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Lucknow to Jagannath Puri: लखनऊ से कैसे पहुंचे श्रीजगन्नाथ पूरी धाम, जानिए ट्रेन या फ्लाइट क्या है बेस्ट

How To Reach Lucknow to Jagannath Puri: लखनऊ से जगन्नाथ मंदिर तक ट्रेन से जाने के लिए आपको एक ट्रेन मिलेगी जो हफ्ते में तीन दिन चलती है।

Shweta Srivastava
Published on: 19 Sept 2023 9:33 AM IST
Lucknow to Jagannath Puri
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Lucknow to Jagannath Puri (Image Credit-Social Media)

Lucknow to Jagannath Puri: पुरी, पूर्वी भारत के ओडिशा राज्य में एक शहर है। ये राज्य की राजधानी भुवनेश्वर से 60 किमी दक्षिण में बंगाल की खाड़ी पर स्थित है। शहर में स्थित 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर के बाद इसे श्रीजगन्नाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है। ये हिंदुओं के मूल चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि अगर आप लखनऊ शहर से श्रीजगन्नाथ पूरी धाम की यात्रा करने की सोच रहे हैं तो हम आपको यहाँ तक पहुंचने के सभी रास्तों से रूबरू करवाने जा रहे हैं।

लखनऊ से कैसे पहुंचे श्रीजगन्नाथ पूरी धाम

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण राजा चोदगंग ने करवाया था। राजा ने निर्माण शुरू किया और जगमोहन या सभा कक्ष और विमान या मंदिर के रथ का निर्माण उनके शासनकाल के दौरान किया गया। बाद में अनंगभीम देव ने 1174AD में मंदिर का निर्माण पूरा कराया। एक पौराणिक कथा के अनुसार इंद्रद्युम्न एक राजा था जो भगवान विष्णु की बहुत पूजा करता था। एक बार राजा को सूचित किया गया कि भगवान विष्णु नील माधव के रूप में आए हैं तो राजा ने उन्हें खोजने के लिए विद्यापति नामक एक पुजारी को भेजा। यात्रा करते-करते विद्यापति उस स्थान पर पहुँचे जहाँ सबरा निवास करते थे। विश्ववसु स्थानीय प्रमुख थे जिन्होंने विद्यापति को अपने साथ रहने के लिए आमंत्रित किया।

विश्वावसु की ललिता नाम की एक पुत्री थी और कुछ समय बाद विद्यापति ने उससे विवाह कर लिया। विद्यापति ने देखा कि जब उनके ससुर वापस आये तो उनके शरीर से चंदन, कपूर और कस्तूरी की अच्छी सुगंध आ रही थी। अपनी पत्नी से पूछने पर उसने उसे अपने पिता द्वारा नीला माधव की पूजा के बारे में बताया। विद्यापति ने अपने ससुर से उन्हें नीला माधव के पास ले जाने के लिए कहा। विश्वावसु ने उसकी आँखों पर पट्टी बाँध दी और उसे गुफा में ले गया। विद्यापति अपने साथ सरसों के बीज ले गए जिन्हें उन्होंने रास्ते में गिरा दिया ताकि उन्हें गुफा का रास्ता याद रहे।

विद्यापति ने राजा को सूचित किया तो वो उस स्थान पर आए लेकिन, उनकी निराशा के कारण, देवता गायब हो गए। देवता के दर्शन के लिए उन्होंने नीला पर्वत पर आमरण अनशन किया। एक बार उन्होंने एक आवाज सुनी कि वो देवता के दर्शन करेंगे इसलिए उन्होंने एक घोड़े की बलि दी और एक मंदिर बनवाया और नारद ने मंदिर में श्री नरसिम्हा की मूर्ति स्थापित की।

एक रात वो सो गए और सपने में उन्हें भगवान जगन्नाथ के दर्शन हुए। उसने एक आवाज़ भी सुनी जो उन्हें एक सुगंधित पेड़ के बारे में बता रही थी और उन्होंने मूर्तियाँ बनाने का आदेश दिया। इसलिए राजा ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ बनवाईं। इसके साथ ही उन्होंने सुदर्शन चक्र भी बनाया।

तब राजा ने भगवान ब्रह्मा से मंदिर और देवताओं के दर्शन करने की प्रार्थना की। जब भगवान ब्रह्मा ने मंदिर देखा तो वे बहुत प्रसन्न हुए और उनसे एक इच्छा के बारे में पूछा जिसे वो (भगवान ब्रह्मा) पूरा कर सकते हैं। राजा ने प्रार्थना की कि उसके जीवन में कोई समस्या न हो और वह अपने परिवार में अंतिम व्यक्ति हो। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके परिवार में कोई बचा है तो वह समाज के लिए नहीं बल्कि मंदिर के लिए काम करें।

मंदिर पर कई शासकों द्वारा आक्रमण किया गया। मंदिर में अपार धन मौजूद होने के कारण इसे लूटा गया। इन हमलों के कारण, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को बचाने के लिए उन्हें विभिन्न स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया।

लखनऊ से जगन्नाथ मंदिर तक जाने का सबसे सस्ता तरीका ट्रेन है जिसमे आपको ₹650 - ₹2,900 तक खर्च करने पड़ेंगे। जिससे आपको पुरी पहुंचने में लगभग 27 घंटे 7 मिनट लगते हैं। इसके अलावा लखनऊ से जगन्नाथ मंदिर तक जाने का सबसे तेज़ तरीका हवाई जहाज़ और टैक्सी है। इस विकल्प को लेने पर आपको ₹7,500 - ₹24,000 का खर्च आएगा और इसमें 4 घंटे 46 मिनट लगेंगे। आपको बता दें कि लखनऊ और जगन्नाथ मंदिर के बीच की दूरी 928 किमी है। वहीँ अगर आप बाय रोड यात्रा कर रहे हैं तो इसकी दूरी 1167.2 किमी है। वैसे लखनऊ से जगन्नाथ मंदिर तक बिना कार के जाने का सबसे अच्छा तरीका ट्रेन है जिसमें 27 घंटे 7 मिनट लगते हैं और लागत भी ज़्यादा नहीं आती। जगन्नाथ मंदिर में 343+ होटल उपलब्ध हैं। कीमतें ₹7,500 प्रति रात से शुरू होती हैं।

नीलांचल एक्सप्रेस

लखनऊ से जगन्नाथ मंदिर तक ट्रेन से जाने के लिए आपको एक ट्रेन मिलेगी जो हफ्ते में तीन दिन यानी रविवार, मंगलवार और शुक्रवार को चलती है साथ ही इसका समय दोपहर 2 बजकर 30 मिनट है जब ये लखनऊ से आप पकड़ सकते हैं जो आपको श्रीजगन्नाथ पूरी धाम अगले दिन 4 बजकर 50 मिनट पर पंहुचा देगी। ये ट्रेन एक दिन 2 घंटे और 20 मिनट पर पंहुचा देती है।



Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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