश के बागपत गांव में त्रिलोक तीर्थ धाम मौजूद है जो जैन समाज की आस्था का केंद्र है। यह 16 मंजिला इमारत है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 24 July 2024 7:11 PM IST
History Of Trilok Tirtha Dham
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History Of Trilok Tirtha Dham (Photos - Social Media)

History Of Trilok Tirtha Dham : देश भर में कई हिंदू और जैन समाज के मंदिर है जो काफी प्रसिद्ध है। उत्तर प्रदेश के बागपत की धर्म नगरी बड़ा गांव में भी त्रिलोक तीर्थ मौजूदा जो जैन समाज की आस्था का केंद्र है। हसन लाखों की संख्या में देश ही नहीं बल्कि विदेश से श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। यह 16 मंजिला मंदिर है जहां पर 1008 भगवान आदिनाथ की 31 फीट ऊंची प्रतिमा मौजूद है। इसके मुख्य द्वार पर उर्ध्व लोक, मध्यलोक और अधोलोक का चित्रण दर्शाया गया है।

ऐसा है त्रिलोक तीर्थ धाम का इतिहास (History Of Trilok Tirtha Dham)

त्रिलोक तीर्थ के इतिहास की बात करें तो ब्रह्मलीन आचार्य विद्या भूषण सन्मति सागर महाराज ने इसके निर्माण की योजना 28 मार्च 1994 में तैयार की थी। वहां से पद विहार करते हुए वह 2 जुलाई 1997 को बड़ागांव पहुंचे। इसके बाद उन्होंने जैन समाज के लोगों के बीच धाम निर्माण की योजना रखी। 1998 में तत्कालीन गवर्नर सूरजभान नेत्र लोक तीर्थ धाम का भूमि पूजन किया। धाम के मुख्य द्वार पर आचार्य की प्रेरणा से तीनों लोगों का सचित्र चित्रण किया गया है जो मनुष्य के कर्मों को दर्शाने का काम करता है। यह 16 मंजिल का धाम है जिसकी ऊंचाई 200 फिट है। यहां पर 1008 भगवान आदिनाथ की अष्टधातु की प्रतिमा विराजमान है। 15 फरवरी 2017 को तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह और तत्कालीन गवर्नर राम नायक और सांसद डॉक्टर सत्यपाल सिंह ने पंचकल्याण का शुभारंभ कियाथा।


15साल चला त्रिलोक तीर्थ धाम निर्माण का काम (Construction of Trilok Teerth Dham Continued for 15 years)

16 मंजिला त्रिलोक तीर्थ धाम का निर्माण 15 साल तक निरंतर चलता रहा। साल 2000 में रक्षाबंधन के पर्व पर इसका निर्माण काम शुरू किया गया था जो 2015 तक निरंतर चलता रहा। निर्माण में सैकड़ो कामगारों ने काम किया। इसके निर्माण में जो पत्थर उपयोग किया गया है वह धौलपुर राजस्थान का है जबकि प्रतिमा सफेद मकराना पत्थर से बनी है। पत्थरों पर नक्काशी उड़ीसा के कारीगरों ने की है। मंदिर का निर्माण नगर शैली में किया गया है और इसके निर्माण में 60 करोड़ की लागत आई है।

मजबूती के लिए 100 फीट नीचे नींव (100 Feet Below For Strength)

धमका का जैन समाज की प्रतीक चिन्ह से लिया गया है। धाम की मजबूती के लिए इसकी नींव करीब 100 फीट नीचे तक खुदाई करने के बाद रखवाई गई है। यह इतना मजबूत है कि सामान्य से अधिक तीव्रता वाले भूकंप के सको को आसानी से झेल सकता है।


मंदिर में 468 जिनालय और तीन लोक (There are 468 Temples & Three Lokas in The Temple)

इस मंदिर में पहली मंजिल पर नंदीश्वर और पंचमेरू, दूसरी मंजिल पर ढाई द्वीप, तीसरी मंजिल पर समोशरण फिर उर्ध्वलोक, मध्यलोक, अधोलोक का चित्रण किया गया है। यह दर्शाते हैं कि मनुष्य को कर्मों के अनुसार फल मिलता है। यहां पर 468 जिनालय की शाश्वत रचना स्थापित है और सबसे ऊपर भगवान आदिनाथ की गति सिर्फ ऊंची प्रतिमा विराजमान है।

History Of Trilok Tirtha Dham


लाल किले से दिखता है त्रिलोक तीर्थ धाम का नजारा (View Of Trilok Tirtha Dham is Visible From The Red Fort)

धाम की ऊंचाई 231 फिट है और यह शायद अब तक का सबसे ऊंचा निर्माणहै। ऐसा कहा जाता है कि इस धाम को दिल्ली के लाल किले से देखा जा सकता है। प्रदूषण कम होने के बाद धाम के ऊपर से दिल्ली के लाल किले को देखे जाने की बात भी समाज के लोगों ने बताई है। इस धाम की ऊंचाई 30 फीट और बढ़नी थी लेकिन चंडी नगर एयर फोर्स स्टेशन के अधिकारियों से बातचीत होने के बाद इसकी ऊंचाई को काम किया गया।


लाइट और साउंड शो कार्यक्रम भी देख सकते हैं। (One Can Also Watch Light & Sound Show Programmed)

इस मंदिर के दर्शन के दौरान आप यहां रविवार और शनिवार को होने वाले लाइट एंड साउंड शो कार्यक्रम को देख सकते हैं। इस स्पेशल शो को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और इसमें समाज के इतिहास और धाम के इतिहास को बताया जाता है। यहां पर बच्चों के लिए पार्क भी है जहां वह मौज मस्ती कर सकते हैं।



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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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