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Kamakhya Temple Mystery: 52 शक्तिपीठों में से एक है माता कामाख्या मंदिर का रहस्य, अनोखी है यहां की परंपरा और पूजा पद्धति

Mystery Of Kamakhya Temple: 52 शक्तिपीठों में से एक मंदिर असम के गुवाहाटी में भी मौजूद है जिसे कामाख्या देवी के नाम से पहचाना जाता है। चलिए आज हम आपको इस मंदिर के बारे में बताते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 4 Sept 2024 11:51 AM IST
Mystery Of Kamakhya Temple
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Mystery Of Kamakhya Temple (Photos - Social Media)

Mystery Of Kamakhya Temple: कामाख्या माता का मंदिर माता सती के 52 शक्तिपीठों में से एक है और यहां बड़ी संख्या में भक्ति दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। यह कैसा शक्तिपीठ है जहां पर माता की योनि की पूजा की जाती है। यहां पर कोई मूर्तियां तस्वीर नहीं है। कामाख्या, शक्ति या देवी का एक नाम है और कामाख्या मंदिर, असम के गुवाहाटी में स्थित है. इस मंदिर से जुड़ी कई रोचक बातें हैंI

माता की योनि की होती है पूजा

जब देवी सती ने अपने पति के अपमान से आहत होकर अग्नि कुंड में स्वयं को भस्म कर दिया था और शिव गुस्से में तांडव कर रहे थे तो उन्हें शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर के अंगों के टुकड़े कर दिए थे। उसे समय इस जगह पर माता सती का गर्भ और योनि गिरी थी। यहां पर उसी की पूजा होती है। इस मंदिर में माता कामाख्या की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि यहां एक योनि-कुंड है. यह कुंड हमेशा फूलों से ढका रहता है और यहां से हमेशा पानी निकलता रहता हैI

Mystery Of Kamakhya Temple

कहां है कामाख्या माता का मंदिर

कामाख्या मंदिर भारत के असम के गुवाहाटी जिले में मौजूद है। नीलांचल की पहाड़ियों में मौजूद यह मंदिर बहुत खूबसूरत है। यहां अलग-अलग माध्यम से चढ़ाई करनी पड़ती है। यह मंदिर नीलशैल पर्वतमालाओं पर बना है और असम की राजधानी दिसपुर से करीब 8 किलोमीटर दूर है.

अघोरियों का है गढ़ कामाख्या माता का मंदिर

कामाख्या देवी मंदिर तांत्रिक और अघोरियों का गढ़ माना जाता है। यहां पर विभिन्न प्रकार की सिद्धियों को सिद्ध करने के लिए तंत्र विद्या का सहारा लिया जाता है। कामाख्या मंदिर में वशीकरण पूजा भी की जाती हैI

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तीन हिस्से में बना है देवी का मंदिर

कामाख्या देवी का मंदिर तीन हिस्से में बनाया गया है जिसमें पहला हिस्सा सबसे बड़ा है इसमें हर कोई नहीं जा सकता। दूसरे हिस्से में श्रद्धालु माता के दर्शन करते हैं। दूसरे हिस्से में माता के दर्शन होते हैंI यहां एक पत्थर से हर समय पानी निकलता रहता हैI

माँ के रजस्वला होने पर लगता है मेला

हर साल यहां पर मेले का आयोजन जून के महीने में किया जाता है। यह मेला तब लगता है जब माता रजस्वला होती है। इस दौरान पूरी ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है। तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले के दौरान गुवाहाटी के सभी मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। चौथे दिन यहां भक्तों की लंबी कतार लगती है और हर कोई यह चाहता है कि उसे माता के रज से भी का कपड़ा मिल जाए। इस शक्ति का स्वरूप माना जाता है। यह मंत्र अपने आप में काफी अनोखा है क्योंकि विश्व में ऐसा कोई मंदिर नहीं है और ना ही ऐसी पूजा पद्धति है।

Mystery Of Kamakhya Temple

कामाख्या मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें

यह मंदिर असम की राजधानी दिसपुर से करीब 7 किलोमीटर दूर हैI

यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर हैI

यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना हैI

इस मंदिर का तांत्रिक महत्व भी हैI

इस मंदिर में देवी मां की कोई तस्वीर नहीं हैI

इस मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता हैI

यहां अम्बुवाची मेले के दौरान तांत्रिकों का जमावड़ा लगा रहता हैI

यह मंदिर शक्ति की देवी सती को समर्पित हैI

यह 51 शक्तिपीठों में से एक हैI

इस मंदिर में मूर्ति नहीं है, बल्कि योनि-कुंड है, इस कुंड से हमेशा पानी निकलता रहता हैI

हर साल जब माता रजस्वला होती हैं, तब यहां अम्बुवाची मेले का आयोजन होता है, उन दिनों मंदिर के द्वार तीन दिनों के लिए अपने-आप बंद हो जाते हैंI उन दिनों गुवाहाटी में कोई मंगल कार्य नहीं होता और कोई मंदिर नहीं खुलताI चौथे दिन मंदिर को फिर से खोल दिया जाता है



Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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