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Kedarnath Yatra 2023: एक धाम और एक ज्योतिर्लिंग दोनों का पुण्य कमायें

Book Kedarnath Yatra Tour Packages 2023: उत्तराखंड के चारधाम यात्रा में केदारनाथ एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह कठिन यात्रा हिमालय के दुर्गम पहाड़ियों पर करनी पड़ती है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ धाम स्थित है।

Sarojini Sriharsha
Published on: 31 Jan 2023 7:25 PM IST
Kedarnath Yatra 2023
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Kedarnath Yatra 2023 (Social Media)

Book Kedarnath Yatra Tour Packages 2023: केदारनाथ धाम भारत के सबसे पवित्र तीर्थों और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। उत्तराखंड के चारधाम यात्रा में केदारनाथ एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह कठिन यात्रा हिमालय के दुर्गम पहाड़ियों पर करनी पड़ती है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ धाम स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3584 मीटर है। यह मंदिर सुंदर हरी वादियों में बर्फ से ढका एक विहंगम दृश्य प्रस्तुत करता है। नवंबर से मार्च तक भारी बर्फबारी होने के कारण केदारनाथ मंदिर के कपाट साल के छह महीने बंद रहते हैं। इस मंदिर के खुलने की तारीख अक्षय तृतीया यानी वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया होती है । इस साल मंदिर के कपाट 26 अप्रैल को एक विशेष पूजा के साथ खोले जायेंगे। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 16किलोमीटर की कठिन यात्रा करनी पड़ती है । लेकिन हेलीकॉप्टर , घोड़े, पालकी जैसी सुविधाओं के कारण रास्ता थोड़ा आसान हो जाता है। अप्रैल से अक्टूबर तक का महीना बर्फबारी से दूर होने के कारण यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा रहता है। इसी दौरान यह मंदिर दर्शन के लिए खोला जाता है। यहां आने के लिए अपने साथ गरम ऊनी कपड़े भरपूर मात्रा में रखे।

मंदिर के द्वार के बाहर नंदी बैल की एक विशाल मूर्ति है जिसकी भक्तगण पूजा करते हैं। मंदिर के अंदर एक चट्टान को भगवान शिव के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जिसमें केदारनाथ को पूजा जाता है। केदारनाथ मंदिर के कपाट रोजाना सुबह 7 बजे से रात्रि 8.30 खुले रहते हैं। यहां शिवलिंग का घी से अभिषेक किया जाता है । दोपहर 1-2 बजे एक विशेष पूजा के बाद कपाट बंद कर दिए जाता है । फिर शाम 5बजे श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोल दिए जाता है। शाम 7.30 बजे विशेष आरती के समय भगवान शिव के पंच मुखी प्रतिमा का श्रृंगार किया जाता है । जिसका दर्शन भक्तगण दूर से कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस केदार श्रृंग हिमालय पर्वत पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां हमेशा विराजमान रहने का वरदान दिया। वहीं दूसरी ओर स्कंद पुराण में पांडवों को परिजनों और गुरु के हत्या के पाप से छूटने के लिए केदार नाथ की यात्रा और निवास करने का उपाय सुझाया।

पांडवों से बचने के लिए काशी से बाहर निकल के शिव ने बैल का रूप धारण किया और हिमालय में भ्रमण करने लगे। जब पांडवों द्वारा पहचान लिए गए तो अपने को धरती में छुपाने की कोशिश करने के दौरान भीम ने बैल का कूबड़ पकड़ लिया। इसी प्रकार अन्य स्थानों पर बैल के अन्य अंग जैसे कूबड़ केदारनाथ में, भुजाएं तुंगनाथ में,नाभी मध्य महेश्वर में,मुख रुद्रनाथ और बाल कल्पेश्वर में दिखाई दिया। इन सभी स्थानों को एक साथ पंच केदार का नाम दिया गया है। ऐसा मानना है की जिधर कूबड़ दिखा था वहीं पांडवों ने मूल केदारनाथ का मंदिर निर्माण किया था । लेकिन आज के समय में जो मंदिर वहां विराजमान है । वह आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा निर्मित है। केदारनाथ के पास अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं जैसे:

भैरवनाथ मंदिर

केदारनाथ से दक्षिण दिशा में लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित यह एक प्रसिद्ध मंदिर है । यहां भगवान शिव के मुख्य गण भैरव नाथ की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जब भारी बर्फबारी के कारण केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाता है तब भैरव जी इस पूरे इलाके की रक्षा करते हैं।

शंकराचार्य समाधि

आदि गुरु शंकराचार्य जो एक महान संत थे। इन्होंने देशभर में 4 मठों की स्थापना की थी। 8 वीं सदी में इन्होंने वर्तमान केदारनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। केदारनाथ के समीप आदि गुरु शंकराचार्य की एक समाधि स्थल है।

गौरीकुंड

केदारनाथ से करीब 9 किलोमीटर की दूरी पर यह प्रसिद्ध गौरीकुंड स्थित है। यह वही जगह है जहां पार्वती जी ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। मंदाकिनी नदी के तट पर बसा यह स्थल समुद्र तल से लगभग 2000 मीटर की ऊंचा है। इस कुंड का पानी गर्म है। ऐसा माना जाता है की इस जल में स्नान करने से सारी बीमारी और कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां माता पार्वती का एक कलात्मक मंदिर भी है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।

वासुकी ताल

केदारनाथ की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित यह एक खूबसूरत झील है। यहां से हिमालय की कई चोटियों का नजारा देखा जा सकता है । झील का पानी इतना साफ है कि इसके नीचे की चट्टानों को आप आसानी से देख सकते हैं। यहां कई तरह के अनोखे फूल देखे जा सकते हैं जिनमें प्रसिद्ध ब्रह्म कमल है।

त्रियुगी नारायण मंदिर

इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इसी जगह भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसके साक्षी भगवान विष्णु थे। इस मंदिर के अंदर एक हवन कुंड है जिसके राख को भक्त लेकर अपने को सौभाग्यशाली मानते हैं।

सोनप्रयाग

बर्फ से ढके पहाड़ और प्राकृतिक छटा वाली अनुभूति देने वाली यह जगह भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह स्थल के रूप में जानी जाती है। इसी जगह मंदाकिनी और बासुकी नदी एक दूसरे से मिलती है। इस पवित्र जल में लोग स्नान करते हैं और अपने को धन्य मानते हैं।

चोराबारी झील

केदारनाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चोराबाड़ी झील एक आकर्षक झील है । यहां पर्यटक पिकनिक करते नजर आ सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि सप्तर्षियों को भगवान शिव यहां योग का उपदेश देते थे। यह झील गौरीकुंड से करीब17 किमी दूरी पर स्थित है।

कैसे पहुंचे

केदारनाथ पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा और रेल मार्ग से आकर सड़क के रास्ते जाना पड़ता है। केदारनाथ का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट है, जो देश के सभी प्रमुख हवाई अड्डा से जुड़ा हुआ है। वहां से गौरीकुंड के लिए टैक्सी या बस सेवा ले सकते हैं। गौरीकुंड से केदारनाथ तक की लगभग 14 किमी की दूरी ट्रेकिंग या हेलीकॉप्टर या घोड़ा से की जा सकती है। हरिद्वार, ऋषिकेश आकर सड़क से केदारनाथ की दूरी 230 किलोमीटर की है। ऋषिकेश से गौरीकुंड सड़क मार्ग से पहुंचा जाता है। यहां हेलीकॉप्टर सेवा देहरादून और फाटा दोनों जगहों से उपलब्ध है। फाटा से यह सेवा शटल सेवा के रूप में उपलब्ध यह जिसका किराया 5-6 हजार रुपए तक आता है।

तो केदारनाथ की यात्रा करके आप उत्तराखंड के चार धाम में से एक धाम और 12ज्योतिर्लिंग में से एक सबसे दुर्गम स्थान की यात्रा कर भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)



Durgesh Sharma

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