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Indergarh Fort History: सुंदर किलों में शुमार इंदरगढ़ किला, जिसके अंदर हैं तीन महल, आइए जानते हैं
Indergarh Ka Kila: इंदरगढ़ किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में इंद्रसाल सिंह हाड़ा द्वारा कराया गया था। यह किला बूंदी से लगभग 77 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
Indergarh Fort History (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Indergarh Ka Kila Ka Itihas: भारत का इतिहास अनेक किलों और स्थापत्यकला की अद्भुत धरोहरों से सुसज्जित है। इनमें से एक प्रमुख और ऐतिहासिक महत्व का स्थल है इंदरगढ़ किला (Indergarh Fort)। यह किला राजस्थान (Rajasthan) के बूंदी जिले (Bundi) में स्थित है और अपनी भव्यता, वास्तुशिल्प और ऐतिहासिक घटनाओं के कारण प्रसिद्ध है।
इंदरगढ़ किला (Indergarh Fort History In Hindi)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
इंदरगढ़ किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में इंद्रसाल सिंह हाड़ा द्वारा कराया गया था। यह किला बूंदी से लगभग 77 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला एक पहाड़ी के समीप बना हुआ है और इसकी संरचना अत्यंत अनूठी है, जिसमें चार विशाल द्वार और मजबूत दीवारें हैं।
इस खूबसूरत किले के भीतर तीन प्रमुख महल हैं- जनाना महल, सुपारी महल और हवा महल। इन सभी महलों की दीवारों पर अत्यंत सुंदर चित्रकारी की गई है, जो राजस्थानी कला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है।
इंदरगढ़ किले के समीप कमलेश्वर महादेव और मां काली के प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित हैं, जो धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थल माने जाते हैं। इसे राजा अनिरुद्ध सिंह द्वारा बनवाया गया था, जो बूंदी के हाड़ा राजपूत शासक थे। इस किले का निर्माण मुख्यतः सैन्य दृष्टिकोण से किया गया था ताकि राज्य की सीमाओं की रक्षा की जा सके।
राजा अनिरुद्ध सिंह ने इस किले को बनवाने का उद्देश्य अपनी सेना को मजबूत गढ़ प्रदान करना था। यह किला रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण था क्योंकि यह ऊँचाई पर स्थित है, जिससे दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखना संभव था।
किले की संरचना (Indergarh Fort Structure)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
इंदरगढ़ किला वास्तुशिल्प की दृष्टि से अत्यंत भव्य और सुदृढ़ है। इसका निर्माण राजस्थानी स्थापत्यशैली में किया गया है। किले की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
मुख्य द्वार: किले का प्रवेश द्वार विशाल और मजबूत है, जिसे पार करने के लिए कई परतों में सुरक्षा व्यवस्था थी।
दीवारें और बुर्ज: किले की दीवारें ऊँची और मोटी हैं, जो दुश्मन के आक्रमण से रक्षा करती थीं। बुर्जों से सैनिक निगरानी रखते थे।
राजमहल: किले के भीतर राजमहल का निर्माण किया गया था, जहां राजा और उनका परिवार निवास करता था। यह महल अत्यंत भव्य था, जिसमें राजसी वास्तुशिल्प का अद्भुत समावेश था।
जल व्यवस्था: किले में जल संग्रहण के लिए बड़े-बड़े कुंड और बावड़ियाँ बनाई गई थीं। इससे यह सुनिश्चित किया जाता था कि संकट के समय में जल की कमी न हो।
प्रमुख घटनाएं (Indergarh Fort Major Events)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
इंदरगढ़ किला कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है।
आक्रमणों का प्रतिरोध: इस किले ने मुगलों और अन्य बाहरी आक्रमणकारियों के कई हमलों का सामना किया। किले की मजबूत संरचना और रणनीतिक स्थिति ने इसे अजेय बनाए रखा।
राजनीतिक समझौते: कई बार इंदरगढ़ किला राजनीतिक समझौतों और गठबंधनों का केंद्र भी रहा। स्थानीय राजाओं ने यहाँ बैठकें कीं और सैन्य योजनाएं बनाई।
संस्कृतिक गतिविधियां: किले में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते थे, जो राजपूत संस्कृति की झलक दिखाते थे।
वर्तमान स्थिति (Indergarh Fort Current Situation)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
वर्तमान में इंदरगढ़ किला एक ऐतिहासिक स्मारक के रूप में जाना जाता है। हालांकि समय के साथ इसकी कुछ संरचनाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, फिर भी यह किला अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्त्व को बनाए हुए है।
पर्यटन स्थल: इंदरगढ़ किला आज एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है। यहाँ देश-विदेश से पर्यटक आते हैं और किले की स्थापत्यकला, इतिहास और संस्कृति का आनंद लेते हैं।
संरक्षण के प्रयास: सरकार और पुरातत्व विभाग द्वारा इस किले के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। मरम्मत कार्य और सफाई अभियान समय-समय पर आयोजित किए जाते हैं।
स्थानीय त्योहार: किले में स्थानीय त्योहारों और मेलों का आयोजन भी किया जाता है, जिससे यहाँ की सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने का प्रयास किया जाता है।
दीवार ढहने से हो चुकी है एक की मौत
11 जून 2016 को इंदरगढ़ किले के भीतर निवासरत एक दंपति पर किले की दीवार गिर गई थी। इस घटना में 65 वर्षीय हबीब खान की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि उनकी पत्नी 60 वर्षीय जमीला खान गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। उन्हें इलाज के लिए ग्वालियर रेफर किया गया था, जहां उनकी जान बचाई जा सकी।
राजस्व विभाग के पास नहीं है रिकॉर्ड
इंदरगढ़ किले से संबंधित कोई भी रिकॉर्ड न तो राजस्व विभाग के पास है और न ही पुरातत्व विभाग के पास। इस कारण से शासन-प्रशासन द्वारा अब तक किले की सुरक्षा और रख-रखाव के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस लापरवाही के चलते किला अतिक्रमण की चपेट में है।
बन चुका है जांच दल
दतिया कलेक्टर मदन कुमार ने इंदरगढ़ दुर्ग के संदर्भ में चार सदस्यीय जांच दल का गठन किया था। इस दल में सेंवढ़ा एसडीएम, इंदरगढ़ तहसीलदार, नगर परिषद के सीएमओ और पुरातत्व विभाग के अधिकारी शामिल थे। हालांकि जांच की स्थिति के बारे में अब तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।
कलेक्टर ने किया निरीक्षण
हाल ही में टीएल मीटिंग के बाद कलेक्टर मदन कुमार ने इंदरगढ़ किले का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को किले की सुरक्षा सुनिश्चित करने और इसे पुरातत्व विभाग को सौंपे जाने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। लेकिन एक माह बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
राजपरिवार ने नहीं किया दावा पेश
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
दतिया राज परिवार के कुंवर घनश्याम सिंह ने एक वर्ष पूर्व दावा किया था कि इंदरगढ़ किला उनकी पैतृक संपत्ति है और वे इसके स्वामित्व का दावा पेश करेंगे। उन्होंने किले का निरीक्षण भी किया था और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई दावा नहीं पेश किया गया और न ही अतिक्रमण के विरुद्ध कोई पहल की गई है।
यह किला कई युद्धों और राजनीतिक समझौतों का साक्षी रहा है। मुगल आक्रमणों के दौरान इस किले ने कई बार दुश्मनों के हमलों का सामना किया।राजपूत योद्धाओं की वीरता और संघर्ष की कई कहानियाँ इस किले से जुड़ी हुई हैं।
किले में वर्षा जल संचयन के लिए बड़े-बड़े कुंड और बावड़ियाँ बनाई गई थीं। संकट के समय में भी यहाँ पानी की कमी नहीं होती थी, जो उस समय की उन्नत वास्तुकला का उदाहरण है।
किले के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य इसे और भी आकर्षक बनाता है। ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यहां से आसपास के क्षेत्र का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
स्थानीय लोगों में कई रहस्यमय कहानियां प्रचलित हैं, जैसे कि किले में गुप्त सुरंगों का होना और आत्माओं का वास। हालांकि इन कथाओं की पुष्टि नहीं है, लेकिन ये किले के रहस्य को और भी बढ़ा देती हैं।
इंदरगढ़ किला न सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि यह भारतीय स्थापत्य, संस्कृति और वीरता का प्रतीक भी है। इसकी संरचना, कलाकृतियां, और ऐतिहासिक घटनाएं इसे और भी विशिष्ट बनाती हैं। अगर इसे सही तरह से संरक्षित किया जाए, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए गौरवशाली इतिहास का एक जीवंत उदाहरण बन सकता है।