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Kaziranga Park History: सौ साल से ज्यादा पुराना है काजीरंगा उद्यान, ब्रिटिश वायसराय की पहल बनी बड़ी योजना

Kaziranga National Park History: काजीरंगा(Kaziranga)का उद्दीपन उन्नत वन्यजन्तु संरक्षण के लिए हुआ था, खासकर तत्कालीन ब्रिटिश वायसराय के समर्थन में इस पार्क को स्थापित किया गया था।

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 9 March 2024 11:47 AM GMT
Kaziranga Park History: सौ साल से ज्यादा पुराना है काजीरंगा उद्यान, ब्रिटिश वायसराय की पहल बनी बड़ी योजना
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Kaziranga National Park History: काजीरंगा नेशनल पार्क, असम मैम है, जो भारत का एक प्रमुख वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र है। इस उद्यान को वर्ष 1905 में स्थापित किया गया था। इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी घोषित किया गया है। काजीरंगा(Kaziranga)का उद्दीपन उन्नत वन्यजन्तु संरक्षण के लिए हुआ था, खासकर तत्कालीन ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्जन के समर्थन में पार्क का एक मुख्य उद्देश्य वन्यजीव सुरक्षा के साथ स्थापित किया था। यहां का विशेष ध्यान, भारत के एक मात्र एक होर्न राइनो(गेंडा) के संरक्षण क्षेत्र के रूप में भी है। इस उद्यान की स्थापना के पीछे ये कारण ही सबसे बड़ा है।आज से लगभग 120 साल पहले इसकी स्थापना की गई थी।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की ऐसे हुई थी शुरुआत

असम राज्य के गोलाघाट और नागांव जिलों में स्थित, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान(Kaziranga National Park) 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में बना था। जब एक अमेरिकी महिला 'बैरोनेस मैरी विक्टोरिया लीटर कर्जन', जो भारत के वायसराय लॉर्ड कर्जन की पत्नी थीं। उन्होंने वर्ष 1904 में काजीरंगा का दौरा किया था। उस अवधि के दौरान, काजीरंगा अपने गेंडो की विशाल आबादी के लिए बहुत प्रसिद्ध था। लेकिन क्षेत्र में अपनी यात्रा के दौरान, उन्हें जंगल में कोई गेंडा नहीं दिखा। केवल खुर के निशान दिखाई दिए।

प्रसिद्ध असमिया पशु ट्रैकर बलराम हजारिका ने बैरोनेस कर्जन को दिखाया और उन्हें वन्यजीव संरक्षण की तत्काल आवश्यकता के बारे में बताया। जिसके बाद, मिस कर्जन ने अपने पति से एक गेंडे के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाने की बात कही, जो उनके पति ने 4 नवंबर, 1904 को किया। जब उन्होंने काजीरंगा में एक रिजर्व बनाने का सुझाव दिया। बाद में, काजीरंगा रिजर्व फॉरेस्ट के गठन के प्रस्ताव के औपचारिक दस्तावेज सितंबर, 1905 में अंकित किए गए। जिस कारण 1 जून, 1905 को, काजीरंगा प्रस्तावित रिजर्व फॉरेस्ट 90 वर्ग मील के क्षेत्र के साथ बनाया गया था।


उद्यान का भौगोलिक विस्तार

काजीरंगा आरक्षित वन को पूर्व की ओर विस्तारित करने का प्रस्ताव रखा गया जो बोकाखट धनसिरिमुख सड़क से गुजरता। स्थानीय लोग इस प्रस्ताव के पूर्णतः ख़िलाफ़ रहे थे क्योंकि मछली पकड़ने, गन्ना इकट्ठा करने, जलाऊ लकड़ी और चराई जैसे उनके कई अधिकार ख़तरे में पड़ने वाले थे। इसके अलावा, चाय बागान मालिकों के यूरोपीय समुदाय ने भी इस पर आपत्ति जताई। अंततः, पार्क को ब्रह्मपुत्र नदी के तट तक 59 वर्ग मील तक बढ़ा दिया गया। वर्ष 1908 में काजीरंगा को रिजर्व फॉरेस्ट बना दिया गया। वर्ष 1916 में, इसे काजीरंगा खेल अभयारण्य का नाम दिया गया। लेकिन शिकार करना तब भी उचित नहीं माना जाता था।


आजादी के बाद जारी हुआ नेशनल पार्क एक्ट

भारत की स्वतंत्रता के बाद , काजीरंगा को 1950 में एक वन्यजीव उद्यान घोषित किया गया था। 1950 में, पीडी स्ट्रेसी (वन संरक्षणवादी) द्वारा काजीरंगा खेल अभयारण्य का नाम फिर से काजीरंगा वन्यजीव अभयारण्य कर दिया गया। ताकि शिकार के विचारों को भी खत्म किया जा सके। बाद में 1954 में, असम सरकार ने गेंडा विधेयक पारित किया, जिसमें गेंडे के शिकार के लिए भारी दंड लागू किया गया। 1968 में, असम सरकार ने राष्ट्रीय उद्यान के निर्माण के लिए असम राष्ट्रीय उद्यान अधिनियम 1968(Assam National Park Act 1968) पारित किया।

यूनेस्को ने दिया वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा

राष्ट्रीय उद्यान की घोषणा के बाद, काजीरंगा को अपने अद्वितीय प्राकृतिक वातावरण के लिए जल्द ही वर्ष 1985 में यूनेस्को (UNESCO) विश्व धरोहर स्थल(World Heritage Site) घोषित कर दिया गया। अंततः कर्जन द्वारा शुरू की गई एक पहल विश्व धरोहर का हिस्सा बन गई।

100 साल से ज्यादा का हुआ काजीरंगा

इतनी तेजी से विस्तार के बाद, पार्क ने वर्ष 2005 में अपने 100 साल पूरे होने का जश्न धूमधाम से मनाया। जिसमें लॉर्ड और लेडी कर्जन के नई पीढ़ी, वंशजों को समारोह के लिए आमंत्रित किया गया था। आज, काजीरंगा एक विश्व धरोहर स्थल है और संभवतः दक्षिणी एशिया के सबसे समृद्ध, सबसे सुरम्य वन्यजीव जगहों में से एक है। बाद में वर्ष 2008 में, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को लाओखोवा और बुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्यों को अपनी मंडली में शामिल करके टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।



Yachana Jaiswal

Yachana Jaiswal

Content Writer

I'm a dedicated content writer with a passion for crafting engaging and informative content. With 3 years of experience in the field, I specialize in creating compelling articles, blog posts, website content, and more. I can write on anything with my research skills. I have a keen eye for detail, a knack for research, and a commitment to delivering high-quality content that resonates with the audience. Author Education - I pursued my Bachelor's Degree in Journalism and Mass communication from Sri Ramswaroop Memorial University Lucknow. Presently I am pursuing master's degree in Master of science; Electronic Media from Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication Bhopal.

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