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Kashi Ka Rahasya: काशी के इन रहस्यों के बारे में क्या आप जानते हैं, जहां का पानी पीने से मिलती है मुक्ति

Kashi Ka Rahasya: क्या आप काशी के उन रहस्यों के बारे में जानते हैं जिनसे कई पौराणिक रहस्य जुड़े हुए हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 18 Sept 2022 6:52 PM IST
kashi ghat
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काशी (फोटो- सोशल मीडिया)

Kashi Ka Rahasya: देवों के देव महादेव की नगरी के नाम से काशी विख्यात है। पूरी दुनिया के सबसे पुरानों शहरों में से एक काशी है। बम-बम भोले की नगरी बनारस के बारे में ये दावा किया जाता है कि काशी को रोम से भी पहले बसाया गया था। काशी के घाट और शिव-भक्तों की अटूट श्रद्धा इस बनारस शहर की पहचान है। हिंदू धर्म में सबसे पवित्र धाम में काशी आता है। लेकिन क्या आप काशी के उन रहस्यों के बारे में जानते हैं जिनसे कई पौराणिक रहस्य जुड़े हुए हैं। उनमें से कई रहस्य तो ऐसे हैं जिनसे आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है। तो देर न करते हुए आइए आपको काशी के रहस्यों के बारे में बताते हैं।

काशी के बसने की पौराणिक मान्यता

बनारस कहे या काशी इस शहर से जुड़ी बहुत पुरानी मान्यता है कि काशी नगरी को भगवान शिव के त्रिशूल पर बसाया गया है। पुराणों में बताया जाता है कि पहले भगवान शिव ने अपने त्रिशुल को सामने किया, फिर उसके बाद काशी नगरी का निर्माण हुआ। साथ ही ये भी कहा जाता है कि काशी से ही हिंदू धर्म की स्थापना हुई है और यहीं से विस्तार होना शुरू हुआ है। इसी वजह से हिंदू धर्म में काशी नगरी का बहुत ही महत्व है।

काशी महादेव की नगरी

काशी को महादेव की नगरी कहा जाता है। इसके पीछे एक कथा है कि महादेव को काशी नाम की जगह से बहुत ही मनभावन लगी, तो उन्होंने भगवान विष्णु से काशी को अपना निजी स्थान बनाने के लिए मांग लिया। तब से ही ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव काशी में निवास करते हैं और इसीलिए इस शिव की नगर या शिव के घर के रूप में जाना जाता है।

साथ ही काशी के और भी बहुत सारे नाम हैं जो इस प्रकार हैं- काशी , बनारस , वाराणसी , मोक्ष नगरी , मोक्ष प्राप्ति का शहर , महाश्मशान ।

सप्तऋषि द्वारा पूजा करने का रहस्य
Kashi Saptarishi Puja-Aarti

काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर में सप्तऋषि भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस बारे में सदगुरू ने बताया था कि खुद भगवान शिव ने सप्तऋषि पूजा का रहस्य ऋषियों को बताया था और पहली पूजा भी इसी तरह से हुई थी।

तो इसके बाद से आने वाले काल में सप्तऋषि पूजा की विधि तो सबने समझ ली, पर इस पूजा का अर्थ कोई नहीं समझ पाया। नहीं ही किसी इस राज के बारे में कोई जानकारी है।

फोटो-सोशल मीडिया

काल भैरव हैं काशी के चौकीदार

Kashi Bhairo Baba Mandir

हिंदू पुराणों में काशी के काल भैरव मंदिर की बहुत मान्यता बताई गई है। जीं हां काल भैरव को बनारस का चौकीदार माना जाता है। भले ही काशी में काल भैरव का मंदिर कितना छोटा ही क्यों न हो, लेकिन इस मंदिर की बहुत मान्यता है।

ऐसा कहा जाता है कि काल भैरव के दर्शन के बिना आत्मा का स्वर्ग जाने का रास्ता अधूरा रह जाता है यानी पूरा नहीं हो पाता है। तो अगर मोक्ष प्राप्ति चाहिए तो काल भैरव के दर्शन जरूर करने चाहिए।

फोटो-सोशल मीडिया

काशी में पाताल लोक से आते हुए पानी का रहस्य

काशी में लोलार्क कुंड है। जोकि देखने जितना ज्यादा अद्भुत है उतनी ही अद्भुत और रोचक उस कुंड की कथा है। काशी के इस लोलार्क कुंड का पानी आज भी रहस्य ही बना हुआ है। क्योंकि इस कुंड में न तो बारिश का पानी आता है ना ही पानी किसी तालाब या जलस्त्रोत से आता है।

फोटो-सोशल मीडिया

ऐसे में इस कुंड के बारे में मान्यता है कि इस लोलार्क कुंड में पानी पाताल लोक से भरता है। इस कुंड के बारे में स्कंद पुराण में बताया गया है कि इसे सूर्य कुंड भी कहा जाता है क्योंकि शुक्ल पक्ष के भाद्रपद में इस कुंड में सूर्य की किरणें पड़ती हैं और उस दौरान इस कुंड में बालासन योग जैसी आकृति पड़ती है। तो ऐसा माना जाता है कि जो महिला इस समय यहां नहाती है उसे संतान सुख प्राप्त होता है। इस वजह से उस समय कुंड के पास बहुत भीड़ रहती है।

काशी में बीमारियों से मुक्त करने वाला पानी

काशी में एक धनवंतरी कूप यानी कुंआ है। ये कुंआ मृत्युंजय महादेव मंदिर के नजदीक है। इस कुंए के बारे में ऐसा माना जाता है कि अगर कोई इस भी शख्स इस कुंए का पानी 45 दिनों तक पी लेता है तो उसकी बीमारियां ठीक हो जाती है।

फोटो- सोशल मीडिया

इस धनवंतरी कुंए को लेकर ऐसी कहा जाता है कि वैद्य धनवंतरी ने इस कुंए में बहुत सालों तक तपस्या की थी। वैद्य की तपस्या की वजह से इस कुंए को ऐसा वरदान मिला। साथ ही इस पानी की ये भी खासियत है कि आठ घाट में आठ अलग स्वाद का पानी हैं।




Vidushi Mishra

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