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Indian Folk-Dance History: क्या होता है लोक नृत्य, जानें भारतीय लोक-नृत्य का इतिहास और उत्पत्ति के बारे में

Indian Folk-Dance History: भारत अपने विविध लोक नृत्यों के लिए प्रसिद्ध है, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं। लोक नृत्य किसी भी राज्य या क्षेत्र की परंपरा या संस्कृति दर्शाने का सशक्त माध्यम है।

Shivani Jawanjal
Written By Shivani Jawanjal
Published on: 11 Jan 2025 6:09 PM IST
Indian Folk-Dance History Wikipedia in Hindi
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Indian Folk-Dance History Wikipedia in Hindi

Indian Folk Dance History: ‘शास्त्रीय (Classical Dance) और ‘लोक-नृत्य’ (Folk Dance) भारत में दो प्रमुख नृत्य शैलियाँ (Dance Styles) हैं, जो एक-दूसरे से बहुत भिन्न हैं। ‘लोक-नृत्य’ (Lok Nritya) किसी विशेष देश या क्षेत्र के लोगों के जीवन और संस्कृति को दर्शाने वाला नृत्य (Dance) होता है। तथा सभी जातीय नृत्य लोक नृत्य नहीं होते हैं। जैसे, धार्मिक उद्देश्यों के लिए किए जाने वाले अनुष्ठानिक नृत्य लोक नृत्य की श्रेणी में नहीं आते। ऐसे नृत्यों को उनके उद्देश्य के आधार पर ‘धार्मिक नृत्य’ (Religious Dance) कहा जाता है।

‘लोक नृत्य’ (Lok Nritya) आमतौर पर सामाजिक समारोहों या उत्सवों में किए जाते हैं, जहां प्रतिभागियों को पेशेवर प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती और वे पारंपरिक संगीत पर आधारित होते हैं। ये नृत्य सार्वजनिक प्रदर्शन या मंच के लिए नहीं बनाए जाते, हालांकि बाद में उन्हें मंचन के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। इनमें नवाचार (कुछ नया और उपयोगी बनाना) की बजाय विरासत में मिली परंपराओं का पालन किया जाता है, हालांकि समय के साथ लोक परंपराएं बदलती रहती हैं। नए नर्तक अक्सर दूसरों को देखकर या उनकी सहायता से अनौपचारिक रूप से सीखते हैं।

भारत अपने विविध लोक नृत्यों (Folk Dance In India) के लिए प्रसिद्ध है, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage) को प्रदर्शित करते हैं। प्रत्येक राज्य और क्षेत्र के अपने विशिष्ट लोक नृत्य हैं, जो वहां की परंपराओं, मान्यताओं और जीवन शैली से जुड़े हैं। इन नृत्यों में शरीर की चाल, चेहरे की भाव-भंगिमाएं (ऐसी क्रियाएं हैं, जिनसे किसी की भावनाएं या विचार समझ में आते हैं) वस्त्र, आभूषण और सजावट महत्वपूर्ण होते हैं। लोक नृत्य किसी भी राज्य या क्षेत्र की परंपरा या संस्कृति दर्शाने का सशक्त माध्यम हैं, जो समुदायों को जोड़ते हैं और सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करते हैं।

भारत के कुछ प्रमुख लोक नृत्यों में पंजाब का भंगड़ा, गुजरात का गरबा, राजस्थान का घूमर, महाराष्ट्र का लावणी, असम का बिहू, पश्चिम बंगाल का चौ, उत्तर प्रदेश का रास लीला, और तमिलनाडु का करगट्टम शामिल हैं।

शास्त्रीय नृत्य और लोक नृत्य में क्या है फर्क (Classical Dance Aur Folk Dance Mein Antar)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

‘शास्त्रीय नृत्य’ में पारंपरिक नियमों और अनुशासन का पालन किया जाता है, जबकि लोक नृत्य में खुलापन और समुदाय के साथ जुड़ाव अधिक होता है। शास्त्रीय नृत्य का इतिहास बहुत पुराना है। यह नाट्य शास्त्र में वर्णित विभिन्न शैलियों के आधार पर किया जाता है, जिसमें प्रत्येक नृत्य रूप के विशिष्ट तत्वों की व्याख्या की गई है।

वहीं, लोक नृत्य राज्य, जाति या भौगोलिक क्षेत्र की पारंपरिक धारा से निकलकर विकसित हुआ है। यह समाज की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है। भारतीय लोक नृत्य देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित हैं। यह स्थानीय रीति-रिवाजों, मान्यताओं और त्योहारों से जुड़े होते हैं।

'लोक-नृत्य' (Folk Dance) शब्द की परिभाषा

कुछ लोग 'लोक नृत्य' को ऐसे नृत्य के रूप में परिभाषित करते हैं, जिनका कोई शासी निकाय नहीं होता और जिनके लिए कोई प्रतिस्पर्धी या पेशेवर संस्थान नहीं होते। ‘लोक नृत्य’ शब्द यूरोपीय संस्कृति और इतिहास में 20वीं सदी से पहले के नृत्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। दूसरी संस्कृतियों में भी, जब लोक नृत्य का उल्लेख होता है, तो इसे ‘जातीय नृत्य’ या ‘पारंपरिक नृत्य’ के रूप में जाना जाता है। हालांकि, इन शब्दों में कुछ औपचारिक नृत्य भी शामिल हो सकते हैं, जो परंपरागत नृत्य की श्रेणी में नहीं आते।

हिप हॉप जैसे कई आधुनिक नृत्य अनायास विकसित होते हैं, लेकिन उन्हें ‘लोक नृत्य’ नहीं कहा जाता; इसके बजाय ‘स्ट्रीट डांस’ या ‘सवर्नाक्यूलर डांस’ शब्दों का उपयोग होता है। ‘लोक नृत्य’ शब्द उन नृत्यों के लिए आरक्षित है, जो क्षेत्रीय परंपरा से जुड़े होते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित (स्थानांतरित या स्थान बदलना) होते हैं।

भारत के राज्य और उनके ‘लोक-नृत्य’ (Indian States Famous Folk Dance)

1) आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

आंध्र प्रदेश के लोक-नृत्यों (Andhra Pradesh Ke Lok Nritya) में भामाकलपम, आंध्र नाट्यम, दप्पू, विलासिनी नाट्यम, वीर नाट्यम, छडी, घंटा मर्दल, ओट्टम थेडाला, धीम्सा, गोब्बी, चिरताला भजन, कोलाट्टम, टपेटा गुल्लू, लम्बाडी, बुट्टा बोम्मालु, उरुमुलु इनका समावेश है |

आंध्र प्रदेश के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Famous Folk Dances Of Andhra Pradesh)

लम्बाडी लोक नृत्य:- लम्बाडी लोक नृत्य बंजारा जनजातियों की महिलाओं द्वारा किया जाता है। इसे कभी-कभी सेनेगल की सांस्कृतिक परंपराओं से भी जोड़ा जाता है, हालांकि यह मुख्य रूप से भारतीय बंजारा समुदाय का नृत्य है।

वीर नाट्यम:- वीर नाट्यम आंध्र प्रदेश के सबसे पुराने और ऐतिहासिक लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य शैव मंदिरों में वीरमुस्ती समुदाय के पुरुषों द्वारा किया जाता है | विशेष रूप से कुरनूल, अनंतपुर और खम्मम जिलों में यह नृत्य किया जाता है।

टपेटा गुंडलु:- यह नृत्य आंध्र प्रदेश के उत्तरी जिलों जैसे श्रीकाकुलम, विजयनगरम और विशाखापत्तनम में लोकप्रिय है। इसे यादव समुदाय के सदस्य गंगाम्मा (जल देवता) के सम्मान में किया जाता हैं।

कोलाट्टम लोक नृत्य:- यह नृत्य आंध्र प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में लोकप्रिय है। इसमें नर्तक एक-दूसरे के साथ हाथों में छड़ी पकड़कर गोल घेरों में नृत्य करते हैं।इसे मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा विशेष अवसरों या त्योहारों पर प्रस्तुत किया जाता है ।

बुट्टा बोम्मालु:- यह नृत्य विशेष रूप से बच्चों द्वारा किया जाता है। इसमें वे विभिन्न पारंपरिक पोशाक पहनते हैं और धार्मिक आयोजनों या मेलों में देवता की पूजा करते हुए नृत्य करते हैं।

चिराताला भजन:- यह नृत्य भक्ति गीतों के साथ किया जाता है। इसमें नर्तक और गायकों का समूह एक साथ नृत्य करता है और भगवान की पूजा करते हैं।

2) अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अरुणाचल प्रदेश के लोकनृत्यों में पोंग, बुइया, इदु मिश्मी, सदानुक्त्सो, खम्पटी, वांचो, पासी कोंगकि, बुइया,छालो, बर्डो छम, पोपीरो, का फीफाई इनका समावेश (Arunachal Pradesh Folk Dance) है।

अरुणाचल प्रदेश के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Arunachal Pradesh Ke Lok Nritya)

पोनुंग नृत्य:- यह नृत्य आदि जनजाति की महिलाओं और युवतियों द्वारा फसल की बुआई से पहले भगवान से प्रार्थना करते हुए किया जाता है। इस नृत्य के दौरान केवल एक पुरुष इसमें भाग लेता है, जिसे मिरी कहा जाता है और वह योक्ष नामक वाद्ययंत्र बजाता है।

सदानुक्त्सो नृत्य- यह अकास जनजाति द्वारा विवाह, नए घर के निर्माण और मेहमानों के स्वागत के अवसर पर प्रस्तुत किया जाता है।

बुइया नृत्य:- यह नृत्य दिगारू मिश्मी जनजाति के पुरुषों और महिलाओं द्वारा दुआ, तनुया, तज़म्पु, जैसे त्योहारों और पारिवारिक समारोहों के दौरान प्रस्तुत किया जाता है।

छालो नृत्य:- यह नृत्य नोक्टे जनजाति द्वारा किया जाता है। यह छलो लोकु उत्सव का हिस्सा है, जो राज्य के प्रमुख त्योहारों में से एक है।

वांचो नृत्य:- यह नृत्य वांचो जनजाति के द्वारा किया जाता है। यह नृत्य ओरिया उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो वांचो समुदाय के लिए बेहद खास है।

पोपीर नृत्य:- यह नृत्य देवी मोपिन अप को श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का प्रतीक है।

3) असम (Aasam)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

असम के लोक-नृत्यों में बिछुआ, डोंगी, कालीगोपाल, तबल चोंगली, भोरताल नृत्य, देवधनी, ज़िकिर, नट पूजा, बिहु, गोलिनी, झुमुरा होब्जनै, बगुरुंबा इनका समावेश है।

असम के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Assam Folk Dances)

बीहू नृत्य (Bihu):- बीहू नृत्य असम का सबसे प्रसिद्ध लोक नृत्य है। यह नृत्य रंगाली बीहू त्योहार के दौरान किया जाता है, जो असम के नए साल और फसल कटाई के उत्सव का प्रतीक है। इसमें पुरुष और महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में संगीत और ढोल की धुन पर नृत्य करते हैं।

बागुरुम्बा नृत्य (Bagurumba):- यह नृत्य बोडो जनजाति की महिलाओं द्वारा प्रकृति की पूजा और सामुदायिक उत्सवों किया जाता है। इसे ‘फूलों का नृत्य’ या ‘तितली नृत्य’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें नर्तक फूलों की कोमलता और प्रकृति की सुंदरता का प्रदर्शन करते हैं।

झूमुर नृत्य (Jhumur):- यह नृत्य चाय बागान के मजदूरों द्वारा किया जाता है। इसमें नर्तक-नर्तकियां ढोल और मांदरी की ताल पर सामूहिक नृत्य करते हैं।

देवधानी नृत्य (Deodhani):- यह नृत्य देवी मनसा की पूजा के दौरान किया जाता है। इसे धार्मिक अनुष्ठानों में प्रस्तुत किया जाता है, जहां नर्तक-नर्तकियां देवी के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं।

4) बिहार (Bihar)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

बिहार के लोक-नृत्यों में बिदेसिया, डोमकाचो, बखो-बखैनी, जाट-जाटिन, फगुआ पाइका, पंवरिया, समा चकवा, जात्रा इनका समावेश है।

बिहार के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Bihar Famous Folk Dances)

बिदेसिया नाटक:- बिदेसिया बिहार का सबसे प्रसिद्ध लोक-नाटक है, जो एक काव्यात्मक नाटक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह नाटक मुख्य रूप से अलगाव और वियोग के दर्द को चित्रित करता है, जहां पात्र अपने प्रियजनों से दूर रहने के कारण दुखी होते हैं। बिदेसिया नाटक में गीत और संवादों के माध्यम से जीवन की कठिनाइयों और सामाजिक समस्याओं को प्रदर्शित किया जाता है।

जाट-जाटिन:- जाट-जाटिन नृत्य बिहार के कोशी और मिथिला क्षेत्रों के जोड़ों द्वारा किया जाता है। यह नृत्य पति और पत्नी के बीच के रिश्तों को खूबसूरती से चित्रित करता है, जिसमें दोनों मिलकर पारंपरिक नृत्य करते हैं।

पाइका लोक:- पाइका लोक नृत्य बिहार के मयूरभंज क्षेत्र में प्रसिद्ध है। यह नृत्य युद्ध के समय में सैनिकों द्वारा किया जाता है। इसे एक प्रकार की शौर्य और साहस की अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। पाइका नृत्य में तेज और उन्मुक्त आंदोलनों के साथ पारंपरिक गीतों की धुन पर नृत्य किया जाता है।

5) छत्तीसगढ़ (Chattisgarh)

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छत्तीसगढ़ के लोक-नृत्यों में कर्मा, मुंडारी, डगला, राउत नाच, पाली, तपाली, गौडि, झुमरी, नवरानी, पंथी, गौर मारिया, सैला जात्रा इनका समावेश है।

छत्तीसगढ़ के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Chattisgarh Ke Lok Nritya)

पंथी नृत्य:- पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ का सबसे महत्वपूर्ण लोक नृत्य है। इसे सतनामी समुदाय का प्रमुख रिवाज माना जाता इसमें नर्तक समूह में विभिन्न भक्ति गीतों के साथ नृत्य करते हैं।

राउत नाचा:- राउत नाचा राज्य के यादव ग्वाल (Cowboy) द्वारा किया जाता है। यह एक प्रकार का चरवाहा लोक नृत्य है, जिसे किसानों और ग्वालों द्वारा अपनी रोज़मर्रा की कृषि और पशुपालन गतिविधियों के दौरान किया जाता है। राउत नाचा में नर्तक ढोल, मांदरी और अन्य पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर नृत्य करते हैं।

सैला नृत्य:- सैला नृत्य कटाई के मौसम के तुरंत बाद किया जाता है। यह नृत्य राज्य के युवाओं द्वारा कृषि के मौसम की समाप्ति के बाद खुशी और उत्सव के रूप में किया जाता है। सैला नृत्य में तेज़ और झूमते हुए कदमों के साथ समूह नृत्य होता है, जो एक सामूहिक उत्सव का प्रतीक है।

कर्मा नृत्य:- कर्मा नृत्य छत्तीसगढ़ के आदिवासी समूह जैसे बैगा, गोंड, और उरांव द्वारा किया जाता है। यह नृत्य तूफानी मौसम के अंत और वसंत के मौसम की शुरुआत को दर्शाता है। कर्मा नृत्य में नर्तक वृताकार नृत्य करते हैं और इसमें प्रकृति के प्रति आस्था और ऋतु परिवर्तन की खुशी व्यक्त की जाती है ।

6) गोवा (Goa)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

गोवा के लोक-नृत्यों में डलपोड, टोनयामेली, मोरुलो, देखनी,शिग्मो, मुसल खेलो, दशावतार, दिव्यन नाचो, आमोन, तरंगमेली, गौफ, धनगरी, कुन्नबी-गीत, फुग्दि, मुसोल, ढलो इनका समावेश है।

गोवा के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Famous Folk Dances Of Goa)

ढलो:- लोक नृत्य विशेष अवसरों और त्योहारों पर गोवा की ग्रामीण महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप में किया जाता है। इसमें पारंपरिक गोवानी संगीत का विशेष महत्व होता है।

कुन्नबी-गीत:- कुन्नबी-गीत गोवा के सबसे पुराने लोक नृत्यों में से एक है और इसका नाम कुन्नबी आदिवासी समूह के नाम पर रखा गया है। यह नृत्य पारंपरिक गीतों के साथ किया जाता है और इसमें कुन्नबी समुदाय की सांस्कृतिक आस्थाओं और परंपराओं का चित्रण किया जाता है।

देखनी नृत्य:- देखनी नृत्य गोवा की महिला नर्तकियों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में साथ गीतों का भी समावेश होता है। यह मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है, जिसमें पुरुषों का कोई हिस्सा नहीं होता।

मुसल खेल:- मुसल खेल एक गीत सह नृत्य है, जो बहादुर हिंदू राजाओं की प्रशंसा में किया जाता है। इस नृत्य में नर्तक न केवल नृत्य करते हैं, बल्कि गाते भी हैं। यह पारंपरिक सामूहिक उत्सव का हिस्सा होता है।

फुगड़ी नृत्य:- फुगड़ी नृत्य गोवा की महिलाओं द्वारा मराठी और कोंकणी गीतों पर किया जाता है। इसमें नर्तकियां एक गोलाकार पैटर्न का पालन करती हैं और फुगड़ी खेलती है ।

7) गुजरात (Gujarat)

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गुजरात के लोक-नृत्यों में गरबा, टिप्पनी जुरियुन, डांडिया रासी, भवाई, पधार नृत्य इनका समावेश है।

गुजरात के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Gujarat Famous Folk Dance)

डांडिया रास:- डांडिया रास गुजरात का सबसे लोकप्रिय लोक नृत्य है। यह नृत्य पारंपरिक रूप से डांडियों (छड़ी) का उपयोग करके किया जाता है और नवरात्रि उत्सव के दौरान खासतौर पर प्रस्तुत किया जाता है।

गरबा नृत्य:- गरबा नृत्य दीपक या दैवीय शक्ति के सम्मान में पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा किया जाता है। यह नृत्य नवरात्रि उत्सव के दौरान मुख्य आकर्षण होता है। गरबा नृत्य एक गोलाकार संरचना में किया जाता है और यह भक्ति और उत्साह का प्रतीक है।

पाधार नृत्य:- पाधार नृत्य गुजरात के पाधार समुदाय के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह नृत्य उनकी रोजमर्रा की जिंदगी, आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाता है।

टिप्पनी जुरियुन:- टिप्पनी जुरियुन गुजरात के चोरवाड़ जिले का एक प्रमुख लोक नृत्य है। यह राज्य के सबसे महत्वपूर्ण और मजेदार नृत्य रूपों में से एक है। नृत्य में पारंपरिक टिप्पनी वाद्ययंत्र का उपयोग होता है और इसे सामूहिक रूप से किया जाता है।

8) हरियाणा (Haryana)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

हरियाणा के लोक-नृत्यों में खोरिया, रास लीला, सांगो, झुमरी, छठि, धमाली, गुगा, गागोरो लूर, खोरिया, तीज नृत्य, फागु, दाफा इनका समावेश है |

हरियाणा के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Haryana Ke Famous Folk Dance)

फाग नृत्य:- फाग नृत्य किसानों द्वारा फरवरी और मार्च के महीनों में फसल की खुशी मनाने के लिए किया जाता है। यह नृत्य मुख्य रूप से फसल कटाई के उत्सव का प्रतीक है।

लूर नृत्य:- लूर नृत्य हरियाणा के बांगर और बगर क्षेत्रों में होली के त्योहार के दौरान किया जाता है। यह नृत्य मुख्य रूप से लड़कियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

खोरिया नृत्य:- खोरिया नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक प्रसिद्ध नृत्य है। यह नृत्य विशेष रूप से मध्य हरियाणा में लोकप्रिय है।

रास लीला नृत्य:- रास लीला नृत्य भगवान कृष्ण को समर्पित है और हरियाणा का अत्यंत लोकप्रिय नृत्य है। नृत्य भक्ति और कृष्ण की लीलाओं को प्रदर्शित करता है।

9) हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)

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हिमाचल प्रदेश के लोक-नृत्यों मेंझालि, छरही, किन्नौरी, महासू, डांगी, झिनता, नाटी, मैंगेन, झोरा, धमानी, राक्षस, छपेलि, चंबा, थाली, छड़ी नृत्य इनका समावेश है।

हिमाचल प्रदेश के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Himachal Pradesh Folk Dances)

डांगी नृत्य:- हिमाचल प्रदेश का डांगी नृत्य मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा फसल के मौसम के दौरान नैना देवी मंदिर में किया जाता है। यह नृत्य राज्य की सबसे पुरानी लोक कथाओं में से एक पर आधारित है और इसमें दो मुख्य विषय शामिल होते हैं ।

नाटी नृत्य:- नाटी नृत्य के कई रूप हैं, जो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होते हैं।जैसे किन्नौरी नाटी नए त्योहारों की शुरुआत के समय की जाती है। कुल्लू नाटी दशहरा उत्सव के दौरान प्रस्तुत की जाती है। तो वही शिव बदर नाटी शिवरात्रि के मौके पर की जाती है।

राक्षस (दानव) नृत्य:- राक्षस (दानव) नृत्य पंजाब के भांगड़ा नृत्य के समान है। इसमें कलाकार दानव के मुखौटे पहनकर फसलों पर राक्षसों के हमले को दर्शाते हैं।

10) झारखंड (Jharkhand)

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झारखंड के लोक-नृत्यों में सोहराई, मुंडा, दंगा, जाट जतिन, छऊ, बिदेसिया, कर्मा, सरहुल, संथाली, हंटा, पाइका इनका समावेश है।

झारखंड के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Folk Dances Of Jharkhand)

संथाल नृत्य:- संथाल नृत्य झारखंड की संथाल जनजाति के पुरुषों और महिलाओं द्वारा किया जाता है और इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ आदिवासी लोक नृत्यों में से एक माना जाता है। यह नृत्य पारंपरिक लोक संगीत के साथ प्रस्तुत किया जाता है।

हन्ता नृत्य:- हन्ता नृत्य भी संथाल जनजाति द्वारा किया जाता है, लेकिन इसे केवल पुरुष ही करते हैं।

पाइका नृत्य:- पाइका नृत्य में उच्च स्तर की मार्शल आर्ट तकनीक शामिल होती है और यह मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।

छऊ नृत्य:- छऊ नृत्य झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में प्रसिद्ध है और इसे छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कुछ हिस्सों में भी प्रस्तुत किया जाता है।

11) कर्नाटक (Karnataka)

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कर्नाटक के लोक-नृत्यों में बयालट्टा, वीरगासे, दोल्लू कुनिथा, हुट्टारो, लैम्बिक, सुग्गी कुनिथा, कारगा, यक्षगान, भूत आराधने इनका समावेश है।

कर्नाटक के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Famous Folk Dance Of Karnataka)

डोलू कुनिथा:- डोलू कुनिथा कर्नाटक का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है, जिसे तबला नृत्य भी कहा जाता है। यह नृत्य कुरुबा समुदाय के पुरुषों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है और इसमें गीतों का भी समावेश होता है।

पूजा कुनिथा:- पूजा कुनिथा कर्नाटक का एक और प्रसिद्ध कर्मकांडी लोक नृत्य है, जिसे धार्मिक अवसरों पर प्रस्तुत किया जाता है।

यक्षगान लोक नृत्य:- यक्षगान लोक नृत्य, नृत्य और नाट्य का एक अद्वितीय संयोजन है, जिसे विशेष रूप से सर्दियों की फसल के समय प्रस्तुत किया जाता है।

सुग्गी कुनिथा नृत्य:- सुग्गी कुनिथा नृत्य फसल के मौसम में किसान समुदाय के पुरुषों द्वारा खुशी और उत्सव के रूप में किया जाता है।

12) केरल (Kerala)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

केरल के लोक-नृत्यों में कूडियाट्टम्, थेय्यम, थिरयट्टम, ओप्पना, काइकोट्टिकली, तिरुवथिरकली, चाक्यार कूथू, थिदंबु नृतम, चविट्टु नादकामी, पढ़यनि, ओट्टमथुलाल इनका समावेश है।

केरला के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Kerala Ke Lok Nritya)

तिरुवथिरकली:- तिरुवथिरकली नृत्य केरल का एक प्रसिद्ध पारंपरिक नृत्य है, जो ओणम उत्सव के दौरान महिलाओं द्वारा किया जाता है। यह नृत्य एक दीपक या फूलों की सजावट के चारों ओर गोलाकार पैटर्न में होता है, जिसमें गायन और ताली बजाने का समावेश होता है।

कूडियाट्टम:- कूडियाट्टम राज्य का सबसे पुराना और प्रसिद्ध लोक नृत्य है, जो मंदिरों में विशेष रूप से प्रस्तुत किया जाता है।

ओप्पना नृत्य:- ओप्पना नृत्य केरल के मुस्लिम समुदाय का एक लोकप्रिय नृत्य है, जो शादियों और त्योहारों के अवसरों पर प्रस्तुत किया जाता है।

ओट्टमथुलाल नृत्य:- ओट्टमथुलाल नृत्य एक समूह नृत्य है जिसमें नर्तक पौराणिक कथाओं पर आधारित कहानियां सुनाते हैं। इस नृत्य में कलाकार रंग-बिरंगी पोशाक पहनते हैं।

चाक्यार कूथु:- चाक्यार कूथु केरल का एक प्राचीन लोक नृत्य है, जिसमें महाभारत और रामायण के दृश्यों को नर्तक के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।

13) मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मध्य प्रदेश के लोक-नृत्यों में जवार, ग्रिडा नृत्य, मांचू, तेर्ताली, चारकुला, फूलपति नृत्य, मटकी नृत्य, सेलालार्की, सेलभादोनी इनका समावेश है ।

मध्य प्रदेश के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Madhya Pradesh Ke Famous Lok Nritya)

जवारा लोक:- जवारा लोक नृत्य मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों द्वारा समृद्धि का जश्न मनाने के लिए किया जाता है।

तेरताली नृत्य:- तेरताली नृत्य राज्य की कमर जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है और यह उनकी अनोखी सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाता है।

मटकी नृत्य:- मटकी नृत्य मालवा क्षेत्र का एक प्रसिद्ध एकल नृत्य है, जिसे राज्य के अहीर और गडरिया समुदायों के लोग प्रस्तुत करते हैं।

परधोनी नृत्य:- परधोनी नृत्य को बैगा जनजाति शादी के अवसरों पर करती है, जबकि बार नृत्य का प्रदर्शन कंवर जनजाति के लोग करते हैं।

14) महाराष्ट्र (Maharashtra)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

महाराष्ट्र के लोक-नृत्यों में गफ़ा, कोलिक, नकात, लावणी, तमाशा, पोवाड़ा, गौरीचा, मौनी, दहिकला दशावतारी, लेज़िम, धंगारी गज इनका समावेश है ।

महाराष्ट्र के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Famous Folk Dances Of Maharashtra)

लावणी:- लावणी महाराष्ट्र का सबसे प्रमुख लोक नृत्य है, जिसे महिलाएं ढोलक की थाप पर प्रस्तुत करती हैं।

तमाशा:- तमाशा नृत्य लावणी और रोमांटिक संगीत का संयोजन है और यह कोंकण क्षेत्र में प्रचलित है।

कोली:- कोली नृत्य मछुआरों के जीवन को दर्शाने वाला नृत्य है, जिसे महाराष्ट्र के कोली समुदाय के पुरुष और महिलाएं करते हैं।

धंगारी गाजा:- धंगारी गाजा सोलापुर जिले के धनगर समुदाय का प्रसिद्ध नृत्य है, जो उनकी चरवाहा संस्कृति को प्रदर्शित करता है।

लेज़िम:- लेज़िम (या लेज़ियम) महाराष्ट्र का एक लोकप्रिय नृत्य है, जिसमें नर्तक झांझ वाले वाद्ययंत्र लेज़िम बजाते हैं। इसमें 20 से अधिक नर्तक होते हैं और मुख्य वाद्ययंत्र के रूप में तबला का उपयोग किया जाता है।

पोवाड़ा:- पोवाड़ा एक नृत्य-नाटक है जो छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और उनकी वीरता को प्रदर्शित करता है। यह नृत्य कथात्मक शैली में प्रस्तुत किया जाता है।

15) मणिपुर (Manipur)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मणिपुर के लोक-नृत्यों में राखली, ढोल चोलोम, लाई हराओबा, थांग ता, नट राशो, महा राशी इनका समावेश है |

मणिपुर के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Manipur Famous Lok Dance)

थांग ता नृत्य:- यह मणिपुर का एक मार्शल आर्ट आधारित नृत्य है जिसमें तलवार और भाले सहित विभिन्न हथियारों का उपयोग किया जाता है। इसे तलवार और भाले की कला के रूप में भी जाना जाता है।

लाई हराओबा:- यह नृत्य मैतेई समुदाय के लोगों द्वारा किया जाता है और मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा है।

ढोल चोलोम:- इसे तबला नृत्य भी कहा जाता है और यह मणिपुर का एक प्रसिद्ध नृत्य रूप है। इसे खासतौर पर होली उत्सव के दौरान प्रस्तुत किया जाता है।

कोम जनजाति के लोक नृत्य:- मणिपुर की कोम जनजाति के लोग सैलिन लाम, डार लाम, वाइकेप लाम और सोन ऑन जैसे लोकप्रिय लोक नृत्य करते हैं।

16) मेघालय (Meghalaya)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मेघालय के लोक-नृत्यों में बालास, नोंगक्रेम, लाहो, का शाद सुक मिन्सिएम, लाहू, बेहदीनखलाम इनका समावेश है।

मेघालय के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Famous Meghalaya Folk Dances)

नोंगक्रेम नृत्य:- यह खासी जनजाति का सबसे महत्वपूर्ण नृत्य है। इसे अच्छी फसल, सद्भाव और समृद्धि के लिए देवताओं का धन्यवाद करने के उद्देश्य से किया जाता है।

शाद सुक मिनसिएम:- यह खासी पहाड़ियों के लोगों द्वारा किया जाने वाला एक और धन्यवाद नृत्य है।

लहू नृत्य:- यह जयंतिया जनजाति द्वारा किया जाता है और उनकी संस्कृति का हिस्सा है।

वांगला नृत्य:- इसे गारो जनजाति के लोग प्रस्तुत करते हैं और यह गारो जनजातियों का प्रमुख नृत्य रूप है।

बेहदीनखलम नृत्य:- यह जयंतिया जनजाति द्वारा हर साल जुलाई महीने में आयोजित किया जाने वाला एक विशेष उत्सव है।

17) मिजोरम (Mizoram)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मिजोरम के लोक-नृत्यों में चेराव, चेरोकाना, खुल्लाम, ज़ंगतालम, पाखुपिल, खानत्मी, चैलम, सरलामकाई इनका समावेश है।

मिजोरम के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Mizoram Ke Mashhoor Folk Dance)

नोंगक्रेम नृत्य:- यह खासी जनजाति का सबसे महत्वपूर्ण नृत्य है। इसे अच्छी फसल, सद्भाव और समृद्धि के लिए देवताओं का धन्यवाद करने के उद्देश्य से किया जाता है।

शाद सुक मिनसिएम:- यह खासी पहाड़ियों के लोगों द्वारा किया जाने वाला एक और धन्यवाद नृत्य है।

लहू नृत्य:- यह जयंतिया जनजाति द्वारा किया जाता है और उनकी संस्कृति का हिस्सा है।

वांगला नृत्य:- इसे गारो जनजाति के लोग प्रस्तुत करते हैं और यह गारो जनजातियों का प्रमुख नृत्य रूप है।

बेहदीनखलम नृत्य:- यह जयंतिया जनजाति द्वारा हर साल जुलाई महीने में आयोजित किया जाने वाला एक विशेष उत्सव है।

18) नागालैंड (Nagaland)

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नागालैंड के लोक-नृत्यों में नागालैंड के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य अकोक-खि, मेलो फ़िटा, मोन्यू आशो, रुख्यो-शरु, नूरिलिम, रंगमा, ज़ेलिआंग, खुपिएलिलिक, चांग लो, चांगसांग, खैव, बांस नृत्य इनका समावेश है।

नागालैंड के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Nagaland Famous Folk Dance)

चांगसांग नृत्य:- यह नृत्य चांग जनजाति द्वारा नाक्युलम त्योहार के दौरान किया जाता है। यह मानव जाति और पृथ्वी के जन्मस्थान की प्रशंसा को व्यक्त करता है।

मेलो फिटा नृत्य:- अंगामी नागा जनजाति द्वारा सेक्रेनी उत्सव के दौरान पूर्ण पारंपरिक पोशाक पहनकर किया जाता है।

रुख्यो-शारू नृत्य:- यह लोथा जनजाति का एक लोकप्रिय नृत्य है।

अकोक-खी नृत्य:- इसे स्नगतम जनजाति के लोग प्रस्तुत करते हैं।

खुपीली नृत्य:- पोसुरी जनजाति इस नृत्य को नाज़ु उत्सव का अभिन्न अंग मानती है।

तितली नृत्य:- जेलियांग जनजाति द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य प्रकृति और सौंदर्य का प्रतीक है।

बांस नृत्य:- यह नागा कुकी जनजाति द्वारा किया जाता है और मिज़ो बांस नृत्य जैसा है।

रेंगमा नृत्य:- यह रेंगमा जनजाति का प्रमुख लोक नृत्य है।

19) ओडिशा (Odisha)

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ओडिशा के लोक-नृत्यों रुक मार नाच, दलखाई नृत्य, घूमुरा, पाइका, बाघा नाच, गोटी पुआ, मुनारी, डंडा नट, मेधा नाच इनका समावेश है |

ओडिशा के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Odisha Ke Famous Folk Dace)

डंडा नट:- यह ओडिशा का सबसे प्राचीन लोक नृत्य है। इसमें भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अ पने शरीर को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते हैं। यह नृत्य गंजम जिले में खासतौर पर प्रचलित है।

मेधा नाच:- यह तटीय जिलों में किया जाने वाला एक मुखौटा नृत्य है।

गोटीपुआ नृत्य:- 6 से 14 वर्ष की आयु के युवा लड़कों द्वारा यह नृत्य लड़की के रूप में कपड़े पहनकर किया जाता है। यह रघुराजपुर गांव में खासतौर से लोकप्रिय है।

बाघा नाच (टाइगर डांस):- यह नृत्य चैत्र महीने में किया जाता है। इसमें पुरुष नर्तक अपने शरीर को बाघों की तरह रंगते हैं।

पाइका नृत्य:- यह युवा लड़कों और पुरुषों द्वारा किया जाने वाला एक ऊर्जावान नृत्य है। इसमें एक युद्ध दृश्य को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।

घुमुरा नृत्य:- यह कालाहांडी जिले का प्रसिद्ध नृत्य है। इसमें नर्तकियों के गले में एक तबला जुड़ा होता है जिसे वे नृत्य करते समय बजाते हैं।

20) पंजाब (Punjab)

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पंजाब के लोक-नृत्यों में भांगड़ा, गिद्दा, दंडस, डैफ, झूमर, जिंदुआ, धमानी, किक्कलिक, मालवई गिद्दा इनका समावेश है।

पंजाब के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Famous Folk Dance Of Punjab)

भांगड़ा:- यह पंजाब का सबसे लोकप्रिय और सबसे प्राचीन लोक नृत्य है। इसे पहले वैसाखी उत्सव के दौरान किया जाता था, लेकिन अब यह सभी महत्वपूर्ण अवसरों पर किया जाता है। यह नृत्य ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है।

गिद्दा:- यह पंजाबी महिलाओं द्वारा किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य है। महिलाओं का जोश और उत्साह इस नृत्य में देखने को मिलता है। इसे रंगीन वेशभूषा में महिलाओं के समूह द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

किक्कली:- यह नृत्य दो युवा लड़कियों द्वारा किया जाता है जो एक-दूसरे का हाथ पकड़कर घूमती हैं। यह एक सरल और आनंददायक नृत्य है।

झूमर:- यह एक लयबद्ध और धीमा नृत्य है जो प्रेम और अन्य भावनाओं पर आधारित होता है। इसे परमानंद नृत्य भी कहा जाता है और यह पंजाब की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मालवई गिद्दा:- यह नृत्य कुंवारे पुरुषों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है, जिससे यह और अधिक जोशीला बनता है।

21) राजस्थान (Rajasthan)

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राजस्थान के लोक-नृत्यों में घूमर, झूलन लीला, भवाई, गणगोर, चारी, गणगोर, झूमा, पनिहारी, घपाली, सुइसिनी, कालबेलिया इनका समावेश है ।

राजस्थान के कुछ प्रमुख लोक-नृत्य (Rajasthan Ke Folk Dance)

घूमर नृत्य:- यह राजस्थान का सबसे लोकप्रिय और प्राचीन लोक नृत्य है। शुरुआत में इसे भील जनजाति द्वारा पेश किया गया था और बाद में शाही समुदायों ने इसे अपना लिया। इस नृत्य को महिलाएं विशेष अवसरों, त्योहारों और विवाह समारोहों में करती हैं। इसमें रंगीन घाघरे पहनकर, घूमते हुए नृत्य किया जाता है।

भवई नृत्य:- यह नृत्य राजस्थान की जाट, मीना, भील, कालबेलिया और कुम्हार जनजातियों की महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में महिलाएं अपने सिर पर कई घड़े संतुलित करती हैं। पुरुष नर्तक गाते हैं और वाद्य यंत्र बजाते हैं।

चारी नृत्य:- यह नृत्य खुशी और बर्तन (चारी) में पानी इकट्ठा करने का प्रतीक है। इसे अजमेर के सैनी समुदाय और किशनगढ़ के गुर्जर समुदाय की महिलाएं प्रस्तुत करती हैं। नृत्य के दौरान महिलाएं अपने सिर पर जलते हुए दीपक के साथ बर्तन संतुलित करती हैं।

कालबेलिया नृत्य:- यह नृत्य कालबेलिया जनजाति की महिलाओं द्वारा किया जाता है और इसे सांपों की तरह लचकदार गतियों के कारण ‘सांप नृत्य’ भी कहा जाता है। पुरुष नर्तक पुंगी, ढोलक और खंजरी जैसे वाद्य यंत्र बजाते हैं। यह नृत्य राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और यूनेस्को ने इसे अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी है।



Shreya

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