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Deoghar Famous Places: बाबा बैद्यनाथ के मंदिर के अलावा देवघर में और भी खूबसूरत जगहें, ये रही सूची
Best Place Visit in Deoghar: अगर आप देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ के दर्शन करने की य़ोजना बना रहे हैं तो हम आपके लिए देवघर और उसके आसपास घूमने लायक जगहों की सूची लाए हैं।
Deodhar Tourist Place: कुछ दिनों बाद श्रावणी मेला (Shravani Mela) शुरू होने वाला है, ऐसे में अगर आप देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ के दर्शन करने की य़ोजना बना रहे हैं तो हम आपके लिए देवघर और उसके आसपास घूमने लायक जगहों की सूची लाए हैं। इसके अलावा हम आपको देवघर के प्रसिद्ध व्यंजन के बारे में भी बताएंगे, जिसका स्वाद चखने के बाद आप जीवन में कभी नहीं बिसरेंगे।
बाबा बैद्यनाथ मंदिर झारखंड (Baba Baidyanath Temple Jharkhand)
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर की पहचान भगवान शिव से जुड़ी हुई है। श्रावण मास के दौरान भक्त पवित्र गंगा जल से ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक करते हैं। इस धार्मिक स्थल से एक पौराणिक मान्यता भी जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि यहां रावण ने भगवान शिव की पूजा की थी और अपने 12 सिरों को बलि के रूप में चढ़ाया था। रावण की भक्ति से प्रसन्न होकर भोलेनाथ एक वैद्य के रूप में उनके उपचार के लिए आए थे। इसलिए इस मंदिर का नाम पड़ा बैद्यनाथ। बाबा बैद्यनाथ के मंदिर के अलावा परिसर में 21 मंदिर है। किवदंती है कि सभी मंदिरों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने करवाया था। यह मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि बैद्यनाथ का पुनर्निमाण 1596 में राजा पूरन मल द्वारा किया गया था, जो कि गिद्दौर के महाराजा के वशंज थे।
बासुकीनाथ मंदिर झारखंड (Basukinath Mandir Jharkhand)
देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर के बाद हिंदुओं में सबसे अधिक लोकप्रिया बासुकीनाथ मंदिर है। जो कोई भी दर्शन के लिए बाबा बैद्यनाथ के मंदिर आता है, वह बासुकीनाथ मंदिर जरूर जाता है। ये मंदिर देवघर से 50 किलोमीटर की दूरी पर दुमका जिले में स्थित है। शहर से नियमित अंतराल पर बस, टैक्सी और अन्य छोटे वाहन आसानी से बासुकीनाथ के लिए मिल जाते हैं। बासुकीनाथ मंदिर में शिव और पार्वती के मंदिर आमने – सामने और दोनों के कपाट शाम को ही खुलते हैं। माना जाता है कि इसी दौरान भगवान शिव और माता पार्वती एक दूसरे से मिलते हैं। श्रावण मेले के दौरान मंदिर में भीड़ काफी बढ़ जाती है।
नौलखा मंदिर झारखंड (Naulakha Mandir Jharkhand)
नौलखा मंदिर देवघर का एक अन्य प्रमुख मंदिर है, जो कि मुख्य मंदिर से केवल 1.5 किमी की दूरी पर स्थित है। राधा-कृष्ण को समर्पित इस मंदिर की ऊंचाई 146 फीट है। इस मंदिर के नाम को लेकर भी एक दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में 9 लाख रूपये खर्च हुए थे। इसलिए इसका नाम नौलखा ( नौ लाख) मंदिर पड़ा। इस मंदिर को पश्चिम बंगाल के पथुरिया घाट राजा के परिवार की रानी चारूशीला ने संत बालानंद ब्रह्मचारी के कहने पर 1948 में बनवाया था।
नंदन पहाड़ झारखंड (Nandan Pahar Jharkhand)
देवगर स्थित नंदन पहाड़ एक पहाड़ी की चोटी पर बना मनोरंजन पार्क है। ये आम लोगों के बीच पिकनिक स्पॉट के रूप में मशहूर है। नंदन पहाड़ से सूर्यास्त का नजारा बेहद ही खुश कर देता है। इसके अलावा यहां जॉय राइड और बोटिंग का लुत्फ उठाने की सुविधा भी है। देवघर शहर से ये 10-12 किमी की दूर पर पड़ेगा।
त्रिकुट पर्वत झारखंड (Trikut Parvat Jharkhand)
त्रिकुट पर्वत देवघर में घूमने लायक एक और खूबसूरत जगह है। 2470 फीट ऊंचा इस पहाड़ी में तीन मुख्य चोटियां हैं। इसलिए इसका नाम त्रिकुट पड़ा। देवघर से 24 किमी पश्चिम में स्थित यह पर्वत अपने पहाड़ी मंदिरों के लिए फेमस है। देवघर से लगभग 10 किलोमीटर की ड्राइव और बाद में रोपवे की सवारी आपको पहाड़ी की चोटी पर ले जाएगी।
तपोवन (Tapovan)
तपोवन की गुफाएं और पहाड़ियां देवघर आने वाले तीर्थयात्रियों के बीच बड़ा आकर्षण का केंद्र है। शिव मंदिर को यहां तपोनाथ महादेव कहा जाता है। इस पहाड़ी पर कई गुफाएं पाई जाती हैं। कहा जाता है कि ऋषि वाल्मीकि इस गुफा में रोज तपस्या के लिए आते हैं।
देवघर का फेमस व्यंजन (Famous dishes of Deoghar)
देवघर स्थित कचौड़ी गली बाबा बैद्यनाथ के दर्शन करने आए श्रद्धालुओं का सबसे पसंदीदा भोजन स्थल है। एकबार पूजा पाठ से निश्चिंत होने के बाद इस गली से आने वाली खाने की खुशबू उन्हें यहां तक खींच लाती है। कचौड़ी गली के पकवान पूरे देवघर में मशहूर हैं। इनका इतिहास आठ दशक से भी पुराना है। कचौड़ी गली के समोसे, पकौड़ी, आलू चोप और पराठे के स्वाद की खुशबू अब इन गलियों निकलती है। इसके अलावा देवघर में कुछ अच्छे रेस्तरां भी हैं जैसे – मैगनोलिया, पकवान, इपीरियल हाइट्स और नीलकमल।
देवघर से ये जरूर खरीद कर लाएं
देवघर अपने प्रसाद और हस्तनिर्मित लकड़ी और मिट्टी के शिल्प के लिए भी खासा प्रसिद्ध है। आप जब भी जाएं यहां का पेड़ा, तिलकुट और रबड़ी कभी खरीदना न भूलें। वहीं अगर देवघर घूमने के लिए सबसे अच्छे मौसम की बात करें तो सर्दियों का मौसम सबसे उपयुक्त होता है। वहां कांवड़ यात्रा के लिए श्रावण मास ( जुलाई –अगस्त) प्रसिद्ध है।