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Mirzapur History: डकैत फूलन देवी से लेकर बाहुबलियों ने किया है मिर्जापुर की गद्दी पर राज, जानें यहां का इतिहास

Mirzapur History : मिर्जापुर एक बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है और सीरीज मिर्जापुर के जरिए से काफी पहचान मिली है। चलिए आपको बताते हैं कि यहां की गद्दी पर अब तक किसका राज रहा है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 13 Aug 2024 12:14 PM IST
Mirzapur History
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Mirzapur History (Photos - Social Media)

Mirzapur History : मिर्जापुर को सबसे ज्यादा पहचान इस पर बनी वेब सीरीज के जरिए मिली है। इस वेब सीरीज के सभी सीजन को दर्शकों ने खूब पसंद किया है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं की रियल लाइफ में मिर्जापुर जिले की गद्दी पर आज भी काबिज होने के लिए सीरीज के जैसा ही सीन चल रहा है। मिर्जापुर की गद्दी पर चर्चित डकैत फूलन देवी से लेकर ददुआ शिवकुमार पटेल के भाई बालकुमार पटेल सांसद रहे। जिले की गद्दी पर वर्षों तक इनका एक तरफ राज रहा।

किसका था मिर्जापुर पर राज (Who Ruled Mirzapur?)

बदलते समय के साथ यहां की गद्दी पूर्वांचल के दो बड़े बाहुबली कहे जाने वाले विजय मिश्रा और विनीत सिंह की नजर में आ गई। पहली बार इस गद्दी की लड़ाई में विजय मिश्रा विनीत सिंह पर भारी पड़े और दूसरी बार विनीत ने विजय मिश्रा को गद्दी से उखाड़ फेंक दिया। चल जानते हैं कब-कब यहां किस-किस ने राज किया।

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फूलन देवी बनी मिर्जापुर की सांसद (Phoolan Devi Becomes MP of Mirzapur)

मिर्जापुर जिले में गद्दी को लेकर 1996 में जंग शुरू हुई थी। उसे समय बैंडिट क्वीन के नाम से प्रसिद्ध डकैत फूलन देवी मिर्जापुर जिले से समाजवादी पार्टी का टिकट पर सांसद प्रत्याशी के तौर पर उतरी थी। फूलन देवी का इतना खौफ था कि वह भारी अंतर से जीत कर पहली बार सांसद बनकर लोकसभा पहुंच गए। फूलन देवी की लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि जब वह गाड़ी से प्रचार के लिए निकलती थी तो लोगों का हम उनके काफिले के पीछे दौड़ लगाता था।

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बालकुमार पटेल का राज्य (Balkumar Patel's Kingdom)

चर्चित डकैत फूलन देवी के सांसद रहते उनकी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद कुछ दिनों के लिए पूरा जिला एकदम शांत हो गया था। लेकिन सियासी रणनीतिकारों ने अपनी तैयारी जारी रखी। साल 2009 में डकैत ददुआ शिवकुमार पटेल के भाई बालकुमार पटेल लोकसभा चुनाव में उतरे। डकैत का भाई होने के साथ-साथ उनके ऊपर कुछ मुकदमे भी दर्ज थे। इसका परिणाम यह निकला कि वह सांसद बन गए और 2014 तक उनका खंड राज्य चला रहा।

मोदी लहर में ये नजारा (This Scene in Modi Wave)

साल 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर आने के बाद मिर्जापुर से माफिया और बाहुबलियों का लोकसभा जाने का रास्ता बंद हो गया। इसके बाद पूर्वांचल के दो बाहुबली की नजर मिर्जापुर और सोनभद्र की एमएलसी सीट पर टिकी थी। 2014 में एक तरफ जीत के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए लेकिन उत्तर प्रदेश में समाजवादी की सरकार चल रही थी और अखिलेश यादव सीएम थे।

बसपा के नेता बाहुबली विनीत सिंह के भाई त्रिभुवन नारायण सिंह और बाहुबली विजय मिश्रा की पत्नी रामलली चुनाव मैदान में कूदे। इस चुनाव के दौरान मारपीट और अपहरण की कई घटनाएं सामने आई। बाहुबली विनीत सिंह ने चुनाव के बीच कई बार विजय मिश्रा पर एक-47 के साथ प्रचार करने बीडीसी उम्मीदवार का अपहरण करने और गोली चलवाने का आरोप लगाया। आखिर में विजय मिश्रा की पत्नी ने विनीत सिंह के भाई को हराकर दो जिलों की हॉट सीटों पर कब्जा कर लिया।

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जीते विनीत सिंह (Vineet Singh Won)

साल 2017 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी की सरकार बनने के बाद योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। इसके बाद बाहुबलियों और माफियाओं पर भयंकर कार्रवाई की गई। इसकी जद में विजय मिस्टर भी आए और उनकी सियासत बुरी तरह से हिल गई। एक बार फिर सोनभद्र और मिर्जापुर के लिए चुनाव हुआ और भारतीय जनता पार्टी ने विनीत सिंह को प्रत्याशी घोषित किया। विनीत सिंह के उम्मीदवार बनने के बाद सपा के प्रत्याशी ने अपना परिचय वापस ले लिया। इस चुनाव में विनीत सिंह निर्विरोध जीत गए।



Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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