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पाकिस्तान में मौजूद है दो शिव मंदिर, 3000 साल पुराना है इनका इतिहास, एक जगह गिरे थे भोलेनाथ के आंसू

Shiv Temple In Pakistan : सावन के महीने में भोले बाबा की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। चलिए आज हम आपको पाकिस्तान के शिव मंदिरों के बारे में बताते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 13 Aug 2024 1:19 PM IST
Shiv Temple In Pakistan
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Shiv Temple In Pakistan (Photos - Social Media) 

Shiv Temple In Pakistan : सावन का महीना काफी पवित्र माना जाता है। यह महीना भगवान भोलेनाथ को अति प्रिय है और इस समय उनका विशेष पूजन किया जाता है। इस समय शिव मंदिर में काफी भीड़ भी देखने को मिलती है। अलग-अलग स्थान पर भगवान शिव के कई सारे प्राचीन मंदिर मौजूद है जो अपनी मान्यताओं और चमत्कारों की वजह से पहचाने जाते हैं। भारत के शिव मंदिर के बारे में आपने सुना होगा लेकिन पाकिस्तान में भी ऐसे शिव मंदिर है जहां आज भी पूजन होती है। 1947 में अटारी और बाघ के बीच हुए विभाजन में लोगों के घरों संपत्ति को जानने के साथ सीखो और हिंदुओं को इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में अपने पूजा स्थलों को छोड़ने पर भी मजबूर कर दिया था। हालांकि कुछ समय बाद इन मंदिरों को पुनर्जीवित किया गया चलिए आज इन शिव मंदिरों के बारे में जानते हैं।

चिट्टी गिट्टी मन्दिर पाकिस्तान (Chitti Gitti Temple Pakistan)

मनशेहरा से 10 किलोमीटर दूर काराकोरम राजमार्ग पर ये शिव मंदिर मौजूद है। यह पाकिस्तान में मौजूद सबसे बड़ा शिवलिंग है और इसका इतिहास 3000 साल पुराना बताया जाता है। 1948 में स्थानीय लोगों ने से सील कर दिया था और मंदिर के आसपास की जमीन पर भी कब्जा कर लिया गयाथा। 1998 तक यह क्षेत्र हिंदू आबादी के लिए दुर्गम था लेकिन उसके बाद यहां पूजन अर्जुन शुरू की गई।

Shiv Temple In Pakistan


पाकिस्तान में प्रसिद्ध है चिट्टी गिट्टी मन्दिर (Chitti Gitti Temple is Famous in Pakistan)

यह शिव मंदिर पाकिस्तान के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस मंदिर की पुनर्स्थापना बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी हिंदुओं ने की थी। यहां मौजूद शिवलिंग 3000 साल पुराना है।

कटास राज मंदिर पाकिस्तान (Katas Raj Temple Pakistan)

पंजाब के चकवाल जिले में मौजूद यह मंदिर पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र हिंदू तीर्थ स्थल में से एक है। यहां वास्तव में सा मंदिर हैं लेकिन आप तीन ही बचे हैं जो पवित्र तालाब की परिधि के आसपास है। यीशु मंदिर 900 साल पुराना माना जाता है इस स्थान को शिव का नेत्र कहा जाता है। मंदिर से जुड़ी मान्यता के मुताबिक यहां तालाब तब बना जो भगवान शिव ने अपनी प्रिय पत्नी सती के निधन पर आंसू आए थे। आंसू की बूंद से तालाब बन गया और दूसरी बूंद अजमेर के पुष्कर में गिरी थी। उत्तरी पंजाब के हिंदुओं के चले जाने से यह खंडहर में बदल गया था और तालाब कचरे से भर चुका था। 1982 में हिंदुओं इस मंदिर को पुनर्स्थापित किया।

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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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