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Famous Shiv Temple: मध्य प्रदेश के इस शिवलिंग में चावल के दाने जितना होती है बढ़ोतरी
Madhya Pradesh Famous Shiv Temple: मध्य प्रदेश में प्रमुख ज्योतिर्लिंग के अलावा कई दूसरे प्रमुख और चमत्कारिक शिव मंदिर है..
Kundeshwar Mahadev Mandir in Madhya Pradesh: देवों के देव महादेव शिव शंकर की भक्ति पूरी दुनिया में प्रकट हुई है। देश भर में शिव जी के अनेकों मंदिर हैं। जहां कुछ मंदिर भक्तों की श्रद्धा-भंजन से तैयार हो चुके हैं, तो वहीं कुछ बेहद प्राचीन हैं। उनके निर्माण से जुड़ी रोचक कहानियां आज भी लोगों को अस्वाभाविक लगती हैं। जैसे पंचमुखी शिवलिंग के पांच मुख होते हैं, पंचमुख वाले महादेव की रचना पांच तत्त्वों अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी और जल से हुई है। ऐसा ही एक अनोखा शिव मंदिर मध्य प्रदेश राज्य के टीकमगढ़ में है, चलिए जानते है इस मंदिर के बारे में...
टीकमगढ़ का दिव्य मन्दिर (Famous Shiv Mandir in Tikamgarh)
दिव्य स्थान के रूप में, कुंडेश्वर धाम टीकमगढ़ भी एक दर्शनीय स्थल है। इस स्थान के बारे में एक तथ्य है कि इस मंदिर का शिवलिंग पहले बहुत छोटा था, हर वर्ष चावल के दाने जितना बढ़ने के बाद आज यह शिवलिंग इतना बड़ा हो गया है। वही बीतते समय के साथ यह अपने आप बड़ा हो गया। अब यह इतना बड़ा है जैसा कि चित्रों में दिखाया गया है। आप यहां पर शाम और सुबह की आरती में भाग ले सकता है। कमल के फूल के साथ शिवलिंग का श्रृंगार भी बहुत अलौकिक है। शांत वातावरण और चारों ओर हरियाली वाला यह मंदिर बहुत ही शांत है। आप यहाँ बहुत सारे बंदर देख सकते हैं। इस महादेव मंदिर में जाना एक आनंद क अनुभूति कराता है।
लोकेशन: कुंडेश्वर, टीकमगढ़, मिनोरा, मध्य प्रदेश
समय: सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक
कैसे पहुंचे यहां?(How To Reach Here)
टीकमगढ़ शहर से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर यह भव्य मंदिर हैं। ये बहुत ही प्रसिद्ध भगवान शिव का मंदिर है। जिसकी लोगों के बीच बहुत मान्यता है। यह जामदार नदी के तट पर स्थित है यहां त्योहारों के पवित्र अवसर पर विशेष आयोजन किया जाता है। आप यहां ऑटो या टैक्सी लेकर आसानी से पहुंच सकते है।
मन्दिर का इतिहास(History Of Shiv Temple)
कुंडे में मौजूद शिवलिंग की पूजा द्वापर युग से हो रही है। 13वें मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां हर साल चावल के दानों की संख्या बढ़ती है। सन 1937 में टीकमगढ़ रियासत के महाराज वीर सिंह देव ने आस-पास के क्षेत्र में शिवलिंग स्थापित किया। लेकिन यह पता नहीं चल पाया कि शिलालेख की गहराई कितनी है। ऐसे में यह ऊपर और नीचे दोनों जगह से चावल के दानों का आकार प्रति वर्ष सबसे अधिक जा रहा है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, 1204 ई. में धन्तीबाई नाम की एक महिला रहती थी। एक दिन जब वह पहाड़ी के ऊपर ओखली पर अनाज रख रही थी, तो उसमें से खून निकलने लगा। वह घबरा गई और मदद के लिए पुकारने लगी। जब महाराजा मदन वर्मन आए, तो उन्होंने उस स्थान पर एक शिवलिंग देखा। उन्होंने उस स्थान पर कुंडेश्वर मंदिर बनवाया।