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अब मनोकामना होगी पूरी: इस मंदिर में भगवान को लिखी जाती है चिट्ठी, फिर ऐसा होता है चमत्कार
इस मनोकामना मंदिर के बारे में सबसे बड़ी बात ये है कि ये मंदिर साल में केवल एक बार ही खुलता है वो भी सिर्फ एक हफ्ते के लिए।
Hasanamba Temple : भारत सांस्कृतिक और विविधताओं का देश है। ये विशेषता ही देश की सबसे बड़ी खूबसूरती है। यहां ढेर सारी संस्कृतियों का भंडार है, जोकि पूरे विश्व के सामने मिसाल कायम करता है। ऐसे में आज हम आपको देश के एक अद्भत मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां भक्त भगवान को चिट्ठी के माध्यम से अपना संदेश भेजते हैं। ये प्रख्यात मंदिर हासन जिले में है। इस मंदिर का नाम हसनंबा(Hasanamba Temple) है। ये मंदिर पूरी दुनिया में फेमस है।
कर्नाटक के इस प्राचीन मंदिर में लोग अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए भगवान को प्रसाद चढ़ाने के अलावा चिट्ठी लिखते हैं। हासन जिले के इस मंदिर को लेकर लोगों की बहुत श्रद्धा है। यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने और भगवान को चिट्ठी के माध्यम से मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं। ये मंदिर अपने चमत्कार के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में अधिष्ठात्री देवी माता की पूजा की जाती है। दूर-दूर से भक्त इस मंदिर में मां के दर्शन करके पत्र लिखकर अपनी अरदास लगाते हैं।
बड़ी तादात में भक्त पहुंचते
राज्य के इस प्रसिद्ध मंदिर में हर साल मेला लगता है। इस मेले को हसनंबा महोत्सव के नाम से जाना जाता है। यहां बड़ी तादात में भक्त पहुंचते हैं। भगवान से अपनी परेशानी दूर करने और मनोकामना पूरी कराने के लिए अजीब तरह से पत्र लिखते हैं। वहीं बात इस साल की करें तो इस बार कई चिट्ठियां सोशल मीडिया पर वायरल भी हुई थीं।
इस मनोकामना मंदिर के बारे में सबसे बड़ी बात (hasanamba temple speciality) ये है कि ये मंदिर साल में केवल एक बार ही खुलता है वो भी सिर्फ एक हफ्ते के लिए। इस हफ्ते इस मंदिर के खुलने के बाद फिर सालभर के लिये ये मंदिर बंद हो जाता है।
बता दें, ये मंदिर प्रत्येक साल सिर्फ दीवाली में एक हफ्ते के लिए खोला जाता है। हर साल की तरह इस साल भी ये मंदिर (hasanamba temple opening date 2021) अपने भक्तों के लिए 28 अक्टूबर से 6 नवंबर तक खोला गया था। भक्तों की लंबी लाइनें के साथ भगवान को भारी तादात में चिट्ठियां मिली।
इस मंदिर के बारे यहां आने वाले लोगों का मानना है कि हसनंबा मंदिर का निर्माण होयसला वंश के लगभग करीब हुआ था। लेकिन इस मंदिर के निर्माण और इतिहास के बारे में अभी तक कोई जानकारी या दस्तावेज नहीं मुहैया हो सके हैं।