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ISO History 23 February: जानिए क्या है अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) का इतिहास और महत्व, कैसे हुई थी इसकी शुरुआत
ISO History 23 February 1947: क्या आप जानते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) का क्या इतिहास है और इसका महत्त्व क्या है आइये आपको विस्तार से इसके बारे में बताते हैं।
ISO History 23 February 1947 (Image Credit-Social Media)
ISO History 23 February 1947: अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (International Organization for Standardization - ISO) एक स्वतंत्र, गैर-सरकारी, अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो विभिन्न उद्योगों, सेवाओं, और प्रौद्योगिकियों के लिए मानक विकसित और प्रकाशित करता है। ISO का उद्देश्य वैश्विक व्यापार, गुणवत्ता नियंत्रण, सुरक्षा, और उत्पादकता में सुधार लाना है। यह संगठन 23 फरवरी 1947 को स्थापित किया गया था और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
ISO के मानकों का उद्देश्य उत्पादन प्रक्रियाओं, गुणवत्ता प्रबंधन, पर्यावरण सुरक्षा, सूचना सुरक्षा, और व्यावसायिक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विश्वसनीयता और सामंजस्य सुनिश्चित करना है।
स्थापना का इतिहास
ISO History (Image Credit-Social Media)
ISO की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुई थी, जब यह आवश्यकता महसूस की गई कि विभिन्न देशों के उद्योगों और व्यापारों के लिए कुछ समान मानक होने चाहिए। इसका उद्देश्य तकनीकी बाधाओं को कम करना, व्यापार में आसानी लाना, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना था। इससे पहले 1926 में 'इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ द नेशनल स्टैंडर्डाइजिंग एसोसिएशंस' (ISA) नामक संगठन कार्यरत था, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसका कार्य बाधित हो गया। युद्ध के बाद, नए दृष्टिकोण और व्यापक दायरे के साथ ISO का गठन किया गया।
स्थापना की प्रक्रिया
ISO History (Image Credit-Social Media)
ISO की स्थापना प्रक्रिया में 25 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिन्होंने 14 अक्टूबर 1946 को लंदन में एक बैठक की। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एक नया अंतर्राष्ट्रीय संगठन स्थापित किया जाएगा, जो सभी तकनीकी और गैर-तकनीकी मानकों का विकास करेगा। इसके बाद, 23 फरवरी 1947 को ISO को आधिकारिक रूप से स्थापित किया गया।
नामकरण का कारण
ISO का पूरा नाम 'International Organization for Standardization' है, लेकिन इसे ISO के रूप में जाना जाता है। ISO नाम ग्रीक शब्द 'Isos' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'समान'। यह नाम चुनने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सभी देशों में इसे एक ही नाम से जाना जाए, चाहे उनकी भाषा या संस्कृति कुछ भी हो।
ISO का उद्देश्य
ISO का मुख्य उद्देश्य विभिन्न उद्योगों और सेवाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक विकसित करना है। इसके अन्य उद्देश्यों में शामिल हैं:
गुणवत्ता में सुधार: उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
सुरक्षा और विश्वसनीयता: सुरक्षा मानकों का पालन करना।
व्यापार में सुगमता: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में तकनीकी बाधाओं को कम करना।
नवाचार को बढ़ावा: नई तकनीकों और प्रक्रियाओं के विकास में सहायता करना।
पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरण के अनुकूल मानकों का विकास।
संगठनात्मक दक्षता: कंपनियों और संगठनों को अपने प्रबंधन और संचालन में सुधार के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना।
ISO History (Image Credit-Social Media)
कार्यप्रणाली
ISO के मानकों का विकास विशेषज्ञ समितियों द्वारा किया जाता है, जिनमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधि, उद्योग विशेषज्ञ, शिक्षाविद, और सरकारी अधिकारी शामिल होते हैं। ये समितियाँ प्रस्तावित मानकों पर विचार-विमर्श करती हैं, मसौदे तैयार करती हैं, और सभी सदस्य देशों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद अंतिम मानक जारी करती हैं।
ISO मानकों के निर्माण की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
- प्रस्ताव चरण: नए मानक की आवश्यकता का प्रस्ताव किया जाता है।
तैयारी चरण: तकनीकी समिति मसौदा तैयार करती है।
समिति चरण: मसौदे पर सदस्य देशों से प्रतिक्रिया ली जाती है।
जांच चरण: मसौदे को सार्वजनिक टिप्पणी के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
मंजूरी चरण: सदस्य देशों द्वारा मतदान किया जाता है।
प्रकाशन चरण: मानक को अंतिम रूप देकर प्रकाशित किया जाता है।
महत्वपूर्ण ISO मानक
ISO ने अब तक 24,000 से अधिक मानक प्रकाशित किए हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में लागू होते हैं, जैसे:
ISO 9001: गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली
ISO 14001: पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली
ISO 27001: सूचना सुरक्षा प्रबंधन
ISO 45001: स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रबंधन
ISO 50001: ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली
ISO 22000: खाद्य सुरक्षा प्रबंधन
ISO 31000: जोखिम प्रबंधन
ISO के उपयोग और लाभ
त्पादन प्रक्रियाओं में सुधार, गुणवत्ता नियंत्रण, और लागत में कमी। उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा की गारंटी।नीतियों और विनियमों में सहूलियत।निर्यात और आयात प्रक्रियाओं में सुगमता।पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा।कंपनियों को सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारियों का पालन करने में सहायता।
ISO History (Image Credit-Social Media)
चुनौतियाँ और आलोचना
ISO का कार्यप्रणाली के संदर्भ में कुछ आलोचना भी होती है।मानकों के कार्यान्वयन में कंपनियों के लिए उच्च लागत और समय लगता है।कुछ मानक बहुत जटिल होते हैं, जिन्हें लागू करना कठिन होता है। छोटे और विकासशील देशों के लिए मानकों का पालन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) ने विश्व स्तर पर व्यापार, उद्योग, और सेवाओं में मानकीकरण के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके मानकों ने न केवल गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित की है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भी सहूलियत प्रदान की है। ISO का योगदान भविष्य में भी वैश्विक अर्थव्यवस्था, पर्यावरण संरक्षण, और सामाजिक विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण रहेगा। यह संगठन नवाचार, गुणवत्ता, सुरक्षा, और स्थिरता के लिए एक मजबूत नींव प्रदान करता है, जो वैश्विक समाज के सतत विकास में सहायक है।170 मुल्कों में 10 लाख से ज्यादा कंपनियों और संस्थान ISO9001 से सर्टिफाई हैं.अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण की पहली बैठक लंदन में 14 अक्टूबर 1946 में हुई थी.ISO में 162 मुल्क सदस्य हैं और अब तक 19, 500 अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड प्रकाशित कर चुका है.ATM मशीन हो, लाइट बल्ब, टेलीफोन कोड या इंटरनेट, हर चीज के लिए मानक मौजूद हैं, ताकि विश्व अर्थव्यवस्था को आसानी हो.इसका हेडक्वाटर जेनेवा, स्विजरलैंड में स्थित है, जहां 150 से ज्यादा लोग काम करते हैं.
ISO Aur ISI में अंतर
जब भी हम कोई इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदने जाते हैं, तो सबसे पहले यह देखना नहीं भूलते कि उस पर ISI मार्क है या नहीं। यह मार्क हमें उत्पाद की गुणवत्ता का भरोसा देता है। ISI का पूरा नाम "Indian Standards Institution" (भारतीय मानक संस्थान) है, जिसकी स्थापना 1955 में हुई थी। इस संस्था ने धीरे-धीरे अपने आप को गुणवत्ता और भरोसे का प्रतीक बना लिया।
1987 में इस संस्था का नाम बदलकर "Bureau of Indian Standards" (BIS) या भारतीय मानक ब्यूरो कर दिया गया। आज भी कई इलेक्ट्रिक आइटम्स और अन्य विशेष वस्तुओं पर ISI मार्क लगाना अनिवार्य है।
जहां ISI मार्क किसी उत्पाद की गुणवत्ता की गारंटी देता है, वहीं ISO (International Organization for Standardization) किसी उत्पाद को बनाने या सेवाएं प्रदान करने की पूरी प्रक्रिया को प्रमाणित करता है। ISI उत्पाद के अंतिम परिणाम को जांचता है, जबकि ISO प्रक्रिया की गुणवत्ता और मानकों का पालन सुनिश्चित करता है।