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History Of Dwarkadhish: द्वारका में क्यों शुभ माना जाता है 56 अंक

History Of Dwarkadhish: द्वारका एक ऐसी जगह है जिसे मोक्ष का द्वार कहा जाता है। गुजरात का एक प्रसिद्ध शहर है जिसकी स्थापना भगवान कृष्ण ने अपने बड़े भाई बलराम के साथ की थी।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 26 Aug 2024 3:38 PM IST
History Of Dwarkadhish
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History Of Dwarkadhish (Photos - Social Media) 

History Of Dwarkadhish : भगवान कृष्ण को द्वारकाधीश मंदिर की काफी मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने 10 वर्ष की आयु तक नंदग्राम में रहे और इसके बाद मथुरा चले गए। 10 से 20 वर्ष और 4 महीने की उम्र तक वह यहां पर रुके और द्वारका चले गए। इसके बाद 96 साल और 8 महीने तक बुधवार का में रहे वह जब तक 125 साल के नहीं हो गए तब तक वहीं पर थे। अब यह जानने के बाद जाहिर सी बात है आपका दिल यहां पर जाने का कर रहा होगा। चलिए आपको बताते हैं कि यहां की खासियत क्या है।

2500 साल पुराना है द्वारका मंदिर (Dwarka Temple Is 2500 Years Old)

द्वारका आने वाले पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र द्वारकाधीश मंदिर होता है। इसकी स्थापना 2500 साल पहले भगवान कृष्ण के पोते वज्रभान ने की थी। इस पर साल्वी और 19वीं शताब्दी पर हमले किए गए थे जिसके निशान आज भी दिखाई देते हैं। मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर मौजूद है जहां पहुंचने के लिए 50 से ज्यादा सीढ़ियां कड़नी पड़ती है।


होता है द्वारकाधीश का खास श्रृंगार

द्वारकाधीश मंदिर में भगवान कृष्ण को लेकर काफी मान्यता है। जन्माष्टमी के दिन यहां भगवान का खास श्रृंगार किया जाता है। उन्हें जारी और कढ़ाई की मखमली पोशाक पहनी जाती है और कीमती गहनों से सजाया जाता है। इसके बाद पूजन अर्चन कर भोग लगाया जाता है।


जन्माष्टमी में होती है दही हांडी (Dahi Handi in Janmashtami)

द्वारका में जन्माष्टमी पर केवल पूजा नहीं होती बल्कि दही हांडी उत्सव भी मनाया जाता है। यहां युवाओं की टीम को विभाजित किया जाता है और वे दही हांडी खेल में शामिल होते हैं। दहीहंडी जन्माष्टमी का प्रमुख अनुष्ठान है जो भगवान कृष्ण के जीवन और कार्यों को दर्शाता है।


द्वारका में क्यों शुभ है 56 अंक

द्वारका में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है हर जगह दीपक जलाए जाते हैं। जब आप यहां जाए तो घूमती नदी देखना ना भूले। बता दे की श्री कृष्ण ने गोमती नदी को आशीर्वाद दिया था कि वह उनके निवास स्थान एवं द्वारका के पास से मात्र 56 कम की दूरी पर बहेगी। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन द्वारकाधीश मंदिर भी नदी से 56 कम की दूरी पर मौजूद है। यही कारण है कि द्वारका में 56 अंक को शुभ माना जाता है।



Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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