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Saptpuri Darshan Yatra: प्रयागराज ही नहीं भारत के इन मंदिरों में दर्शन करने से भी मिल जाती है मोक्ष की प्राप्ति
Saptpuri Darshan Yatra Guideline: क्या आप जानते हैं कि महाकुम्भ की नगरी प्रयागराज के अलावा भी भारत में कई ऐसी जगहें हैं जहाँ स्थित मंदिरों के दर्शन से भी व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है आइये जानते हैं क्या है ये मान्यताएं और कहाँ स्थित हैं ये मंदिर।
Saptpuri Darshan Yatra Guideline: अपने जीवन में पापों की मुक्ति के साथ मोक्ष प्राप्ति के लिए इस समय असंख्य श्रद्धालु प्रयागराज का रुख कर रहें हैं। कुंभ की इस विशेष घड़ी का लंबा इंतजार श्रद्धालुओं को करना पड़ता है। लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि, भारत में ऐसे भी कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जहां आप अपनी सुविधा के अनुरूप कभी भी जाकर मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं। सनातनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भारत के सात पवित्र ऐसे शहर हैं, जहां के पवित्र मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बने हुए हैं। जिनमें कांचीपुरम, अयोध्या, मथुरा, द्वारका, वाराणसी, हरिद्वार, उज्जैन आदि मुख्य जगहों का नाम आता है।
सप्तपुरी नाम से विख्यात है ये शहर
भारत में मौजूद सात ऐसे पवित्र शहर हैं, जिन्हें ’सप्तपुरी’ के नाम से भी जाना जाता है। इन शहरों का जिक्र धार्मिक ग्रंथों में भी मौजूद है। कई आराध्य देवताओं के धरती लोक पर अवतार के दौरान घटना चक्रों का भी इन खास जगहों से संबंध है। आज भी इन्हें सिद्ध स्थल माना जाता है। यही वजह है भारत में इन तीर्थ स्थलों के दर्शन से लोगों को मानसिक शांति के साथ मोक्ष प्राप्त करने का भी सौभाग्य प्राप्त होता है। आइए जानते हैं इन सप्तपुरी धार्मिक नगरी के बारे में
द्वारका (Dwarika)
द्वारका वो स्थान है जहां 5000 वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने मथुरा छोड़ने के बाद द्वारका नगरी बसाई थी। द्वारका से भगवान कृष्ण के जीवन की कई कहानियां जुड़ी हुई है। आज, यह द्वारकाधीश मंदिर और कई अन्य मंदिरों के लिए जाना जाता है। इसलिए, यह भारत में 7 प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थानों में से एक है।
द्वारका को गुजरात की पहली राजधानी कहा जाता है
द्वारका उस जमाने में राजधानी बन गई थीं। बड़े-बड़े राजा यहां आते थे और बहुत-से मामले में भगवान श्रीकृष्ण की सलाह लेते थे। इस जगह का धार्मिक महत्व तो है ही, रहस्य भी कम नहीं है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण की मृत्यु के साथ उनकी बसाई हुई यह नगरी समुद्र में डूब गई थी।
यह भी माना जाता है कि 2200 साल पुरानी इस वास्तुकला का निर्माण वज्रनाभ ने किया था, जिन्होंने इसे भगवान कृष्ण द्वारा समुद्र से पुनः प्राप्त भूमि पर बनवाया था।मंदिर के अंदर दूसरे मंदिर हैं जो सुभद्रा, बलराम और रेवती, वासुदेव, रुक्मिणी और कई अन्य को समर्पित हैं।
उज्जैन (Ujjain)
यह देवताओं का शहर है। स्कंदपुराण के अनुसार, उज्जैन में 84 महादेव, 64 योगिनियां, 8 भैरव और 6 विनायक हैं। महान कवि कालिदास उज्जैन की सुंदरता की प्रशंसा करते हैं और उनके अनुसार उज्जैन स्वर्ग का एक गिरा हुआ भाग है। उज्जैन का एक बड़ा महत्व वैज्ञानिक रूप से इसका केंद्रीय स्थान है।मध्य प्रदेश (मध्य भारत) में 700 ईसा पूर्व के दौरान उज्जैन एक शहरी केंद्र के रूप में विकसित हुआ। पवित्र शास्त्रों के अनुसार, उज्जैन शहर की उत्पत्ति समुद्र मंथन (देवताओं और राक्षसों के बीच लड़ाई की एक कथा) के दौरान हुई थी। इसे ’मंदिरों का शहर’ भी कहा जाता है, इसलिए यह हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है, साथ ही सात शहरों के रूप में भी शामिल है।उज्जैन के महाकालेश्वर की मान्यता भारत के प्रमुख बारह ज्योतिर्लिंगों में है। महाकालेश्वर मंदिर का माहात्म्य विभिन्न पुराणों में विस्तृत रूप से वर्णित है। महाकवि तुलसीदास से लेकर संस्कृत साहित्य के अनेक प्रसिध्द कवियों ने इस मंदिर का वर्णन किया है। लोक मानस में महाकाल की परम्परा अनादि है।
कांचीपुरम (Kanchipuram)
कांचीपुरम, तमिलनाडु में स्थित एक पवित्र शहर है। यह शहर श्री वैष्णववाद, शक्तिवाद और शैववाद के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कांचीपुरम में कई मंदिर हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मंदिर में कामाक्षी अम्मन मंदिर, वरदराज पेरुमल मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, एकंबरेश्वर मंदिर, कांची कैलासनाथर मंदिर आदि का नाम आता है। यही वजह कि हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान बना हुआ है। कांची के नाम से भी जाना जाने वाला यह शहर दक्षिण भारत में कामाक्षी अम्मन मंदिर और कांचीवरम सिल्क के लिए प्रसिद्ध है। कांची का एक महान ऐतिहासिक अतीत होने के साथ-साथ यहां कई ऐतिहासिक स्थल भी मौजूद हैं। यह भारत में सप्तपुरी यात्रा के तीर्थ स्थलों में से एक है।ऐसा माना जाता है कि कांचीपुरम में प्राचीन काल में ब्रह्माजी ने देवी के दर्शन के लिए तप किया था। कांचीपुरम में सभी ज्ञात भारतीय धार्मिक संप्रदायों के मंदिर हैं।
कांचीपुरम में कई महान धार्मिक शिक्षकों और आचार्यों ने काम किया है।कांचीपुरम को हज़ार मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। कांचीपुरम में भगवान विष्णु के 108 पवित्र मंदिरों में से 15 मंदिर हैं।
हरिद्वार (Haridwar)
भगवान शिव (हर) के अनुयायी और भगवान विष्णु (हरि) के अनुयायी इस स्थान को क्रमशः हरिद्वार और हरद्वार कहते हैं। यह देवभूमि और चार धाम (उत्तराखंड में तीर्थयात्रा के चार मुख्य केंद्र) अर्थात बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए प्रवेश बिंदु भी है।हरिद्वार सप्तपुरी यात्रा के पवित्र शहरों में से एक है। यह उत्तराखंड में गंगा नदी के तट पर स्थित है। यहां हर 12 साल में कुंभ मेला (गंगा नदी में अनुष्ठान स्नान) लगाया जाता है। यह कैलाश पर्वत तक पहुंचने के लिए चार धाम यात्रा का प्रारंभिक बिंदु भी है। यह भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है।हरिद्वार का महात्म्य इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे हिंदू धर्म के सबसे पवित्र नदी गंगा का प्रवेश स्थल माना जाता है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि गंगा का स्नान करने से पुरुषार्थ के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मथुरा (Mathura)
मथुरा को भगवान कृष्ण का जन्म स्थान माना जाता है। भगवान कृष्ण हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। मथुरा को भी भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक माना जाता है। यहां कई मंदिर हैं और यह वृंदावन और गोवर्धन जैसे अन्य शहरों के पास है, जहां माना जाता है कि कृष्ण ने अपना बचपन इन्हीं जगहों पर बिताया था। मथुरा में घूमने-फिरने से पग-पग पर तीर्थयात्रा का फल मिलता है।
- मथुरा में चुनरी मनोरथ करने से सुख शांति लक्ष्मी प्राप्त होती है।
- मथुरा में यमुना महारानी का शयन होता है। मथुरा के कुछ खास मंदिर कृष्ण जन्मस्थान मंदिर, बांके बिहारी मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर हैं।