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Kanpur Best Place: कानपुर में घूमने की जगहें, मंदिरों के अलावा यहां जरूर जाएं
Kanpur Mein Ghumne Ki Jagah: एतिहासिक धरोहरे इतिहास से रूबरू होने का अवसर देते हैं, वहीं गंगा नदी की बहती धारा हर पल गुजरती जिंदगी को सादगी से जीने का एहसास कराती है। तो चलिए घूमते हैं कानपुर शहर।
Kanpur Mein Ghumne Ki Jagah: उत्तर प्रदेश का कानपुर शहर जिसका इतिहास में काफी जिक्र हुआ है। सन् 1857 की क्रांति में शामिल हुए कानपुर शहर का बलिदान किताबों के पन्नों में दर्ज है। वर्षों पहले इस शहर में कई साम्राज्यों और राजवंशों का शासन रहा है। आज भी कानपुर अपने इतिहास, अपनी मेहमान नवाजी, खूबसूरत पर्यटन स्थल, कल-कल करती हुई बहती गंगा नदी और मंदिरों के लिए दुनियाभर के पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।
कानपुर की खूबसूरती यहां की ऐतिहासिक धरोहरों, दर्शनीय स्थल और आध्यात्मिक स्मारकों से बढ़ जाती है। यहां रहने वाले लोगों को खासतौर पर कनपुरिया की उपाधि से नवाजा जाता है। क्योंकि यहां के लोग जितने सख्त मिजाज के होते हैं, उतने ही मजाकिया और मस्तीखोर भी होते हैं। लोगों से एक टूक में साफ-सुथरी बात करना यहां के लोगों की सबसे बड़ी खासियत है।
आइए हम आपको यूपी के सबसे ज्यादा आबादी वाले शहर कानपुर की सैर कराते हैं। यहां मंदिर-मस्जिद में जाने से बहुत सुकून मिलता है, एतिहासिक धरोहरे इतिहास से रूबरू होने का अवसर देते हैं, वहीं गंगा नदी की बहती धारा हर पल गुजरती जिंदगी को सादगी से जीने का एहसास कराती है। तो चलिए घूमते हैं कानपुर शहर।
कानपुर में घूमने की जगहें (Kanpur Mein Ghumne Ki Jagah)
जे.के मंदिर (J. K Temple)
कानपुर में स्थित जेके मंदिर को धार्मिक स्थल के साथ पर्यटन के खूबसूरत स्थल के तौर पर भी देखा जाता है। इस मंदिर की खूबसूरती, बाग-बगीचों की हरियाली और रंग-बिरंगे फुव्वारे बहुत ही सुंदर लगते हैं। इस मंदिर में वास्तुकला का बहुत भव्य संयोजन देखने को मिलता है।
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में साल के हर मरम्मत का कार्य चलता रहता है। सन् 1953 में सिंघानिया परिवार की देखरेख में ये मंदिर बना था। ऐसे में आज भी जेके मंदिर का मैनेजमेंट बड़े स्तर पर जेके ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
इसे मंदिर को जुग्गीलाल कम्पलापत मंदिर या श्री राधाकृष्ण मंदिर कहा जाता है। ये जेके मंदिर कानपुर में सर्वोदय नगर में गोविंद नगर रोड पर है।
मंदिर खुलने का समय
सुबह- 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक (हर दिन)
शाम- 4 बजे से रात 10 बजे तक (हर दिन)
टिकट शुल्क- 0
मोती झील (Moti Jheel)
कानपुर में अगर हरियाली के माहौल में घूमने का प्लान बना रहे हैं तो मोती झील बेस्ट जगहों में से एक है। यहां आप फैमिली, बच्चों, दोस्तों के साथ खुशनुमा पल बिता सकते हैं। यहां झील के साथ झूले, बोटिंग भी कर सकते हैं।
इतिहास के पन्नों को देखें तो अंग्रेजों के समय में इस शहर को पानी उपलब्ध कराने के लिए झील का निर्माण कराया था। जिसे मोती झील नाम उसी समय दिया गया था।
खुलने का समय
सुबह- 5 बजे से रात के 9 बजे
टिकट- 0
फूल बाग और कानपुर संग्रहालय (Phool Bagh Kanpur Museum)
कानपुर के एतिहासिक स्वरूप से फूल बाग काफी मायने रखता है। यहां पर बड़ी-बड़ी राजनीतिक रैलियों और जनसभाओं का आयोजन किया जाता है। इस शहर का सबसे बड़ा संग्रहालय भी फूल बाग में है। इस संग्रहालय में औपनिवेशिक काल से लेकर आधुनिक कानपुर के दौर की कलाकृतियों और दस्तावेजों संजोय कर रखा गया है।
स्थान- मॉल रोड
समय- सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक
कांच का मंदिर (Kaanch Ka Mandir)
कानपुर का जैन मंदिर जैन धर्म को समर्पित मंदिरों में से प्रमुख मंदिर है। शहर के सुंदर जैन ग्लास मंदिर का दर्शन करना बिल्कुल न भूलें। ये मंदिर पूरी तरह से कांच के टुकड़ों और दर्पणों से बना हुआ है। कांच से बने इस सुंदर मंदिर में शक्तिशाली भगवान महावीर और शेष 23 जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं मौजूद हैं। यहां बनी रंग-बिरंगे अलंकृत की आकृतियां मन मोह लेती हैं। इस मंदिर में एक खूबसूरत बगीचा भी है। इस मंदिर में यहां रहने वाले लोगों के साथ पर्यटकों की भी भारी भीड़ लगी रहती है।
खुलने का समय
सुबह- 6 बजे से 11 बजे तक
शाम- 4:30 बजे से 5:30 बजे तक
स्थान- जनरलगंज
गंगा बैराज
Ganga Barrage
कानपुर के सेंटर में गंगा बैराज घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक हैं। यहां नदी के शानदार व्यू पॉइंट और मैगी पॉइंट का मजा लेने के लिए लोगों की भीड़ हर शाम को इकट्ठा हो जाती है। नदी का किनारा होने की वजह से यहां बोटिंग भी कराई जाती है। लगभग 2 से 3 किलोमीटर की स्ट्रीट पर चलकर लोग गंगा बैराज का लुफ्त उठाते हैं।
इस्कॉन टेम्पल (ISKCON Temple)
भगवान राधा कृष्ण को समर्पित ये इस्कॉन टेम्पल शहर के सबसे खूबसूरत और प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों में से एक है। यह मंदिर कानपुर शहर से करीब 4 किलोमीटर दूर बिठूर रोड के मैनावती मार्ग पर है। इस्कॉन टेम्पल में सबसे ज्यादा भीड़ राधा जन्माष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी में यानी अगस्त और सितंबर होती है।
खुलने का समय- सुबह 4:30 बजे से शाम 8:30 बजे तक (भोजन के समय के दौरान पट बंद)
बिठूर (Bithoor)
कानपुर शहर आने वाले हर पर्यटक की पहली पसंद बिठुर जाना होती है। बिठुर शहर के करीब 17 किलोमीटर दूर बसा है। बिठूर जोकि गंगा नदी के तट पर बसा है, इसके बारे में हिंदू ग्रंथों में कई व्याख्यान वर्णित हैं।
धार्मिक ग्रंथों में बिठुर के बारे में वर्णित है कि त्रेता युग में भगवान राम ने जब सीता माता को त्याग दिया था, तब सीता माता ने बिठूर में गंगा नदी के किनारे महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में आकर आश्रय ली थी। फिर सीता माता ने यही पर अपनी दोनों पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया था। बिठुर में आज भी सीता रसोई के साक्ष्य संजोए हुए हैं।
बिठूर में गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की विशेष स्नान के दिन भारी भीड़ उमड़ती है। गंगा आरती का भव्य नजारा पर्यटकों को काफी भाता है।
ब्रह्मा व्रत घाट (Brahmavart Ghat)
कानपुर में बिठूर के गंगा तट पर ही ब्रह्मा ब्रत मंदिर है। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि ये वही स्थान है जहां से मानव जाति की रचना हुई थी। धरती का पहला मानव ब्रह्मा जी के यज्ञ से उत्पन्न हुए मनु और शत्रुका का जन्म यही हुआ था।
ग्रंथों में बताया गया है कि सनातन धर्म के मुताबिक, मनु धरती के पहले मानव थे। उनके साथ पहली स्त्री शत्रुका उत्पन्न हुई थी। इसके बाद से इन्ही प्रथम पुरुष और प्रथम स्त्री की सन्तानों से सम्पूर्ण संसार के समस्त जनों की उत्पत्ति हुई है।
शोभन सरकार
कानपुर में कहीं खुली-खुली जगह पर घूमने का आपका मन कर रहा है तो शोभन सरकार आइए, यहाँ धार्मिक केंद्र के साथ साथ एक काफी बड़ी झील भी है। जोकि देखने में कुछ-कुछ आइलैंड जैसी प्रतीत होती है। इस शोभन परिसर में पवन पुत्र हनुमान और राम जानकी मंदिर के साथ कई साधु-संतों को जीवंत सी लगने बलि मूर्ती के रूप में विराजित किया गया है। शोभन सरकार कानपुर के तीर्थ स्थान में गिना जाता है। यहां हर दिन श्रद्धाओं का तातां लगा रहता है।
चिड़िया घर (Kanpur Zoo)
कानपुर के चिड़ियाघर की बात करें तो ये काफी बड़ा है। इस चिड़िया घर में भिन्न प्रकार के जंगली जानवर जैसे – शेर , चीता , हांथी, भौ , गोरिल्ला , और कई प्रजातियो के हिरन के साथ पक्षियों को देखा जा सकता है। शहर की भीड़-चाल से दूर समय बिताने के लिए ये काफी अच्छी जगहों में है।
सिद्धि धाम सिधांशु आश्रम (Sidhanshu Ashram)
बिठूर से थोड़ी दूर पर सिधांशु आश्रम पर्यटकों को काफी भाता है। यहां पर आर्टिफियल गुफा बनी है, जिससे आए पर्यटको का मन खुश हो जाता है। इस आश्रम को सुधांशु आश्रम के नाम से इसलिए जानते है क्योंकि कभी ये सुंधाशु जी की तपोस्थली थी।