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Gorakhpur Famous Mandir: गोरखपुर में महादेव के इस मंदिर की बहुत रहस्यमयी कहानी, शिवलिंग से बहने लगा था खून

Jharkhandi Mahadev Temple Gorakhpur: गोरखपुर में देवों के देव महादेव का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। इस स्वयंभू शिवलिंग को झारखंडी महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। भोलेनाथ के इस मंदिर में सावन और शिवरात्रि के अलावा भी सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है।

Vidushi Mishra
Published on: 28 Jan 2023 8:00 PM IST (Updated on: 28 Jan 2023 8:00 PM IST)
jharkhandi shiv mandir gorakhpur
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झारखंडी शिव मंदिर गोरखपुर (फोटो- सोशल मीडिया)

 

Jharkhandi Mahadev Temple Gorakhpur: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में देवों के देव महादेव का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। इस स्वयंभू शिवलिंग को झारखंडी महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। भोलेनाथ के इस मंदिर में सावन और शिवरात्रि के अलावा भी सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है। भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। सावन के सोमवार और शिवरात्रि में बाबा के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां विशाल मेले का आयोजन होता है।

गोरखपुर में भगवान शिव के इस मंदिर में सबसे ज्यादा हैरान की बात तो ये है कि मंदिर के ऊपर कोई छत नहीं है। निर्माण बार-बार हुआ, लेकिन छत नहीं पड़ी। बाबा की भक्ति में लीन भक्त अपनी श्रद्धा और पूर्ण भक्ति से पूजा अर्चना करते हैं और बाबा को जल-दूध अर्पित करते हैं। आइए आपको बताते हैं कि महादेव के मंदिर का नाम झारखंडी कैसे पड़ा।

झारखंडी महादेव

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि आज जहां पर महादेव का मंदिर है वहां पहले चारों तरफ जंगल हुआ करता था। बाबा की इस स्वयंभू शिवलिंग पर कुल्हाड़ी के कई निशान है। इस जगह पर पहले जंगल होने की वजह से शिवलिंग हमेशा पत्तों से ढका रहता था। जिसके चलते मंदिर का नाम महादेव झारखंडी मंदिर रखा गया था।

पुजारी मंदिर के बारे में आगे बताते हैं कि लकड़हारे पहले यहां के जंगलों से लकड़ी काटकर ले जाते थे। लेकिन एक बार एक लकड़हारे को लकड़ी काटते समय खून बहता दिखा। ये खून लकड़हारे द्वारा कुल्हाड़ी से प्रहार करने के बाद निकलना शुरू हुआ। झाड़ियां हटाने पर लकड़हारे को एक पत्थर से खून निकलता हुआ दिखाई दिया।

जब लकड़हारे ने शिवलिंग को ऊपर उठाने की कोशिश की, तो शिवलिंग उतना ही नीचे धंसता चला गया। इसके बाद जमीदार को सपने में बाबा ने दर्शन दिए। जिसमें बाबा ने उस जगह पर शिवलिंग होने की बात बताई। जिसके बाद जब लोग वहां गए तो काफी प्रयत्न के बाद फिर दुग्धाभिषेक करने के बाद शिवलिंग बाहर निकाला गया।

पीपल के पेड़ पर है शेषनाग की आकृति

(Image Credit- Social Media)

बाबा के शिवलिंग के बहुत पास में ही एक बहुत बड़ा सा पीपल का पेड़ है। ये पीपल को पेड़ पांच पेड़ों को मिलाकर उगा है। जिसकी वजह से पीपल की जड़ के पास शेषनाग की आकृति बन गई है। जो देखने में वाकई में बहुत चमत्कारिक है। जिसके बाद शेषनाग के स्वरूप की पूजा की जाती है।

खुले आसमान के नीचे बाबा का मंदिर

ये चमत्कारी झारखंडी महादेव मंदिर की छत खुली हुई है। लोग बताते हैं कि बहुत बार शिवलिंग के ऊपर छत डालने की कोशिश की गई, पर किसी न किसी वजह से छत का निर्माण पूरा नहीं हो सका। जिसके बाद से ये बाबा की शिवलिंग को बंद नहीं किया गया। मंदिर के ऊपर पीपल के विशाल पेड़ की छांव रहती है।



Vidushi Mishra

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