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Rajasthan Kota History: कोचिंग फैक्ट्री के नाम से फेमस है राजस्थान का कोटा, यहां आते हैं लाखों स्टूडेंट्स

Rajasthan Kota History: कोटा राजस्थान का एक प्रसिद्ध शहर है जिसे कोचिंग हब के नाम से पहचाना जाता है। चलिए आज हम आपको इस शहर के इतिहास और यहां के कोचिंग कारोबार के बारे में बताते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 30 Jun 2024 8:32 PM IST
Kota Story And History
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Kota Story And History (Photos - Social Media) 

Rajasthan Kota History: कोटा राजस्थान राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शहर है और यह लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। चंबल नदी के तट पर स्थित कोटा शहर अपनी विशिष्ट चित्रकला शैली, महलों, संग्रहालयों और पूजा स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर सोने के आभूषणों, डोरिया साड़ियों, रेशमी साड़ियों और प्रसिद्ध कोटा पत्थर के लिए जाना जाता है। कोटा का इतिहास 12वीं शताब्दी का है जब राव देव ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और हाड़ौती की स्थापना की। 1631 में बूंदी से अलग होकर कोटा का स्वतंत्र राजपूत राज्य बनाया गया था। कोटा राज्य का इतिहास उथल-पुथल भरा रहा है क्योंकि इस पर कई मुगल शासकों, जयपुर के महाराजाओं और यहाँ तक कि मराठा सरदारों ने भी हमला किया था। कोटा शहर अपनी वास्तुकला की भव्यता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है जिसमें खूबसूरत महल, मंदिर और संग्रहालय शामिल हैं जो पुराने युग की भव्यता को प्रदर्शित करते हैं।

कोटा का इतिहास (History of Kota)

कोटा का महत्वपूर्ण और बहुत ही रोचक इतिहास रहा है। इतिहासकार फिरोज अहमद ने बताया कि कोटा रियासत के पहले शासक राव माधो सिंह थे और कोटा के अंतिम शासक महाराव भीम सिंह द्वितीय थे। 13वीं शताब्दी के मध्य चरण में चंबल के दाहिनी किनारे पर अवस्थित अकेलगढ़ में भीलो की बस्ती हुआ करती थी और भीलो का शासन था। भील लोग बूंदी राज्य की सीमा में लूट-मार किया करते थे।

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बूंदी के राजा ने किया था आक्रमण (The King of Bundi Had Attacked)

सन 1241 के अंदर बूंदी में हाडा का चौहान वंशीय शासन स्थापित हो गया था। जेता मीणा को मारने के बाद तो उनकी सीमा नदी के बाएं किनारे तक स्थापित हो गई थी। भील अक्सर लूटमार किया करते थे, तो इनसे बचने के लिए बूंदी के राजा समर सिंह ने यहां पर सबसे पहले कोटिया भील के ऊपर अटैक किया। लेकिन रात्रि का समय था, तो वह कोटिया भील उनके आक्रमण से बच गया। दूसरी बार फिर उनके पुत्र ने योजना बनाकर उसका वध किया। 1264 में भील को दावत के लिए आमंत्रित किया और वहीं लड़ाई लड़ी, जिसमें भील मारा गया।

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कोटा में आते हैं लाखों स्टूडेंट्स (Lakhs of Students Come To Kota)

हर साल कोटा में जुलाई से लेकर जनवरी महीने के बीच 2 लाख से ज्यादा छात्र नीट यूजी और जेईई की तैयारी करने के लिए आते हैं। कोटा में कोचिंग का कारोबार (Kota Coaching Industry) तेजी से बढ़ता जा रहा है। इससे शहर की अर्थव्यवस्था को भी तेज रफ्तार मिली है। इससे सरकार को भी हर साल अच्छा टैक्स मिल रहा है। कोचिंग सेंटर रोजगार के भी सबसे बड़े हब बन गए हैं। आइए आपको बताते हैं आज कोटा में कोचिंग का कितना बड़ा कारोबार है। इसकी शुरुआत कैसे हुई थी।

ऐसा है कोटा का कारोबार (This Is The Business of Kota)

राजस्थान के कोटा में कोचिंग का कारोबार आज करीब 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का हो चुका है। कोटा में कोचिंग सेंटर की करीब सालाना फीस 40 हजार रुपये से 1.5 लाख रुपये तक है। यहां छह बड़े कोचिंग संस्थान हैं। इनमें 5 हजार से ज्यादा फुल टाइम स्टूडेंट्स हैं। देश भर में जेईई और नीट की तैयारी के लिए कोटा के कोचिंग संस्थान बेस्ट माने जाते हैं. इसे कोटा फैक्ट्री या कोटा जंक्शन के नाम से भी जाना जाता है। यहां यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, ओडिशा सहित कई राज्यों के छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए आते हैं।

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किताबों का भी है कारोबार (There is Also Business of Books)

कोटा कोचिंग हब होने के साथ किताबों का भी बड़ा बाजार है। रिपोर्ट बताती है कि हर साल छात्र यहां करीब 50 से 60 लाख किताबें खरीदते हैं। हर एक स्टूडेंट किताबों और स्टेशनरी पर करीब 10 हजार रुपये तक खर्च करता है। छात्रों को यहां यूनिफार्म भी खरीदनी पड़ती है। इसका भी यहां पर बड़ा बाजार है।



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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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