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Bharat Ki Thandi Jagah: आइए जानें भारत के सबसे ठंडे गांव के बारे में रोचक बातें
Bharat Ka Sabse Thanda Gaon Ladakh: क्या आप जानते हैं कि लद्दाख का एक ऐसा गाँव है जो न केवल भारत, बल्कि दुनिया के सबसे ठंडे स्थानों में से एक माना जाता है?
Bharat Ka Sabse Thanda Gaon Ladakh (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Most Coldest Village In India: द्रास (Drass), जिसे "भारत का गेटवे टू लद्दाख (Gateway to Ladakh)" भी कहा जाता है, क्योंकि यह लद्दाख क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रमुख मार्ग है। लद्दाख की बर्फीली ऊँचाइयों में बसा, यह गाँव अपने कठोर जलवायु के बावजूद एक जीवंत समुदाय को समेटे हुए है। यहाँ का तापमान सर्दियों में हड्डियों को जमा देने वाले -60 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है, जो इसे अत्यंत चुनौतीपूर्ण स्थानों में से एक बनाता है। इसके बावजूद, द्रास के निवासी पीढ़ियों से इन कठिन परिस्थितियों के अनुरूप जीवन व्यतीत कर रहे हैं, जो उनके अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प का परिचय देता है।
द्रास: एक परिचय (Introduction Of Drass)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
द्रास, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में स्थित एक छोटा सा गाँव है। समुद्र तल से लगभग 10,800 फीट (3,300 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित यह गांव दुनिया के सबसे ऊँचे बसे हुए स्थानों में से एक है। यह श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग (NH1) पर स्थित है। यह स्थान करगिल जिले के अंतर्गत आता है और श्रीनगर से लगभग 140 किलोमीटर तथा करगिल से 60 किलोमीटर दूर स्थित है।
यह गाँव हिमालय पर्वतमाला से घिरा हुआ है, जो इसे एक शानदार लेकिन चुनौतीपूर्ण पृष्ठभूमि प्रदान करता है। यहाँ का परिदृश्य ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों, बंजर मैदानों और गहरी घाटियों से भरा हुआ है, जो इसकी कठोर जलवायु को और अधिक तीव्र बना देता है। द्रास में सर्दियाँ न केवल लंबी बल्कि अत्यधिक भीषण होती हैं, जो नवंबर से मई तक फैली रहती हैं। इस अवधि के दौरान, पूरा क्षेत्र बर्फ की मोटी परत से ढक जाता है।
द्रास को मुख्यतः इसकी अत्यधिक ठंड और कारगिल युद्ध 1999 (Kargil War) के दौरान इसकी रणनीतिक स्थिति के कारण जाना जाता है। यहाँ रहने वाले लोग अत्यधिक कठिनाइयों के बावजूद अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखे हुए हैं।
सबसे ठंडा गांव, द्रास (Most Cold Village)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
द्रास को अक्सर दुनिया की दूसरी सबसे ठंडी आबादी वाली जगह कहा जाता है, जहाँ अब तक का सबसे कम दर्ज किया गया तापमान -60°C था (जनवरी 1995)। यहाँ का मौसम अत्यधिक कठोर होता है, जिसमें सर्दियाँ (अक्टूबर से मार्च) बेहद भीषण होती हैं। इस दौरान औसत तापमान -20°C से -40°C तक गिर सकता है, और पूरा इलाका बर्फ की मोटी चादर से ढक जाता है। बर्फीली हवाएँ चलने के कारण ठंडक और भी ज्यादा बढ़ जाती है, जिससे जीवनयापन बेहद कठिन हो जाता है।
इसके विपरीत, गर्मियों (मई से सितंबर) में तापमान अपेक्षाकृत सामान्य रहता है, जो 10°C से 20°C के बीच होता है। यह समय पर्यटन के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है, क्योंकि बर्फ पिघलने लगती है और घाटी में हरियाली छा जाती है।
द्रास में जीवन की चुनौतियाँ (Challenges of life in Drass)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
भीषण ठंड से जूझना:- द्रास में सबसे बड़ी चुनौती इसकी अत्यधिक ठंड है, जहाँ तापमान अक्सर शून्य से कई डिग्री नीचे चला जाता है। इस हड्डियाँ जमा देने वाली सर्दी में जीवित रहना किसी संघर्ष से कम नहीं है। हाइपोथर्मिया और फ्रॉस्टबाइट जैसी समस्याएँ आम होती हैं, इसलिए निवासियों को खुद को गर्म रखने के लिए विशेष सावधानियाँ बरतनी पड़ती हैं। वे मोटे ऊनी कपड़े, फर कोट और दस्ताने पहनते हैं, जबकि घरों को लकड़ी के स्टोव और पारंपरिक हीटिंग सिस्टम के जरिए गर्म रखा जाता है।
पानी की कमी:- द्रास में पानी की उपलब्धता भी एक गंभीर समस्या है। सर्दियों के महीनों में, सभी जल स्रोत जम जाते हैं, जिससे पीने और घरेलू उपयोग के लिए पानी प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में, स्थानीय लोग बर्फ और जमी हुई बर्फ को पिघलाकर अपनी पानी की जरूरतें पूरी करते हैं। हालाँकि, यह एक समय लेने वाली और श्रमसाध्य प्रक्रिया होती है, जो जीवन की कठिनाइयों को और बढ़ा देती है।
सीमित परिवहन और संपर्क:- द्रास बाकी दुनिया से अच्छी तरह जुड़ा नहीं है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण सड़कों का अवरुद्ध हो जाना आम बात है, जिससे यह गाँव कई महीनों तक बाकी क्षेत्रों से कट जाता है। इस कारण भोजन, ईंधन और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो जाती है। यहाँ के लोग पहले से आवश्यक वस्तुओं का भंडारण करके इस चुनौती का सामना करते हैं ताकि आपात स्थिति में उन्हें कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।
कृषि की कठिनाइयाँ:- द्रास के अधिकांश निवासी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन इसकी कठोर जलवायु और कम बढ़ती अवधि खेती को बेहद कठिन बना देती है। यहाँ जौ, गेहूँ और मटर मुख्य फसलें हैं, जो सीमित अवधि में उगाई जाती हैं। इसके अलावा, कुछ लोग सेब, खुबानी और अखरोट जैसे फलों की खेती भी करते हैं, जो उनकी आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
पशुधन पर निर्भरता:- कृषि के साथ-साथ, द्रास के लोग पशुपालन भी करते हैं, जो उनके जीवनयापन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वे भेड़, बकरी और याक जैसे जानवर पालते हैं, जो उन्हें दूध, ऊन और मांस प्रदान करते हैं। इसके अलावा, पशुधन को परिवहन और कृषि कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता है, जिससे यहाँ के लोगों का जीवन थोड़ा आसान हो जाता है।
द्रास की संस्कृति और परंपराएँ (Culture & Traditions Of Drass)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
द्रास की संस्कृति और परंपराएँ इसकी समृद्ध विरासत और विविध समुदायों के मेल का प्रतीक हैं। यहाँ की आबादी मुख्य रूप से बल्ती, लद्दाखी और दार्दी समुदायों से बनी है, जो अपनी अनूठी परंपराओं, त्योहारों और पारंपरिक पहनावे को संजोए हुए हैं। यहाँ के लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बड़े गर्व से निभाते हैं और कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपनी परंपराओं को जीवंत बनाए रखते हैं।
भाषा और धर्म की बात करें तो द्रास में मुख्य रूप से बल्ती, लद्दाखी और उर्दू भाषा बोली जाती है। इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी का बहुमत है, लेकिन यहाँ बौद्ध धर्म के अनुयायी भी निवास करते हैं। धार्मिक सहिष्णुता और आपसी सौहार्द यहाँ की खासियत है, जहाँ लोग एक-दूसरे के त्योहारों और परंपराओं का सम्मान करते हैं। कठिन जलवायु के बावजूद, द्रास के लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान को संजोकर रखते हैं और इसे अपनी आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
खान-पान (Food habits in Drass)
द्रास के लोग अपनी कठोर जलवायु से निपटने के लिए ऐसे पारंपरिक खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं जो उन्हें ऊर्जा और गर्मी प्रदान करते हैं। थुक्पा (Thukpa), एक पारंपरिक तिब्बती नूडल सूप, यहाँ के लोगों के भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो ठंड से राहत देने के साथ-साथ पौष्टिक भी होता है। इसके अलावा, मकई की रोटी और गुड़ सर्दियों के दौरान प्रमुख आहार होते हैं, जो शरीर को गर्म रखने में मदद करते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं। वहीं, बटर टी (Butter Tea), जिसे नमकीन चाय भी कहा जाता है, यहाँ के लोगों की दिनचर्या का अहम हिस्सा है।
त्योहार और परंपराएँ (Festivals & Traditions in Drass)
द्रास में विभिन्न समुदायों द्वारा कई पारंपरिक त्योहार मनाए जाते हैं, जो यहाँ की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सौहार्द को दर्शाते हैं। लद्दाखी लोसर यहाँ का एक प्रमुख पर्व है, जिसे तिब्बती नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं और नृत्य-संगीत के साथ नए साल का स्वागत करते हैं। गाल्डन नामचोट भी एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसे गुरु पद्मसंभव की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बौद्ध समुदाय विशेष प्रार्थनाएँ करता है और धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
इसके अलावा, यहाँ की मुस्लिम आबादी ईद और मोहर्रम को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाती है। इन त्योहारों के माध्यम से द्रास के लोग अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाए रखते हैं ।
द्रास के आकर्षक पर्यटन स्थल (Top Tourist Destination Places In Drass)
हालाँकि द्रास एक कठिन जीवनशैली वाला क्षेत्र है, लेकिन यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्त्व इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं।
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
कारगिल युद्ध स्मारक (Kargil War Memorial):- यह 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है। यहाँ से टाइगर हिल और तोलोलिंग पर्वत की चोटियाँ देखी जा सकती हैं।
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
ड्रास वैली (Drass Valley):- यहाँ की बर्फीली चोटियाँ, घास के मैदान और साफ नीला आकाश हर प्रकृति प्रेमी को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
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मशकोह घाटी (Mushkoh Valley):- यह घाटी कारगिल युद्ध के दौरान रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण थी। गर्मियों में यहाँ फूलों की घाटी का दृश्य देखने लायक होता है।
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जोजीला दर्रा (Zoji La Pass):- यह दर्रा द्रास और श्रीनगर को जोड़ता है और रोमांचक रोड ट्रिप के लिए प्रसिद्ध है।
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
शिंगोला और उम्बा ला पास:- ये ऊँचाई वाले पर्वतीय दर्रे ट्रेकिंग और बाइकिंग के शौकीनों के लिए आदर्श हैं।
कैसे पहुँचें द्रास (How to reach Drass)?
हवाई मार्ग (By Air):- द्रास जाने के लिए सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा कुशोक बकुला रिम्पोची एयरपोर्ट, लेह (Leh Airport - IXL) है, जो द्रास से लगभग 280 किमी दूर स्थित है।दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर और चंडीगढ़ से लेह के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। लेह हवाई अड्डे से आप टैक्सी या बस लेकर द्रास जा सकते हैं।
इसके अलावा श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Srinagar International Airport) द्रास से 140 किमी दूर है। श्रीनगर से टैक्सी या बस द्वारा जोजीला दर्रा (Zoji La Pass) होते हुए द्रास पहुँचा जा सकता है।
सड़क मार्ग (By Road):- द्रास श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग (NH1D) पर स्थित है, जिससे यह श्रीनगर और लेह से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।श्रीनगर से कारगिल होते हुए द्रास तक सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है। इस मार्ग में प्रसिद्ध जोजीला दर्रा (Zoji La Pass) पार करना होगा, जो एक रोमांचक लेकिन चुनौतीपूर्ण अनुभव है। द्रास जाने के लिए सरकारी या निजी बसें, टैक्सी, बाइक या कार से यात्रा कर सकते हैं।
इसके अलावा लेह से द्रास जाने के लिए लेह-कारगिल-द्रास मार्ग का उपयोग किया जाता है। लेह से कारगिल तक सरकारी बसें और निजी टैक्सियाँ उपलब्ध हैं, और कारगिल से द्रास के लिए लोकल टैक्सी या बस ली जा सकती है।
रेल मार्ग (By Train):- द्रास के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन जम्मू तवी रेलवे स्टेशन (Jammu Tawi - JAT) है, जो द्रास से लगभग 430 किमी दूर स्थित है।
द्रास घूमने के लिए सबसे अच्छा मौसम कौन सा है (Best Time To Visit Drass)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
द्रास, भारत का सबसे ठंडा स्थान होने के कारण, सालभर अलग-अलग मौसम में अनूठे अनुभव प्रदान करता है। हालांकि, द्रास घूमने का सबसे अच्छा समय गर्मी (मई से सितंबर) का होता है। इस दौरान यहाँ का मौसम सुहावना रहता है, घाटियाँ हरी-भरी होती हैं, और प्राकृतिक सुंदरता अपने चरम पर होती है, जो इसे यात्रा के लिए आदर्श बनाता है।