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Japan Unique Tradition: इस देश में काले हुआ करते थे लोगों के दांत, पसंद नहीं था सफेद रंग
Japan Unique Tradition : इस दुनिया के हर देश की अपनी मान्यता और परंपराएं हैं जो उसे अलग बनाती है। चलिए आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताते हैं जहां के लोगों के दांत काले हुआ करते थे।
Japan Unique Tradition : दुनिया में कई सारे देश हैं जिनकी अपनी परंपरा और मान्यताएं जो वहां के लोगों को दूसरे देशों के लोगों से अलग बनाने का काम करती है। देश और शहरों का विकास होने के बाद अब कहीं आबादी ऐसी है जो अपने रिवाज को भूल चुकी है लेकिन कुछ जगह आज भी ऐसी है जहां पर परंपरा और रिवाज का वैसे ही पालन किया जाता है जैसा पुराने समय में किया जाता था। आज हम आपको जापान के एक ऐसे इलाके के बारे में बता रहे हैं जहां पर दातों को काला करने का कलर था और यहां के लोग काले दांत फैशन के रूप में देखते थे। जापान में यह कलर अपना के बराबर है लेकिन एक समय ऐसा था जब हर जापानी के दांत काले रंग के हुआ करते थे। यह फैशन न सिर्फ जापान बोल के आसपास के एशियाई देशों में भी देखने को मिलता था। यह रिवाज हियान पीरियड में काफी फेमस था जो 794 से लेकर 1185 के बीच का बताया जाता है। इसे ओहगूरो मान्यता के नाम से पहचाना जाता है। चलिए आपको बताते हैं कि आखिरकार यहां के लोगों को सफेद दांत क्यों पसंद नहीं थे।
जापान में क्यों करते थे काले दांत (Why Were Teeth Blackened in Japan?)
दांत काले करने की प्रक्रिया तब शुरू होती थी जब युवक और युक्तियां युवावस्था में प्रवेश कर लेते थे। इसे यहां पर समझदारी की निशानी माना जाता था। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह अच्छा माना जाता था क्योंकि इससे दांतों में कीड़े नहीं लगते थे और मसूड़े स्वस्थ रहा करते थे। उस युग में काले दांत सुंदरता की निशानी माने जाते थे।
क्या अभी भी है जापान में परंपरा (Does the Tradition Still Exist in Japan?)
जापान में शाही परिवार के लोग और समुराय अपने दांतों को हमेशा काला रखा करते थे। शादी अंतिम संस्कार के दौरान भी लोगों को दातों को काला रंग करवाते हुए देखना चाहता था। मिलिट्री के जवान मुंह की चोट को छुपाने के लिए दांत काले करते थे। आज के समय में यह परंपरा नाक के बराबर हो गई है लेकिन जापान के गीशा जिले में आज भी कई महिलाएं अपने दांतों को कल रखती हैं।
कैसे होते थे काले (How Were They Black?)
जापान के लोग अपने दांतों को काला करने के लिए कानेमीजू नामक पदार्थ का उपयोग करते थे। इसे बनाने के लिए सिरका चाय और चावल में वाइन मिलाई जाती है। लोहे के फीलिंग को या तो चाय में या फिर सिरका में मिला दिया जाता है। ऑक्सीडेशन होने पर वह लिक्विड अपने आप कल हो जाता था और फिर उसे दांत पर लगाया जाता था।