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Jagannath Rath Yatra 2024 History: शंखचूड रस्सी से क्यों खींचा जाता है भगवान जगन्नाथ का रथ ?

Jagannath Rath Yatra 2024 History: आज हम आपको रथ को खींचने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली शंखचूड रस्सी और रथ यात्रा का महत्व बताते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 27 Jun 2024 8:57 AM GMT
Jagannath Rath Yatra 2024
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Jagannath Rath Yatra 2024 (Photos - Social Media)

Jagannath Rath Yatra 2024 : हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा को रथ महोत्सव और गुंडिचा यात्रा के नाम से जाना जाता है। इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई से हो रही है। शास्त्रों के अनुसार, इस खास अवसर पर भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना करने से साधक को जीवन में विशेष फल की प्राप्ति होती है। भगवान जगन्नाथ रथयात्रा के उत्सव को बेहद धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

रथयात्रा का महत्व (Importance of Rath Yatra)

रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भगवान बालभद्र और देवी सुभद्रा अपने घर यानी कि जगन्नाथ मंदिर से रथ में बैठकर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। ये यात्रा विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस उत्सव को आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है यात्रा के दौरान रथ खींचने वालों के सारे दुःख दूर हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, व सुभद्रा के रथ नारियल की लकड़ी से बनाए जाते है क्योंकि ये लकड़ी हल्की होती है। भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है और यह अन्य रथों से आकार में भी बड़ा होता है। यह यात्रा में बलभद्र और सुभद्रा के रथ के पीछे होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ के घोड़ों का नाम शंख, बलाहक, श्वेत एवं हरिदाशव है, इनका रंग सफ़ेद होता है. रथ के रक्षक पक्षीराज गरुड़ है। रथ की ध्वजा यानि झंडा त्रिलोक्यवाहिनी कहलाता है। रथ को जिस रस्सी से खींचा जाता है, वह शंखचूड़ नाम से जानी जाती है।


इसलिए निकाली जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा (That is Why Jagannath Rath Yatra is Taken Out)

पद्म पुराण की मानें तो एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की इच्छा जाहिर की। इसके लिए भगवान जगन्नाथ ने सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाया। इस दौरान वह अपनी मौसी के घर भी गए। जहां वह सात दिन तक रुके। मान्यता है कि तभी से हर साल भगवान जगन्नाथ निकालने की परंपरा जारी है।

Jagannath Rath Yatra 2024


शंखचूड रस्सी का महत्व (Importance of Shankhachud Rope)

पौराणिक कथा के अनुसार, शंखचूड़ नामक राक्षस ने भगवान जगन्नाथ का अपहरण करने का प्रयास किया था। भगवान बलभद्र ने शंखचूड़ का वध कर दिया और उसकी रीढ़ की हड्डी से रस्सी बनाकर रथ को खींचा। तब से, इस रस्सी का उपयोग भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए किया जाता है। शंखचूड़ एक राक्षस था, लेकिन भगवान बलभद्र द्वारा वध किए जाने के बाद, उसे पवित्र माना जाता है। रस्सी, जो उसकी रीढ़ की हड्डी से बनी है, जिसे बेहद पवित्र माना जाता है और भगवान जगन्नाथ को खींचने के लिए इसका उपयोग करना भाग्यशाली माना जाता है। रस्सी खींचना भक्तों की भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। वे भगवान जगन्नाथ को उनके रथ में खींचने में मदद करते हैं, जो उनके प्रति उनके प्रेम और श्रद्धा को दर्शाता है। भगवान जगन्नाथ का रथ शंखचूड़ रस्सी से खींचना धार्मिक और पारंपरिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह भक्तों की भक्ति, ओडिशा की संस्कृति और रथ यात्रा के त्योहार के महत्व का प्रतीक है।

Jagannath Rath Yatra 2024


जगन्नाथ रथ यात्रा की खासियत (Specialty of Jagannath Rath Yatra)

भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए होते हैं। रथ को शंखचूड़ रस्सी से खींचा जाता है। रथ को बनाने के लिए नीम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।

इस दिन तीन विशालकाय और भव्य रथों पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और देवी सुभद्रा विराजमान होते हैं। सबसे आगे बलराम जी का रथ चलता है, बीच में बहन सुभद्रा जी होती हैं और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ जी का रथ चलता है।

रथ को बनाने के लिए कील का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, किसी भी आध्यात्मिक कार्य के लिए कील या कांटे का प्रयोग करना अशुभ होता है।

जानकारी के लिए बता दें कि भगवान बलराम और देवी सुभद्रा का रथ लाल रंग और जगन्नाथ भगवान का रथ लाल या पीले रंग का होता है।

Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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