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Mahakal Ujjain Importance: क्या वाक़ई उज्जैन महाकाल में नहीं रुकते हैं मुख्यमंत्री और मंत्री? जानिये हक़ीक़त
Mahakal Ujjain Importance: उत्तर प्रदेश का सबसे विकसित शहर नोएडा भी राजनीतिज्ञों के लिए श्रापित ही था। कहा जाता था कि जो भी मुख्यमंत्री अपने पद पर रहते नॉएडा जाता था तो उसकी दोबारा सीएम के रूप में वापसी नहीं होती थी।
Mahakal Ujjain Importance: भारतीय राजनीति में अंधविश्वास कोई नयी बात नहीं है। राजनीतिज्ञ किसी पद की शपथ लेने से पहले हमेशा अपने ज्योतिषाचार्य की सलाह पर ही कदम उठाते हैं। यहाँ तक कि उनके किसी बड़े पद के शपथ के लिए दिन और समय भी किसी अस्ट्रॉलजर के द्वारा ही निर्धारित किया जाता है। तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव बिना अपने ज्योतिषाचार्य की सलाह के कोई बड़ा कदम नहीं उठाते हैं। ऐसा हर प्रदेश के राजनेताओं के साथ है। हिंदी पट्टी के नेता तो पद पाने के लिए कई तरह के अनुष्ठान और पूजा आदि कराते सुने गए हैं।
कई बार राजनीतिज्ञों के अंदर अन्धविश्वास इस कदर हावी हो जाता है कि वो किसी शहर विशेष में ही आना-जाना या वहां रात में रुकना ही बंद कर देते हैं। यूपी के सबसे विकसित शहर नोएडा और मध्य प्रदेश में महाकाल की नगरी उज्जैन के साथ ऐसा ही है। आइये डालते हैं एक नजर:
यूपी के नोएडा नहीं जाता था कोई सीएम
उत्तर प्रदेश का सबसे विकसित शहर नोएडा भी राजनीतिज्ञों के लिए श्रापित ही था। कहा जाता था कि जो भी मुख्यमंत्री अपने पद पर रहते नॉएडा जाता था तो उसकी दोबारा सीएम के रूप में वापसी नहीं होती थी। मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मायावती से लेकर अखिलेश यादव तक सबने नॉएडा जाना अवॉयड ही किया। यहाँ तक इन मुख्यमंत्रियों ने बड़े-बड़े इवेंट नोएडा ना जाकर वीडियो कॉन्फरेंसिंग से करना उचित समझा। हालांकि इस मिथक को यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तोडा। वो सीएम रहते हुए अपने पहले कार्यकाल में नोएडा गए भी और दोबारा सत्ता में में वापसी भी की।
क्या कहानी है उज्जैन की?
यहाँ प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आदि सभी दर्शन के लिए तो आते हैं लेकिन इस शहर में कोई भी रात नहीं बिताता है। ऐसा माना जाता है कि जो मंत्री या मुख्यमंत्री बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में रात गुजारते हैं, उनकी दोबारा सत्ता में वापसी नहीं हो पाती है। लोगों के अनुसार बाबा महाकाल को उज्जैन का राजा माना जाता है। ऐसे में इस शहर में दो राजा एक साथ नहीं रुक सकते। यदि कोई मंत्री या मुख्यमंत्री ऐसा करता है तो उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती है। यहाँ लोग उदहारण देते हैं कि भारत के प्रधमंत्री मोरारजी देसाई यहाँ एक रात रुके थे और अगले ही दिन उनकी सरकार गिर गयी थी। यही हाल कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भी यहाँ एक रात रुके थे। बाद में उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। जानकारी के अनुसार महाकाल की नगरी उज्जैन में यह प्रथा राजा भोज के समय से ही चली आ रही और तबसे यहाँ कोई राजा, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री अथवा मंत्री रात में यहाँ नहीं रुकता है।
बता दें कि उज्जैन का महाकाल मंदिर एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है, जो मध्यप्रदेश, भारत में स्थित है। यहां पर भगवान शिव को महाकाल, एक रूप में पूजा जाता है। महाकाल मंदिर उज्जैन को भारतीय तांत्रिक संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थानों में से एक माना जाता है और यह एक प्रमुख पिल्ग्रिमेज स्थल है जहां विशेष तिथियों पर लाखों भक्त आते हैं। महाकाल मंदिर का स्थान उज्जैन शहर में है और यह शहर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था और इसे देवघर भी कहा जाता है।
उज्जैन का महाकाल मंदिर हिन्दू धर्म में महत्त्वपूर्ण स्थानों में से एक है, और इसे भगवान शिव के एक रूप, यानी महाकाल के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर भारतीय तांत्रिक संस्कृति में महत्त्वपूर्ण है और प्रतिवर्ष लाखों भक्त यहां आकर दर्शन के लिए आते हैं।