Krishna Janmabhoomi History: महमूद गजनवी ने तोड़ दिया था श्री कृष्ण जन्मभूमि का मंदिर, जानें इसके इतिहास

Krishna Janmabhoomi History: अंग्रेजी शासन में एक बार फिर मामला गरमाया था। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 30 Jun 2024 10:32 AM GMT
Story Of Krishna Janmabhoomi
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Story Of Krishna Janmabhoomi (Photos - Social Media)

Krishna Janmabhoomi History: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद काफी पुराना है। करीब 406 साल पहले इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। इसे मुगल शासक औरंगजेब ने ध्वस्त करा दिया था। बाद में मराठा शासकों ने इस पर कब्जा जमाया और फिर अंग्रेजी शासन में ये मामला फिर गरमाया। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी है। जब भी भगवान कृष्ण का नाम सामने आता है तो सभी लोगों को मथुरा की याद आ जाती है क्योंकि यही भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि है। यमुना नदी के किनारे मौजूद मथुरा एक बहुत ही पौराणिक शहर है जिसका श्रीकृष्ण से गहरा नाता है। हिंदुस्तान में मथुरा को श्री कृष्ण जन्मभूमि के नाम से पहचाना जाता है। श्री कृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करने के लिए देश विदेश से कई सारे श्रद्धालुओं को आते हुए देखा जाता है। चलिए आज हम आपको श्री कृष्ण जन्मभूमि के इतिहास से रूबरू करवाते हैं।

ऐसा है श्रीकृष्ण जन्मभूमि का इतिहास (Krishna Janmabhoomi Ka Itihas in Hindi)

पौराणिक इतिहास के मुताबिक 5,132 साल पहले भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को राजा कंस के मथुरा कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस स्थान को कटरा केशवदेव के नाम से जाना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के विश्वभर में भक्त हैं। 1618 ईसवीं में ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने जन्मभूमि मंदिर निर्माण कराया था। इसे मुगल शासक औरंगजेब ने ध्वस्त कर शाही मस्जिद ईदगाह का निर्माण कराया। इसके बाद गोवर्धन युद्ध के दौरान मराठा शासकों ने आगरा-मथुरा पर आधिपत्य जमा लिया। मस्जिद हटा कर श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण करवाया गया। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन आ गया।

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ब्रिटिश सरकार ने सन् 1803 में 13.37 एकड़ जमीन कटरा केशव देव के नाम नजूल भूमि घोषित कर दी। सन् 1815 में बनारस के राजा पटनीमल ने इसे अंग्रेजों से खरीद लिया। मुस्लिम पक्ष के स्वामित्व का दावा खारिज कर दिया गया और 1860 में बनारस के राजा के वारिस राजा नरसिंह दास के पक्ष में डिक्री हो गई। इसके बाद हिन्दू-मुस्लिम पक्ष के बीच विवाद चलता रहा। 1920 के फैसले में मुस्लिम पक्ष को निराशा मिली। कोर्ट ने कहा कि 13.37 एकड़ जमीन पर मुस्लिम पक्ष का कोई अधिकार नहीं है।

1944 में पूरी जमीन का पं मदनमोहन मालवीय और दो अन्य के नाम बैनामा कर दिया गया। जेके बिड़ला ने इसकी कीमत का भुगतान किया। इससे पहले 1935 में मस्जिद ईदगाह के केस को एक समझौते के आधार पर तय किया गया था। इसके बाद 21 फरवरी 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बना लेकिन 1958 में वह अर्थहीन हो गया। इसी साल मुस्लिम पक्ष का एक केस खारिज कर दिया गया। 1977 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बना जो बाद में संस्थान बन गया।

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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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