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Jhankar Saim Temple Jageshwar: देवभूमि में स्थित हैं देवी-देवताओं के मामा का मंदिर, दर्शन मात्र से होता है भक्तों की सभी परेशानियों का अंत

Jhankar Saim Temple Jageshwar: झांकर सैम देवता सभी देवी-देवताओं के गुरू हैं। साथ ही झांकर सैम देवता को भगवानों का मामू कहा जाता है। सालभर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।

Vidushi Mishra
Published on: 13 Nov 2022 1:17 AM GMT
Jhankar Sam Temple
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झांकर सैम मंदिर (फोटो- सोशल मीडिया)

Jhankar Saim Temple Jageshwar: उत्तराखंड के अल्मोड़ा में एक बहुत ही मशहूर मंदिर है। ये मंदिर अल्मोड़ा से करीबन 40 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर का नाम झांकर सैम मंदिर है। अल्मोड़ा के इस मंदिर में स्वयंभू लिंग में झांकर सैम देवता विराजमान है। मंदिर को लेकर ऐसी धार्मिक मान्यता है कि झांकर सैम देवता सभी देवी-देवताओं के गुरू हैं। साथ ही झांकर सैम देवता को भगवानों का मामू कहा जाता है। सालभर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। जबकि हर महीने इस मंदिर में हजारों की तादात में श्रद्धालू दर्शन करने आते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

ऐसे में पहुचें झांकर सैम मंदिर

पहाड़ी इलाके में स्थित झांकर सैम मंदिर जाने के लिए आपको उत्तराखंड के अल्मोड़ा जाना होगा। अल्मोड़ा पहुचने के बाद आपको जागेश्वर की तरफ जाने वाले मार्ग पर जाना होगा। हिंदू धर्म में प्राचीन काल के झांकर सैम मंदिर की विशेष मान्यता है। दरअसल सैम को भगवान शिव के अंशावतार के रूप में पूजा जाता है। सिर्फ अल्मोड़ा में झांकर ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड में सैम देवता के बहुत सारे मंदिर है।

देवभूमि उत्तराखंड में सैम देवता को सभी देवताओं का मामा व बाबा भोलेनाथ यानी भगवान शिव का साक्षात् अंशावतार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कल्याण करना ही इनका धर्म है। जबकि कुछ भक्तगण इन देवता को स्वयंभू शिव के नाम से पुकारते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां पर मांगी गई मनोकामना पूर्ण होती है। इस मंदिर में भगवान शिव के प्रिय महीने सावन के महीने में भगवान की धुनी भी लगती है और भगवान अवतरित होते हैं। यहां जो भी भक्त जागेश्वर धाम आता है, वह झांकर सैम मंदिर में दर्शन करने जरूर आता है।

झांकर सैम देवता मंदिर के बारे में मंदिर के पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड के इस मंदिर में झांकर सैम देवता स्वयंभू शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर में सच्चे मन से आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं भगवान पूरी करते हैं। इस मंदिर में हर दिन सुबह-शाम भगवान की आरती होती है। इसके बाद दोपहर 12 बजे भगवान को दाल और चावल का भोग लगाया जाता है। यहां सभी देवी-देवताओं के मामू विराजमान हैं. यहां

मंदिर के इतिहास के बारे में पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में देवदार के पेड़ से कुछ सालों पहले तक दूध निकलता था, लेकिन धीरे-धीरे दूध आना बंद हो गया। लेकिन इसी देवदार के पेड़ के पीछे बनी भगवान गणेश की आकृति आज भी है। जोकि कई सालों पुरानी है। इस देवदार के पेड़ की भी काफी महत्ता है। यहीं पर सैम मंदिर में देवी का भी मंदिर है। ये मंदिर भी बहुत साल पुराना है।

दर्शन मात्र से ही दूर हो जाती हैं लोगों की परेशानियां

मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों को आर्थिक परेशानी होती है या संतान नहीं हो रही होती है तो भगवान के पास सच्चे मन से आने पर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। जिन भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है वो दोबारा से मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने आते हैं और भगवान को धन्यवाद देते हैं।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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